हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट मिश्रित खेती क्या है ( Mixed Farming in Hindi ) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको मिश्रित खेती के बारे में बताएंगे यदि आप भी मिश्रित खेती क्या है यह जानना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े |
मिश्रित खेती (Mixed Farming in Hindi ) से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी
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नमस्कार दोस्तों यदि आप एक किसान है तो आप अपने खेतों में विभिन्न प्रकार के फसलों का उत्पादन करते होंगे क्योंकि किसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण काम खेती करना होता है जिसके लिए बहुत अधिक मेहनत करते हैं इसके बाद ही वह अपने खेतों में अच्छा उत्पादन प्राप्त कर पाते हैं वहीं अगर अधिक बारिश के कारण या फिर किसी का और कारणवश किसानो की खेती में कभी-कभी कड़ी मेहनत के पश्चात अत्यधिक मात्रा में नुकसान भी हो जाता है |
जिस कारण से किसानों को बिल्कुल फायदा नहीं हो पता है इसीलिए किसानों को एक फसल के साथ-साथ दूसरी फसल को भी तैयार करना चाहिए जिससे यदि एक फसल में किसानों को नुकसान होता है तो दूसरी फसल में फायदा हो यदि किसान एक फसल के साथ दूसरे फसल की खेती कर रहा है तो इसे ही मिश्रित खेती कहा जाता है वही फसलों के उत्पादन के साथ ही जब पशुपालन भी किया जाता है तो ऐसी खेती को भी मिश्रित खेती के नाम से जाना जाता है इसीलिए यदि आप एक किसान है तो आपको मिश्रित खेती ( Mixed Farming in Hindi ) के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता है |
मिश्रित खेती क्या है (Mixed Farming in Hindi )
मिश्रित खेती ( Mixed Farming in Hindi ) एक प्रकार की ऐसी खेती होती है जिसमें फसलों की कटाई और जानवरों को पालना दोनों एक साथ शामिल होता है यह खेती पूरे एशिया भारत दक्षिण अफ्रीका-अफ़गानिस्तान मलेशिया इंडोनेशिया चीन कनाडा मध्य यूरोप और रूस जैसे देशों में फैला है इसका उपयोग कुछ देशों में घरेलू काम के लिए किया जाता है स्पष्ट शब्दों में कहें तो मिश्रित खेती पैदावार के विकास और मानसिक एंड या दूध के अधिक उत्पादन के लिए जानवरों का पालन पोषण किया जाता है |
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मिश्रित खेती के लाभ ( Benefits of mixed farming )
- खेती से पशुओं से प्राप्त होने वाले गोबर व मूत्र की सहायता से भूमि से फसलों के उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में अत्यधिक सहायता मिलती है |
- मिश्रित खेती करने से वर्ष के अधिकांश भाग में आए नियमित रूप से प्राप्त होती रहती है |
- आर्थिक दृष्टिकोण से भूमि श्रम व पूंजी का समुचित प्रयोग कर लिया जाता है |
- पशुपालन के उपयोग के लिए किस को विभिन्न वस्तुओं जैसे दूध दही घी माथा अंडा फल सब्जी के रूप में एक पौष्टिक और संतुलित आहार मिल जाता है |
- मिश्रित खेती ( Mixed Farming in Hindi )करने से किसानों को शुद्ध आय प्रति एकड़ किसान के अन्य प्रकार की अपेक्षा इससे अधिक प्राप्त हो जाती है क्योंकि ऊपरी पर वर्ष भर में अनेक पदार्थों पर विभाजित कर दिए जाते हैं जिससे फसल तथा पशु उत्पादन के प्रति इकाई पर अपेक्षाकृत कम हो जाता है |
- मुख्य व्यवसायों से प्राप्त होने वाले फलो जैसे भूसा ,पुआल ,अगौले व गोबर , मूत्र आदि सभी वस्तुओ को पूरी तरह से उपयोग कर लिया जाता है ।
मिश्रित खेती से फसलों की हानि ( Loss of crops due to mixed farming )
- मिश्रित खेती करने से किसानों को फसलों की निराई गुड़ाई करने में कठिनाई होती है |
- किसानों को उन्नत यंत्रों के प्रयोग में भी कठिनाई होती है |
- मिश्रित खेती करने के बाद किसानों को इसके फसलों की कटाई में भी आसुविधा का सामना करना पड़ता है |
- मिश्रित खेती से तैयार फसलों से कभी भी खेती करने के लिए शुद्ध बीज आसानी से नहीं प्राप्त किया जा सकता है |
- इस खेती को करने के लिए किसानों के पास अलग-अलग फसलों के लिए अलग-अलग खरपतवार विनाशक दवाइयां या फिर यंत्र होना जरूरी होता है जिसके लिए नहीं बहुत कठिनाइयां का सामना करना पड़ेगा |
मिश्रित खेती करने के लिए सावधानियां ( Precautions for doing mixed farming )
- मिश्रित फसलों की खेती ( Mixed Farming in Hindi ) करने के लिए किसानों को फसलों का चुनाव क्षेत्र विशेष की मिट्टी जलवायु तथा सिंचाई की उपलब्धता को ध्यान में रखकर करना चाहिए |
- मिश्रित खेती को करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उगाई जाने वाली फसलों में आपस में पोषक तत्व सूर्य की रोशनी नामी तथा स्थान के लिए अधिक स्पर्धा नहीं होनी चाहिए |
- किसानों का मिश्रित खेती करने के लिए एक फसल उपरी जड़ों वाली तथा दूसरी फसल गहरी जड़ों वाली का इस्तेमाल करना चाहिए और साथ में उगाई जाने वाली फसलों की ऊंचाई आसमान होनी चाहिए
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क्या है मिश्रित फसल के सिद्धांत ( What is the principle of mixed cropping? )
फसल चक्र में सम्मिलित करने के लिए विभिन्न प्रकार के फसलों का चुनाव बहुत से कारकों पर निर्धारित किया जाता है इसका संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है |
जलवायु
किसानों को मिश्रित खेती करते समय मुख्य रूप से फसलों का चुनाव करते समय उसे क्षेत्र की जलवायु को ध्यान में रखकर योजना बनानी चाहिए |
भूमि
किसानों को उन क्षेत्रों की विशेष भूमि की कृष्ण उनकी रचना संरचना वायु संचार और जल की उपलब्धता आदि विभिन्न प्रकार के कारकों को ध्यान में रखते हुए फसलों को देना चाहिए क्योंकि यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको फसल में नुकसान भी हो सकता है |
आर्थिक लाभ
किसानों पर मिश्रित फसलों से होने वाले लाभ एक फसल की तुलना में अधिक प्राप्त होना चाहिए |
सिंचाई जल
फसलों का चुनाव करते समय किसानों को वर्षा जल के अतिरिक्त सिंचाई जल की भी सुविधा रखनी चाहिए |
प्रतिस्पर्धात्मक स्वभाव
किसानों को मिश्रित खेती करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि खेती में उगाई जाने वाली फसलों में सौर ऊर्जा मृदा नमी स्थान तथा पोषक तत्व आदि के लिए प्रतिस्पर्धा नहीं हो |
पोषक तत्व की उपलब्धता
मिश्रित खेती ( Mixed Farming in Hindi ) में किसानों को एक फसल अपस्थानिक जड़ों वाली तथा दूसरी फसल को गहरी जड़ वाली का प्रयोग करना चाहिए |
फसलों की वृद्धि का स्वभाव
किसानों को मिश्रित खेती ( Mixed Farming in Hindi ) में प्रयोग की गई फसलों में से एक फसल को भूमि पर फेल कर चलने वाली होनी चाहिए और दूसरी फसल को सीधे बढ़ाने वाली बी का इस्तेमाल करना चाहिए ऐसा करने से वृद्धि के लिए इन विभिन्न सखावो में कार्बन डाइऑक्साइड तथा प्रकाश आदि की प्राप्ति दोनों फसलों को समान रूप से मिलती है जिस कारण से दोनों फसलों की पैदावार अच्छे प्राप्त होगी |
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
मिश्रित खेती एक विशेष प्रकार की खेती होती है जिसमें फसलों के उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन भी शामिल होता है यह आमतौर पर भारत मलेशिया अफगानिस्तान दक्षिण अफ्रीका चीन मध्य यूरोप कनाडा और रूस जैसे देशों में किया जाता है |
तिलकधरी प्रसाद कुशवाहा कृषि में मिश्रित फसल की खेती करने के लिए जाने जाते हैं |
भारत में मिश्रित फसलों की खेती की जा सकती है जिन किसानों के पास कम जमीन है वह किस मिश्रित खेती की तकनीक को अपनाकर खरीफ की फसल से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं |