Shakarkand ki kheti : इस तरह से करें शकरकंद की खेती होगी बंपर कमाई

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट शकरकंद की खेती ( Shakarkand ki kheti ) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको शकरकंद की खेती ( Shakarkand ki kheti ) के बारे में बताएंगे यदि आप भी इसकी खेती करना चाहते हैं तो इस ब्लॉक को अंत तक अवश्य पढ़े |

शकरकंद की खेती ( Shakarkand ki kheti )का सही तरीका और लाभ :-

बहुत सारे किसान विभिन्न प्रकार के फसलों की खेती करते हैं अनाज फसलों के अलावा भी विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियों की खेती करते हुए इन्हीं फल और सब्जियों के अंतर्गत एक का नाम शकरकंद होता है जो खाने में आलू की तरह लगता है लेकिन इसमें आलू से अधिक स्टार्च और मिठास होती है इतना ही नहीं बल्कि इसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन भी पाया जाता है इसका सेवन करने से चेहरे पर चमक और बालों की बढ़ोतरी होती है सर्दियों में इसका सेवन अधिक मात्रा में किया जाता है यदि किसान शकरकंद की खेती ( Shakarkand ki kheti )करते हैं तो काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं |

यदि आप भी शकरकंद की खेती की खास बातें और इससे होने वाले लाभ के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढे |

शकरकंद की खेती ( Shakarkand ki kheti )का सही समय :-

आमतौर पर शकरकंद की खेती ( Sweet Potato Farming ) किसी भी मौसम में की जा सकती है लेकिन इसकी खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए इस गर्मी और बारिश के मौसम में लगाना चाहिए ज्यादा यानी ग्रीष्मकालीन मौसम में इसके पौधों की रोपाई जून से अगस्त महीने के मध्य में की जाती है इसके बाद इसकी फसल खरीफ की फसल के साथ तैयार हो जाती है अब इसे दिसंबर से जनवरी महीने में धान की दूसरी कटाई के बाद बोया जाता है |

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शकरकंद की खेती के लिए उन्नत किस्मे ( Sweet Potato Farming in hindi ) :-

शकरकंद की खेती Sweet Potato Farming करने के लिए 400 से अधिक किस्म उपलब्ध है इसमें से भारत में ज्यादातर किसान इस किस्म की खेती करते हैं उसे पूसा सफेद, पूसा सुनहरी, कोंकण अश्विनी, श्रीभद्रा, श्री अरुण, श्री वरुण, राजेंद्र शकरकंद-5, कालमेघ, श्री रत्न क्रॉस-4, श्री वर्धिनी, श्री नंदिनी और वर्षा प्रमुख हैं। शकरकंद की उन्नत किस्में 110 से 120 दिन में तैयार हो जाती है |

शकरकंद की श्रीभद्रा किस्म पर मिल रही है सब्सिडी :-

शकरकंद एक ऐसी किसमे होती है जो कम समय में तैयार हो जाती है यह कि सिर्फ 90 से 105 दिनों में पककर तैयार हो जाती है इसमें लगने वाले कांड का साइज छोटा और गुलाबी रंग का होता है इसके कन्द में 33% शुष्क पदार्थ 20% स्टार्च और 2.9 प्रतिशत चीनी की मात्रा पाई जाती है शकरकंद की किस्म से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है यह किस राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर शकरकंद की श्रीभद्रा किस्म के बीज पर 35% सब्सिडी के साथ 1562 रुपए में उपलब्ध कराए जा रहे हैं |

जो भी किसान इस किस्म को खरीदना चाहते हैं वह एलडीसी के ऑनलाइन स्टोर से इसे खरीद सकते हैं इसके बावजूद भी किसान किसी भी प्रकार के बीच खरीदना चाहते हैं तो ऑनलाइन आर्डर करके अपने घर पर भी मंगवा सकते हैं |

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शकरकंद की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु :-

शकरकंद की खेती Sweet Potato Farming करने के लिए उचित जल विकास वाली दोमट या चिकनी मिट्टी की आवश्यकता होती है जो कार्बनिक तत्वों से भरपूर होता है खेती करते समय या ध्यान रहे की मिट्टी का पीएच मान 5.8 से 6.7 के बीच होना चाहिए शकरकंद की खेती के लिए शीतोष्ण और समशीतोष्ण जलवायु अच्छी मानी जाती है और इसकी खेती के लिए तापमान 22 से 27 के बीच होना चाहिए |

शकरकंद की खेती के लिए खेत की तैयारी :-

शकरकंद की खेती करने से पहले खेत की पहले जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें और उसके बाद खेतों को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दे जिस खेत के मिट्टी में अच्छे तरीके से धूप लग जाए और पुराने फसलों के ऑफिस नष्ट हो जाए इसके बाद खेत में 200 से 220 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में डाल दें इसके बाद रोटावेटर की सहायता से दो-तीन बार तिरछी जुताई करके खेत की मिट्टी को भूरभुरा बना लेना चाहिए इसके बाद ही खेत में शकरकंद की बुवाई करना चाहिए |

शकरकंद के पौधों की रोपाई नर्सरी में तैयार की गई कटिंग के रूप में की जाती है इसके लिए पौधों को एक महीने पहले तैयार किया जाता है इसके बाद उसे उखाड़ कर कटिंग करके रोपाई की जाती है इसके अलावा यदि आप नर्सरी नहीं तैयार करना चाहते हैं तो रजिस्टर्ड नर्सरी से भी पौधे खरीद कर लगा सकते हैं |

शकरकंद के पौधों की रोपाई का समय और दूरी :-

शकरकंद के पौधे की रोपाई करते समय पौधों से पौधों के बीच की दूरी 1 फीट रखनी चाहिए और कटिंग को 20 सेंटीमीटर की गहराई पर होना चाहिए पौधों की रोपाई के बाद उसके चारों तरफ मिट्टी से ढक देना चाहिए शकरकंद की खेती Sweet Potato Farming में कतारों में भी की जा सकती है इसके लिए सबसे पहले कतार तैयार करनी होगी कतार से कतार के बीच की दूरी 2 फीट रखनी चाहिए और पौधों से पौधों के बीच की दूरी 40 सेंटीमीटर रखनी चाहिए |

शकरकंद की खेती से प्राप्त लाभ :-

यदि आप शकरकंद के उन्नत किस्म की खेती करते हैं तो शकरकंद की खेती Sweet Potato Farming से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है यह अनुमान लगाया जाता है कि एक हेक्टेयर में शकरकंद की खेती की जाए तो लगभग 25 टन तक पैदावार प्राप्त होती है यदि बाजार में शकरकंद का भाव ₹10 किलो भी हो तो 25 तन शकरकंद को बेचकर लगभग 2.5 से ₹3 लाख रुपए की कमाई की जा सकती है |

सामान्यतः पूछे जाने वाले
शकरकंद की बुवाई कैसे की जाती है ?

शकरकंद की खेती करने के लिए भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती है इसके लिए खेत को मिट्टी पलटने वाले रोटावेटर या कल्टीवेटर की सहायता से तीन से चार बार गहरी जुताई कर दी इसके बाद खेतों को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दे इससे खेत की मिट्टी में धूप अच्छे तरीके से लग जाएगी और पुराने फसलों के अवशेष नष्ट हो जाएंगे |

शकरकंद की खेती कौन से महीने में की जाती है ?

शकरकंद की खेती करने के लिए अप्रैल से जुलाई के महीने में गर्मी और बारिश के मौसम में की जाती है तथा इसके नर्सरी खेती के लिए जनवरी से फरवरी महीने में तैयार किए जाते हैं जबकि बुवाई के लिए 30 से 35000 कटिंग कर हुए बिल या 300 से 320 किलो में आ सकता होती है |

शकरकंद के बीज कितने रुपए किलो होते हैं ?

ए ग्रेड पश्चिम बंगाल शकरकंद बीज पैकेजिंग आकर 50 किलोग्राम बाकुरा में 410 रुपए किलो प्रति ग्राम होता है |

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