दीपावली कब मनाया जाता है

हेलो दोस्तों आज मैं आपको इस लेख के माध्यम से हिंदुओं के एक प्रमुख त्योहार दीपावली के बारे में बताने जा रहे हैं। कि दीपावली क्यों मनाई जाती है। क्यों इस दिन दीपक जलाया जाता है ।कि इस दिन गणेश- लक्ष्मी की पूजा की जाता है ।इस तरह की सभी बातें इस लेख के माध्यम से जानेंगे।

भारत एक ऐसा देश है। जिसे त्योहारों की भूमि कहा जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार कुल 33 कोटी देवी -देवता हैं ।इस प्रकार से देखें तो हमेशा किसी- न- किसी त्योहारओं का माहौल बना रहता है। इन्हीं त्योहारों ,इन्हीं पर्व  में से एक खास पर्व है। जो दीपावली के नाम से जाना जाता है। और  दशहरा के ठीक 20 दिन बाद मनाया जाता है। इस त्यौहार को देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़े ही धूम – धाम से मनाया जाता है।

दीपावली और दीपोत्सव मनाने के पीछे कई कहानियां प्राप्त होती हैं। लेकिन इन्हीं कहानियों में से, इन्हीं तथ्यों में से पांच तथ्यों के बारे में बताएंगे। जो कि सर्वमान्य है।

दीपावली

इन्हीं पांच तथ्यों में से तीन हिंदू समुदाय से , एक सिख समुदाय से और एक जैन समुदाय से संबंधित है। जो आज हम इन सभी कथाओं को और कारणों को जानेगे। कि दीपावली क्यों मनाया जाता है ।दीपक क्यों जलाया जाता है और गणेश -माता लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है।

दीपावली कब मनाया जाता है।

दीपावली का त्यौहार दीपोत्सव का यह त्यौहार कार्तिक अमावस्या को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। दीपावली भारत के सबसे बड़े और प्रतिभाशाली त्योहारों में से एक है ।दीपावली रोशनी का त्योहार है। जो शरद ऋतु में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिंदू त्यौहार है ।

  1. 2022 दीपावली का त्यौहार अक्टूबर 22 को धनतेरस है ।
  2. और अक्टूबर 23 को नरका चतुर्दशी तथा छोटी दीपावली है ।
  3. अक्टूबर 24 को दिपावली है ।
  4. अक्टूबर 25 को गोवर्धन पूजा है ।
  5. अक्टूबर 26 को भैया दूज हैं।

दिपावली क्यों मनाई जाती है ।

  • पहली कहानी भगवान राम से जुड़ी है- त्रेता युग में जब भगवान श्री रामचंद्र जी को 14 वर्ष का वनवास हुआ। उस दौरान वे उस 14 वर्ष में अनेक यात्राओं को झेलते हुए लंका पहुंचे। वहां पर लंकापति रावण का वध करने के बाद भगवान श्री रामचंद्र कार्तिक अमावस्या को ही अयोध्या लौटे थे। इस अवसर पर समस्त अयोध्या वासी  भगवान श्रीराम के नगर वापसी पर खुशी मनाते हुए घी के दीपक जलाए थे ।तब से ही दिवाली का पर्व मनाया जाने लगा है।
  • दूसरी कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है- समुद्र मंथन के समय कार्तिक अमावस्या को ही छीर सागर से माता लक्ष्मी उत्पन्न हुई थी। और भगवान श्री हरि विष्णु जी और माता लक्ष्मी का विवाह संपन्न हुआ था। तभी से दीपावली का त्यौहार मनाते हुए माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है ।माता लक्ष्मी धन की देवी है। इसलिए हर घर में दीपक जलाने के साथ-साथ माता लक्ष्मी के पूजन अर्चन भी किए जाते हैं। जिससे कि माता लक्ष्मी का उस घर में सदा निवास सदा वास बना रहे।
  • तीसरी घटना भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी हुई है- द्रवापर युग में एक राक्षस नरकासुर हुआ करता था ।वह बहुत ही अत्याचारी था। एक बार वह 16 हजार युक्तियों का अपहरण कर लिया था ।तब भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था ।और उन 16 हजार युक्तियों को नरकासुर से मुक्त कराया था। वह दिन भी कार्तिक अमावस्या का ही दिन था।  कृष्ण भक्ति धारा के लोग इसी दिन को दीपावली के रूप में बड़े ही धूमधाम से मनाने लगे ।और तब से यह दीपावली का त्यौहार मनाया जाने लगा।
  • चौथी कहानी सिख समुदाय से जुड़ी हुई है- एक बार की बात है। जब मुगल बादशाह जहांगीर ने 52 हजार राजाओं को ग्वालियर के किले में बंदी बनाकर रखा था उस दौरान सिखों के 6वें गुरु हरगोविंद सिंह ने अपनी सूझ-बूझ एवं अपनी बुद्धिमानी से उन 52 हजार राजाओं को जहांगीर के कैद से मुक्त कराया था। तभी से सिख समुदाय भी दीपावली का यह त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाने लगे।
  • पांचवी कथा जैन धर्म से जुड़ी हुई है- जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को कार्तिक अमावस्या की रात को ही निर्माण की प्राप्ति हुई थी। और इसी दिन भगवान महावीर के प्रमुख गणधर गौतम स्वामी कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसलिए दीप और रोशनी के त्योहार दीपावली को जैन धर्म के लोग भी बड़े ही धूमधाम से मनाने लगे। जैन ग्रंथों के अनुसार भगवान महावीर स्वामी ने दीपावली वाले दिन अर्थात कार्तिक अमावस्या के दिन मोक्ष में जाने से पहले आधी रात को अंतिम उपदेश दिया था। जिससे उत्तरा ध्यान सूत्र के नाम से जाना जाता है। भगवान महावीर स्वामी के मोक्ष में जाने के बाद वहां मौजूद जैन धर्म के लोग ने दीपक जलाकर रोशनी करते हुए खुशियां मनाई थी। जैन धर्म के लिए यह त्यौहार विशेष रूप से त्याग और तपस्या के त्यौहार के तौर पर मनाया जाता है। इसलिए इस दिन जैन धर्म के लोग भगवान महावीर स्वामी की पूजा विशेष रूप से करते हैं ।और उनके त्याग और तपस्या को याद करते हैं। सभी जैन मंदिरों में विशेष पूजन का आयोजन किया जाता है।

इस तरह से ही इन पांच बिंदुओं को आधार मानकर के इस त्यौहार को दीपावली त्यौहार को बड़े धूमधाम से भारत देश में ही नहीं अपितु देश- विदेश में भी मनाया जाता है। जो कि पूरे हर्ष उल्लास का दिन होता है। जो कि पूरे घर में दीपक जलाए जाते हैं। बच्चे पटाखे बजाते हैं। और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना करके उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है ।दीपावली के दिन माता लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान श्री गणेश एवं कुबेर जी का भी पूजन अर्चन किया जाता है। भगवान श्री गणेश बुद्धि के देवता हैं। इसलिए भगवान श्री गणेश के सामने नतमस्तक होकर उनसे प्रार्थना करते हैं ।कि हमें सदैव सद्बुद्धि के मार्ग की ओर ले चले। और कुबेर जी धन के देवता होने के कारण धन की पूजा किया जाता है। जिससे कुबेर जी की दृष्टि हम पर बनी रहे। और सदैव धन प्रचुर मात्रा में हमारे भंडार को भरे रहें।

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