Chiku ki Kheti- चीकू की खेती कैसे करें होगी बम्पर कमाई |

Chiku ki Kheti- हमारे देश में अधिकांश भाग में खाद्यान्न फसलों की खेती की जाती है | जिससे उत्पादन भी कम मिलता है और मुनाफा भी काम होता है | बागवानी फसलों के द्वारा किसान भाइयों के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है तथा अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है |आज हम आपको चीकू की खेती (Chiku ki Kheti) के बारे में बताने वाले हैं | जिससे हमारे किसान मित्र अपनी पारंपरिक खेती में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं | संपूर्ण जानकारी के लिए लिखो अंत तक जरूर पढ़ें |

भारत में सबसे ज्यादा फल उत्पादन झारखंड में किया जा रहा है | झारखंड में फल उत्पादन 0.25 लाख हैक्टेयर भूमि किया जा रहा है जो कि पूरे भारत की आपूर्ति के लिए बहुत ही काम है | बागवानी फसलों को लगाकर अधिक से अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है | इसके साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा भी हो की जा सकती है | साथ ही भारत को कुपोषण रहित बनाया जा सकता है क्योंकि फलों में अधिक मात्रा में विटामिन और प्रोटीन जैसे पोषक तत्वों की भरमार होती है |

जिससे चीकू की बहुत मांग है इसलिए किसान भाई चीकू की खेती (Chiku ki Kheti)करे के लम्बे समय तक अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं |चीकू में भरपूर मात्रा में विटामिन B, विटामिन C, विटामिन E, पोटैशियम, फाइबर, मैगनीज, मैग्नीशियम के साथ बहुत से हमारे शरीर के लिए लाभदायक तत्व पाए जाते हैं | चीकू की खेती (Chiku ki Kheti) की सम्पूर्ण विस्तार में बताई गयी है |

चीकू से संबंधित जानकारी

चीकू एक फल है | इसका नाम सपोटा भी है | चीकू का वैज्ञानिक नाम Manilkara zapota है  | चीकू का पेड़ मेक्सिको देश से लाया गया है | परंतु आज के समय में चीकू की खेती (Chiku ki Kheti) भारत के कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड तथा तमिलनाडु के राज्य में बहुत बड़े क्षेत्र में की जा रही है |

चीकू के फल में बहुत से पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक साबित होते हैं | चीकू की त्वचा मोटी तथा भूरे रंग की होती है | चीकू में एक या दो काले रंग के बीज पाए जाते हैं |

चीकू की खेती (Chiku ki Kheti) के लिए उपयुक्त मिट्टी 

चीकू की खेती (Chiku ki Kheti) के लिए अच्छे जल निकास वाली रेतीली दोमट और काली मिट्टी तथा अच्छे जल निकास वाली गहरी जलोढ़ मिट्टी काफी उपयुक्त मानी जाती है | तथा भूमि का पीएच मान 6 से 8 के मध्य होना अच्छा होता है इस प्रकार की मिट्टी हमारे झारखंड में बहुत अच्छी मात्रा में पाई जाती है | हमारे झारखंड के किसान भाई चीकू की खेती (Chiku ki Kheti) करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं |

चीकू की खेती (Chiku ki Kheti) के लिए ज्यादा सिंचाई और देखरेख की आवश्यकता भी नहीं होती है तथा खाद और पानी भी कम लगते हैं जिससे हमारे किसान भाई चीकू की खेती (Chiku ki Kheti) करके कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं |

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Chiku ki Kheti

चीकू की उन्नत किस्में

भारत में चीकू की बहुत सी प्रमुख किस्में मौजूद हैं जिनकी कुछ-कुछ में निम्नलिखित है

  • क्रिकेट बॉल
  • काली पट्टी
  • भूरी पत्ती
  • पीकेएम एक
  • झुमकीया आदि |

चीकू का पौध रोपण

Chiku ki Kheti- चीकू का पौधा लगाने के लिए सबसे पहले कलम या भेंट कलम विधि के द्वारा नर्सरी को तैयार कर लिया जाता है | नर्सरी तैयार करने के लिए सबसे उपयुक्त समय मार्च और अप्रैल का महीना होता है | नर्सरी तैयार होने के बाद चीकू लगाने के लिए सबसे उपयुक्त समय वर्षा ऋतु होती है | चीकू के पौधे की रोपाई करने के लिए गर्मी के दिनों में ही खेत में 90 सेंटीमीटर वर्गकार गड्ढे को तैयार करने चाहिए |

गड्ढे बनाने के बाद गड्ढे में 30 किलोग्राम गोबर की खाद तथा 2 किलोग्राम करंज की खाली और 5 से 7 किलोग्राम हड्डी का चूड़ा मिलाकर गड्ढे में अच्छे से डाल देना चाहिए | जब एक बरसात हो जाए तो इसके बाद गड्ढे में चीकू की नर्सरी को लगा देना चाहिए | इसके बाद पेड़ की सिंचाई कर देनी है |

चीकू की खेती में खाद एवं उर्वरक

चीकू एक पोषक तत्वों से भरपूर फल होता है इसलिए उसकी पोषण के लिए खाद की आवश्यकता होती है | इसके लिए आवश्यकता अनुसार प्रतिवर्ष खाद को डालते रहना चाहिए | इससे पौधों की वृद्धि अधिक होती है और उन्हें फल भी अच्छे आते हैं |

चीकू के पौधे की रोपाई करने के 1 वर्ष बाद प्रति पेड़ की दर से 4 से 5 टोकरी को गोबर की खाद या जैविक खाद दो से तीन किलोग्राम अरंडी या करंज की खाली और 50:25:25 के अनुपात में एनपीके को प्रति पौधे में डालते रहना चाहिए | इस मात्रा को लगभग 10 वर्ष तक बढ़ाते रहना चाहिए | इसके बाद प्रति पौधे में 500: 250: 250 ग्राम एनपीके की मात्रा को प्रतिवर्ष देते रहना चाहिए | चीकू के पौधे को खाद देने का सबसे अच्छा समय जून और जुलाई का महीना होता है |

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सिंचाई

चीकू की खेती (Chiku ki Kheti) में बरसात के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती | गर्मियों की मौसम में चीकू के पौधों को 7 से 15 दिन के अंतराल में सिंचाई करते रहना चाहिए | सिंचाई करने से चीकू के पौधों में अच्छी वृद्धि होती है | इसके फल भी अच्छी गुणवत्ता वाले प्राप्त होते हैं |

चीकू के पौधे की देखरेख तथा काट छांट

चीकू के पौधे को लगभग 2 से 3 वर्ष तक ज्यादा देखरेख की जरूरत होती है | इसके बाद इसका पौधा तैयार होकर फल देना शुरू कर देता है | जिससे अच्छी उपज मिलती रहती है |

पौधे की देखरेख की बात की जाए तो सर्दी के मौसम में और गर्मी के मौसम में अधिक सिंचाई और सर्दी के मौसम में पाले से बचाव के लिए कुछ प्रबंध करना चाहिए | पाले से बचाने के लिए पौधे को पुवाल या फिर घास के छप्पर को इस प्रकार बनाना चाहिए कि वह तीन तरफ से ढका रहे और दक्षिण और पूर्व की दिशा में वह खुल रहे |  जिससे उसके पौधों को धूप और हवा अच्छे से मिलता रहे | चीकू के पेड़ में चारों ओर से शाखाएं निकली रहती है जो की कटाई छटाई न करने पर भूमि में फैल जाती हैं तथा चीकू के प्रत्येक शाखा में फलों का प्रॉब्लम होता है जिसमें फल लगते हैं |

पौधे की रोपाई करते समय चीकू के पौधे में उगी हुई अन्य शाखाओं को पेड़ से अलग कर देना चाहिए | चीकू का पेड़ बहुत बड़ा होता है | तब उनकी शाखाएं झुकती चली आती हैं और भूमि को छूने लगते हैं | पेड़ की निकली शाखाएं ऊपर की शाखों से पूरी तरह से ढक जाती हैं और इन शाखों में फल आने बंद हो जाते हैं | इस दौरान आपको निकली शाखों को काटकर निकाल देना चाहिए  | इससे फल अच्छे आते हैं और पैदावार अधिक मिलती है |

चीकू के पौधे में पुष्पम एवं फलन का समय

चीकू का पौधा साल में दो बार फल देता है | पहला फल फरवरी से जून माह तक देता है तथा दूसरा फल सितंबर से अक्टूबर के माह तक देता है | चीकू के पौधे में फल लगने से लेकर पकाने तक में लगभग 4 महीने का समय लगता है |पकने के बाद चीकू के फलों को गिरने का भी खतरा रहता है | इस समस्या से बचने के लिए पुष्प के समय ही वृक्ष पर जिब्रेलिक 50 से 100 पम पीएम तथा फल लगने के बाद फलों पर प्लैनोफिक्स 4 मिली पानी में खोलकर छिड़काव करने से फलों के गिरने में कमी आती है |

चीकू की खेती (Chiku ki Kheti) में रोग तथा कीट नियंत्रण

आपको बताते की चीकू की खेती (Chiku ki Kheti) में रोग तथा कीटों का आक्रमण बहुत ही काम होता है | कभी-कभी इसमें फलों के फलों में दाग रोग तथा काली बेधक, पत्ती लपेटक, रोगों का आक्रमण हो जाता है | इससे बचने के लिए पौधों पर मैंकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर तथा मोनोक्रोटोफास को 1.5 पांच मिली प्रति लीटर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए

चीकू की खेती में उपज तथा मुनाफा

चीकू की खेती (Chiku ki Kheti) में पैदावार की बात की जाए तो एक एकड़ में लगभग 300 पौधे लगाए जाते हैं जिसमें चीकू प्रतिवर्ष प्रति पौधे की औसतन उपज 120 किलोग्राम से 130 किलोग्राम होती है | इस हिसाब से एक एकड़ में न्यूनतम उपज लगभग 30 से 35 टन की उपज हो जाती है |

chiku ki kheti

बाजार में चीकू की कीमत की बात की जाए तो थोक में चीकू का भाव 30 से 40 रुपए किलो के हिसाब से बिकता है वही रिटेल में इसका भाव और अधिक मिल सकता है | इस हिसाब से आप एक एकड़ में प्रतिवर्ष 10 से 12 लाख रुपए आराम से कमा सकते हैं और चीकू का वृक्ष लगभग 30 वर्षों तक फल देता है | जिससे आपकी हर साल आमदनी में की वृद्धि होगी |

सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न 

चीकू का पौधा कितने सालों में तैयार हो जाता है ?

चीकू के पौधे की देख-रेख अच्छे से कर देने पर वह 2 साल में फल देने के लिए तैयार हो जाता है |

चीकू का पौधा कितने साल तक फल देता है ?

चीकू का पेड़ 30 से 40 तक साल तक फल देता है | जिससे आप अच्छी कमाई कर सकते हैं ?

चीकू की कीमत कितनी है ?

1 किलो चीकू की कीमत 30 से 40 रुपये होती है |

एक एकड़ चीकू की खेती में कितना उत्पादन मिलता है |

एक एकड़ चीकू की खेती (Chiku ki Kheti) में 30 से 35 टन फल का प्रति वर्ष उत्पादन मिल जाता है, जो कि समय के साथ बढ़ता रहता है |

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