धान की खेती कैसे करे

कोरोना महामारी के वजह से हमारे देश में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उसी समस्याओं में एक  ये भी समस्या है की गरीब लोगो के पास खाने के लिए चावल आदि प्रकार के खाने की चीजों की जरूरत पड़ रही है इसीलिए लोग अधिक मात्रा में धान की उपज करके गरीबो को सहायता प्रदान करे । धान का कटोरा कहे जाने वाला छत्तीसग़ढ प्रदेश में लगभग 17.25 लाख हेक्टेयर भूमि में Dhan की खेती की जा रही है धान की खेती पुरे विश्व में बड़े पैमाने पर होती है तथा यह पुरे विश्व में पैदा होने वाली प्रमुख फसलों में से एक है भोजन के रूप में सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाली खाद्य चावल ही है अगर हम खाद्य की बात करे तो यह भारत भर में नहीं बल्कि पुरे विश्व में अधिकांश देशो की प्रमुख खाद्य है यह विश्व में अधिक प्रयोग होने के कारण इसे प्रमुख फसलों में से एक प्रमुख फसल माना गया है चावल के उतपादन में चीन का पहला स्थान है तथा दूसरे स्थसन पर अपना भारत देश है जो चावल की अधिक उत्पाद करता है Dhan की अधिक उपज बढ़ाने के लिए लगभग 100 सेंटीमीटर वर्षा की जरूरत पड़ती है ।

भारत में धान की खेती

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हमारे भारत देश में धान की खेती ज्यादा पैमाने पे की जाती है पछिम बंगाल , पजाब,  हरियाणा , आंध्रप्रदेश , उत्तरप्रदेश ये सब ऐसे राज्य है जहा पर बहुत ही अधिक मात्रा में धान की खेती की जाती हैं झारखंड ऐसे राज्य है जहा पर धान की खेती 71 प्रतिशत भूमि पर की जाती है यह अच्छे प्रजाति राज्य में बहुसंख्यक के रूप में चावल प्रमुख है Dhan की खेती के लिए किसानो को धान के बारे में अच्छे से पता होना चाहिए जिससे वह अपनी  उत्पादक में वृद्धि कर सके धान की उत्पादकता बढ़ने के लिए किसानो को इसके बारे में पता होना चाहिए की अच्छे प्रजाति के धान के किस्मे का चुनाव करना व भूमि एवं जलवायु आदि को उचित तरह से चुनना ।

धान की खेती कैसे करे (How to Cultivate Paddy) 

यदि आप किसान है तो और Dhan की उन्नत और आधुनिक खेती करना चाहते है तो आपको हमरी इस लेख को तो जरूर पढ़ना चाहिए क्योकि हम अपने लेख में धान के खेती करने का तरीका व dhan की खेत को कैसे तैयार करते है और अच्छे वाले बीज के किस्मो को चुनना तथा धान में लगने वाले किट व रोगो एवं उसके समाधान क्या है तथा हम आपको ये भी बताएँगे की एक किसान धान की बुवाई से लेकर धान की फसल के कटाई तक की पूरी प्रक्रिया में उसे क्या क्या करना पड़ता है ये सब जानकरी हम आपको निचे अपनी लेख में दे रहे है ।

धान की खेती

धान खरीफ के फसलों में से प्रमुख फसल है प्रदेश में विगत 5 वर्षो से धान की खेती के अंतर्गत क्षेत्र उत्पादक एवं उत्पादकता क आकड़ो के अनुशार प्रदेश में Dhan की औसत उपज में बढ़त हो रही है लेकिन अन्य प्रदेशो के मामले में धोड़ा सा कम हो रहा है परन्तु हम सब इनआकड़ो को बदल सकते है अधिक मेहनत व जटिल विधियों को अपना कर ।

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धान की अधिक उपज बढ़ाने के लिए निम्न बाते

आप स्थानीय परिस्थितियों जैसे क्षेत्रीय जलवायु क्या है मिटटी किस प्रकार की है सिंचाई के साधन जल भराव वक बुवाई एवं रोपाई के अनुकूल के अनुसार ही आप धान के अच्छे संस्तुत प्रजातियों का चयन करे ।

  • आप शुद्ध प्रमाणित और शोधित बीज ही बोये
  • भूमि परिक्षण के आधार पर ही संतुलित उर्वरको हरी खाद एवं जैविक खाद का समय से एवं सही मात्रा में प्रयोग करे
  • आपके पास उपलब्ध सिंचाई के साधन होने चाहिए जिससे आप समय पर बुवाई रोपाई कर सके
  • पौधों की संख्या प्रति इकाई क्षेत्र के हिसाब से ही सुनिचित करे
  • किट रोग एवं खरपतवार नियंत्रण पर समय दर समय उसमे खाद डाले

धान की खेती करने की सम्पूर्ण विधि

भूमि की तैयारी-

खेत को गर्मी के महीने में ही 2 से 3 बार जुताई करवा लेनी चाहिए और लगभग आप 20 जून तक अपनी खेत की मजबूती से मेड़बंदी कर दे जिससे वर्षा का पानी अधिक समय तक सिंचित रहे यदि आप अपने खेत में हरी खाद के रूप में ढेंचा / सनई ली जा रही है तो आप उसमे बुवाई के समय फास्फोरस का प्रयोग भी कर ले Dhan की बुवाई के एक सप्ताह पहले ही खेत में सिंचाई कर दे जिससे उसमे ुअग्ने वाला खर पतवार व घास उग आवे फिर आप बुवाई के समय खेत में पानी भरकर जुताई कर दे ।

धान के बीज की प्रजातियों का चयन-

भारत में दो तरीको से धान की खेती असिंचित व सिंचित दशाओ में सीधी बुवाई एवं रोपाई द्वारा की जाती है

असिंचित दशा शीघ्र पकने वाली प्रजाति
सीधी बुवाई –

गोविन्द , नरेंद्र -118, नरेंद्र -97, गोविन्द , शुष्क सम्राट , नरेंद्र -118

रोपाई –

गोविन्द , नरेंद्र -80 , शुष्क सम्राट , मालवीय , नरेंद्र -118

सिंचित दशाओ में शीघ्र पकने वाली 100-120 दिन

नरेंद्र -118 , नरेंद्र -97 , शुष्क सम्राट , मालवीय dhaan-2, मनहर पूसा -169, नरेंद्र 80, पंत धान -12, पंत धान 10

मधयम अवधि में पकने वाली  120-140 दिन

पंत धान -4 , सरजू 52, नरेंद्र -359 , पूसा -44 , नरेंद्र धान 2064, नरेंद्र धान 3112-1

देर से पकने वाली धान की प्रजाति  140 से अधिक दिन

सुगंधित धान – टा -3 , पूसा , बासमती , हरियाणा बासमती , पूसा , सुगंध -4 , वल्ल्भ , बसंती 22, मालवीय , सुगंध 105 , तारवड़ी , बासमती , स्वर्ण महसूरी

ऊसरीली – साकेत -4, झोना -349, साकेत 4 , बासमती -370, पूसा बासमती , वल्ल्भ बसंती -22, मालवीय sugndh-105, नरेंद्र सुगंध

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शुद्ध एवं प्रमाणित बीजो का चयन

प्रमाणित बीजो से उत्पाद अधिक मात्रा में मिलता है और किसान अपने उत्पाद के दर से ही वह अगले वर्ष बीज के प्रजाति को बदले जैसे – उत्पाद कम हुआ तो अच्छे बीजो को चुने यदि आप प्रमाणित बीजो की बुवाई कर रहे है तो आपको उत्पाद में कमी नहीं आएगी किसान हमेशा इस बात का ध्यान रहे की वह अच्छे किस्म के Dhan की प्रजातियों को चुने ।

उर्वरको का संतुलित मात्रा में प्रयोग एवं विधि

किसान भाईयो को उर्वरको का प्रयोग मिटटी की उचाईयो के आधार पर ही करना चाहिए जिससे उनको पता चले की उन्हें कोण सी उर्वरको का प्रयोग करनी चाहिए यदि किसी कारण वश मिटटी की जाँच नहीं हुयी है तो आप उर्वरको का प्रयोग निम्न प्रकार से कर सकते हैं ।

सिंचित दशा में रोपाई अधिक उपज वाली प्रजाति उर्वरक की मात्रा किलो/ हेक्टेयर

प्रजाति  नाइट्रोजन  फास्फोरस  पोटाश 
शीघ्र पकने वाली  120 60 60

प्रयोग –

इस विधि से आप नत्रजन की एक चौथाई भाग तथा फास्फोरस की एक पोटाश की पून मात्रा में कुण्ड में बीज को निचे डाले , शेष बचा हुआ नत्रजन का दो चौथाई भाग कल्ले फूटते समय तथा शेष बचा हुआ एक चौरथायी भाग वाली बनाने की प्रारम्भिक अवस्था पर प्रयोग करे ।

प्रजाति  नाइट्रोजन  फास्फोरस  पोटाश 
मध्यम देर से पकने वाली प्रयोग विधि  150 60 60
सुगन्धित धान ( बौनी प्रयोग विधि ) 120 60 60

देशी प्रजातियां उर्वरक की मात्रा किलो / हेक्टेयर

प्रजाति  नाइट्रोजन  फास्फोरस  पोटाश 
शीघ्र पकने वाली  60 30 30
मध्यम देर से पकने वाली 60 30 30
सुगन्धित धान 60 30 30

जल प्रबंध –

धान की सिंचाई क्षमता के उपलब्ध होते हुए भी Dhan का लगभग 60 से 62 प्रतिशत क्षेत्र ही सिंचित भाग है जबकि धान की फसलों के लिए सिचाई बहुत ज्यादा जरूरत पड़ती हैं धान की फसल की सिचाई के लिए समय समय पर उसे सिचाई करते रहना चाहिए परीक्षणों के आधार पर पता चला है धान की फसलों को समय समय पर भरते रहने से उपज अधिक मात्रा में प्राप्त होता है ।इसलिए आप धान की सिचाई समय समय पर करते रहना चाहिए । यदि  समय पर सिचाई करेंगे तो आपके खेत में खर पतवार कम मात्रा में होंगे और किसान भाईयो को इस बात का ध्यान रहे की खेत में अधिक समय तक पानी न ठहरे खेत में पानी रहने से आपकी फसल में फास्फोरस , लोहा तथा मैगनीज तत्वों की उपलब्धता बढ़ जाती है ।

धान में फसल की सुरक्षा –

धान के प्रमुख  किट

  • दीमक
  • जड़ की सूड़ी
  • पत्ती लपेटक
  • नरई किट
  • गंधी बग
  • सैनिक किट
  • हिस्पा
  • बंका किट
  • तना बेधक
  • हरा फुदका
  • भूरा फुदका
  • सफेद पीठ वाला फुदका

धान की फसल में लगने वाले ये प्रमुख किट है यदि आप इन सब का समाधान नहीं किया तो आपके फसलों को को काफी नुकसान का सामना करना पड़ेगा इसके रोकधाम के लिए आपको धान में लगने वाले किट के नियंत्रण के बारे में पढ़ना होगा ।

प्रमुख रोग –

  • सफेदा रोग
  • खैरा रोग
  • शीथ ब्लाइट
  • झोंगा रोग
  • भूरा रोग
  • जीवाणु झुलसा
  • जीवाणु धारी
  • मिध्य कंडुआ

धान में लगने वाले ये प्रमुख रोग है इनका समय पर समाधान नहीं किया गया तो आप को नुकसान का सामना करना पड़ेगा आप इसका उपाय समय रहते कर  देना चाहिए ।

प्रमुख खरपतवार

  • होरा घास
  • बुलरस
  • छतरी दार मोथा
  • गंध वाला  मोथा
  • पानी की बरसीम
  • सांवा
  • सावंकी
  • बूटी
  • मकरा
  • कांजी
  • बिलुआ कंजा
  • मिर्च बूटी
  • फूल बूटी
  • पान पत्ता
  • घारीला
  • दाद मारी
  • साथिया
  • कुसल
  • बम्भोली

ये सब धान की खेती में प्रमुख खरपतवार है ये सब काफी हद तक फसलों को नुक्सान पहुँचाती है इसके नियंत्रण के लिए आपको समय समय पर कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करना चाहिए जिससे आपकी फसल अच्छी हो और अधिक पैदावार दे। 

 

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