Lal Chandan Ki Kheti- लाल चन्दन की खेती कैसे करें ? सम्पूर्ण जानकारी

lal chandan ki kheti- जब से इस पृथ्वी पर मनुष्यों की उत्पत्ति हुई है तब से मनुष्यों ने पेड़ों का इस्तेमाल अपने रहन सहन और आज को जलने में करने लगे | जो कि आज के समय भी पूरी दुनिया में लकड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा है | वैसे तो पूरी दुनिया में लगभग 73000 से अधिक पेड़ों की प्रजातियां हैं जिनमे से लगभग 9200 प्रजातियां खोजी जानी बाकी हैं | सभी पेड़ों की गुणवत्ता और कीमत अलग होती है | ऐसा ही एक पेड़ लाल चन्दन का है |

lal chandan ki kheti

भारतीय लोग इससे बहुत ज्यादा वाकिफ होंगे की यह कितना महंगा होता है क्यों कि बंगलुरु के रंजीता पठारे ने लाल चन्दन के विषय से सम्बंधित फिल्म भी बनायीं है जो कि भारत में बहुत ही सुपरहिट हुयी है जिसमे दक्षिण भारत के अभिनेता अल्लू अर्जुन ने भी अहम् भूमिका निभाई है | जो कि पूरी मूवी लाल चन्दन पर आधिरित है |

लाल चन्दन के बारे में जानकारी तथा यह इतना कीमती क्यों है ?

लाल चन्दन का इस्तेमाल पूरी दुनिया भर में किया जाता है जिसकी विदेशों में इसकी बहुत मांग है और लाल चन्दन एक ऐसा वृक्ष है जो कि सिर्फ भारत के कुछ क्षेत्रों में पाया जाता है क्यों कि लाल चन्दन के वृक्ष के लिए खास जलवायु कि आवश्यकता होती है जो कि पूरे विश्व में भारत के अलावा किसी देश में नहीं है | चन्दन का वृक्ष कोई छोटा पौधा नहीं है कि इसकी खेती अन्य देश में पॉलीहाउस में कि जाय और इसको तैयार होने में भी ज्यादा समय लगता है |

विदेशों में चन्दन की लकड़ी का इस्तेमाल गिटार बनाने में किया जाता है जिसका वर्णन पुष्पा मूवी में किया गया है | चन्दन की लकड़ी का फर्नीचर भी बनाया जाता है जिसकी कीमत विदेशी बाजारों में बहुत ज्यादा होती हैं | चन्दन के लकड़ी कि पूरी दुनिया में बहुत ज्यादा मांग है परन्तु उत्पादन बहुत कम है, जिसके कारण चन्दन के वृक्ष में कीमत बहुत ज्यादा है |

लाल चन्दन एक जंगली पेड़ है | लाल चन्दन को अंग्रेजी में Red Sandalwood कहते हैं | इसे बहुत से अन्य नामों से जानते हैं जैसे कि – अल्मुग, सौंडरवुड, रेड सॉन्डर्स, रक्त चंदन, रागत चंदन, रेड सैंडर्सवुड, रुखतो चंदन आदि | लाल चन्दन का वैज्ञानिक नाम पटरोकार्पस सैंटालिनस है | यह भारत के दक्षिणी भागों में पाया जाने वाला वृक्ष है | यह भारत के दक्षिणी इलाकों में पाया जाता है | परंतु इसकी खेती के लिए संपूर्ण भारत अनुकूल वातावरण है जिससे लाल चंदन के पेड़ की खेती और भारत में बहुत सी जगह की जा रही है

आज से लगभग तीन-चार साल पहले लाल चंदन की खेती में पूरे देश में प्रतिबंधित थी परंतु कुछ सालों से इस खेती पर प्रतिबंध हटा दिया गया है और इसकी खेती अब कुछ किसान कर रहे हैं | लाल चंदन के अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1 टन की कीमत लगभग 20 से 40 लाख रुपए के बीच में होती है लाल चंदन की मांग विशेष तौर पर मांग चीन और जापान में है इस लकड़ी की मदद से बहुत से उत्पाद बनाए जाते हैं |

जिससे इसकी कीमत और भी बढ़ जाती है | इसकी घरेलू उपयोग में भी बहुत मांग है | लाल चंदन का एक पेड़ 10 साल में लगभग 500 किलोग्राम तक का उपज देता है | इसकी वृद्धि के लिए बहुत अधिक समय लगता है | इसकी खेती के लिए कई दशक लग जाते हैं |

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लाल चंदन का प्रयोग और खासियत

लाल चंदन एक छोटा पेड़ होता है | इसकी ऊंचाई 25 से 30 फीट तक होती है और इसकी लकड़ी बिल्कुल लाल रंग की होती है | लाल चंदन का उपयोग फर्नीचर, नक्कासी, डंडे और घर बनाने के लिए किया जाता है इससे कई प्रकार के वाद्य यंत्र बनाए जाते हैं | जिसकी विदेश में काफी मात्रा में मांग बनी रहती है | लाल चंदन के उपयोग सेंट, दवा और अनेक प्रकार सौंदर्य उत्पाद बनाए जाते हैं | इसका उपयोग मंदिरों में पूजन सामग्री के रूप में भी किया जाता है |

लाल चन्दन की खेती (lal chandan ki kheti) कैसे करें  

लाल चन्दन एक ऐसा वृक्ष है जो कि भारत के अलावा पूरे विश्व में नहीं पाया जाता है | लाल चन्दन की अच्छी गुणवत्ता और अधिक उत्पादन के लिए उचित जलवायु, सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण, रोग नियंत्रण, कीट और बहुत सारी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देना होगा | अन्यथा आप लाल चन्दन की खेती करने में मुनाफा हासिल नहीं कर पाएंगे | हम आपको इस लेख के द्वारा लाल चन्दन की खेती के बारे में बताने का प्रयास किये हैं जो की नीचे विस्तार पूर्वक है |

Chandan Ke Ped ki Kheti के लिए उपयुक्त मृदा और जलवायु 

Chandan Ke Ped ki Kheti-लाल चंदन की वृद्धि और अच्छी गुणवत्ता के लिए खास जलवायु और भूमि की आवश्यकता होती है जो कि सिर्फ और सिर्फ भारत में ही मौजूद है चंदन की खेती और उसके विकास के लिए शुष्क गर्म जलवायु और दोमट मृदा उचित मानी जाती है चंदन की खेती के लिए भूमि का PH मान 4.5 से 6.5 के बीच रहना जरूरी होता है |

पौधों की रोपाई का उचित समय और पेड़ की अवधि

Chandan Ke Ped ki Kheti के लिए पौधों की रोपाई का सबसे उचित समय शुष्क गर्म जलवायु मानी जाती हैं | भारत में इसकी खेती के लिए पौधों की रोपाई मई से जून के महीने में किया जाता है | लाल चंदन का वृक्ष बहुत धीमी गति से वृद्धि करता है | इसको तैयार होने में 10 से 15 साल का समय लग जाता है |

खेत की तैयारी

लाल चन्दन के पौधों की रोपाई करने के लिए खेत को दो से तीन बार ट्रैक्टर के द्वारा अच्छे से जुताई करें | जब मिट्टी अच्छे से भुरभुरी बन जाए फिर खेत में 25 वर्ग सेमी आकार के 4 – 4 मीटर की दूरी पर गड्ढे खोद लें | लाल चंदन की पौधों को आप खेत की मेड पर भी लगा सकते हैं | बस ध्यान रहे कि जिस भूमि में पानी अधिक जमा होता हो उस भूमि में लाल चंदन के पौधों को नहीं लगना चाहिए | अगर आप चाहते हैं कि आपका पौधे एक भी खराब ना हो तो आप दो या तीन वर्ष के पौधों को लगाना आपके लिए बेहतर होगा क्योंकि इसे किसी भी मौसम में लगा सकते हैं |

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खाद एवं उर्वरक का प्रयोग

लाल चन्दन की खेती (lal chandan ki kheti) के लिए किसी खास उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है | जब आप पौधे की रोपाई करने लगे तो गड्ढे बनाने के बाद प्रति गड्ढे में दो से तीन टोकरी गोबर की सड़ी हुई खाद, 2 किलो नीम की खली, 1 किलो सिंगल सुपर फास्फेट को अच्छी तरह मिलाकर गड्ढे में डाल दें तथा बारिश के मौसम के बाद लाल चंदन के पौधों की सिंचाई करते रहें |

लाल चंदन के पौधे की सिंचाई

लाल चंदन के पौधों को अत्यधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती | इसके पेड़ को प्रति हफ्ते 2- 3 लीटर पानी की जरूरत होती है | विशेषज्ञों के अनुसार अत्यधिक पानी देने से लाल चंदन के पौधों में बीमारी लगे लगती है | इसलिए लाल चन्दन की खेती (lal chandan ki kheti) ऐसी भूमि पर करें जहां पर पानी ना जमा हो सके | लाल चन्दन की खेती (lal chandan ki kheti) में सिंचाई की बात करें तो पौधों की रोपाई के बाद पहली सिंचाई करें और गर्मियों के मौसम में 10 से 15 दिन के अंतराल में आवश्यकतानुसार इसकी सिंचाई करें |

खरपतवार नियंत्रण

वैसे तो सभी प्रकार की फसलों में खरपतवार आ जाते हैं इसी प्रकार लाल चंदन के खेत में अनावश्यक खरपतवार उग जाते हैं जो कि पौधों के विकास में बाधा उत्पन्न करते हैं | इसलिेए खरपतवार उगने पर समय-समय पर खेत से निकलते रहे पौधों की रोपाई के बाद 2-2.5 साल तक खेत में खरपतवार उत्पन्न न होने दें |

Lal Chandan ki Kheti Mai कीट और रोग नियंत्रण

लाल चन्दन की खेती (lal chandan ki kheti) में वृक्ष की पत्तियां खाने वाली इल्ली का आक्रमण होता है यह इल्लीयां पौधों को अप्रैल से मई के महीने में नुकसान पहुंचा सकती हैं | इसलिए एक सप्ताह के अंतराल में 2 बार 2 प्रतिशत मोनोक्रोटोफास का छिड़काव करने से नियंत्रण पाया जा सकता है |

लाल चन्दन के साथ होस्ट पौधा

लाल चन्दन की खेती (lal chandan ki kheti) में पौधे के साथ एक होस्ट पौधा लगाया जाता है | विशेषज्ञों के अनुसार होस्ट पौधे की जड़े लाल चंदन के समान होती है | होस्ट पौधा लगाने का सबसे बड़ा कारण है कि इसे लगाने से लाल चंदन के पौधे में तेजी से वृद्धि होती है तथा उत्पादन भी अच्छी मिलती है और लकड़ी की गुणवत्ता अच्छी रहती है | होस्ट पौधे को लाल चंदन के वृक्ष से 4 से 5 फीट की दूरी पर लगाना आवश्यक होता है |

पौधे कहां से लाएं और पौधों की कीमत

लाल चंदन के पौधे और होस्ट पौधे खरीदने के लिए आपको किसी भी सरकारी या प्राइवेट नर्सरी में सबसे डेढ़ सौ रुपए तक आसानी से मिल जाएगा तथा लाल चंदन के साथ लगाए जाने वह वाले होस्ट पौधे की कीमत 50 से 60 रुपए प्रति पौधा मिलती है | आप लाल चन्दन के पौधों को आप ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं |

लाल चन्दन की खेती में लागत

लाल चन्दन की खेती (lal chandan ki kheti) के लिए आपको खेत तैयार करने से लेकर पौधे लगाने तक की लागत 1 से 2 लाख रुपए तक आएगी | आपको बता दे की एक एकड़ में लगभग 400 से 450 लाल चंदन की पौध लग जाएंगे |

लाल चंदन की कीमत

विशेषज्ञों के अनुसार 1 किलो लाल चंदन की कीमत 50000 हजार तक बताई जाती है | इस हिसाब से एक कुंतल लाल चंदन की कीमत 5 करोड़ के आसपास हो जाएगी और एक एकड़ में लगभग 400 पौधे आएंगे जिसमें से आप लगभग 15 से 20 करोड रुपए आसानी से कमा सकते हैं | अगर सरकार ने इसकी कीमत और बढ़ाई तो लाल चन्दन की खेती (lal chandan ki kheti) में और ज्यादा मुनाफा होगा |

सामान्यतःपूछे जाने वाले प्रश्न- Chandan Ke Ped ki Kheti

लाल चन्दन की लकड़ी महँगी क्यों है ?

लाल चन्दन की लकड़ी सबसे महँगी इसलिए है क्यों कि लाल चन्दन का वृक्ष पूरे विश्व भर में सिर्फ भारत में ही पाया जाता है और विदेशों में इसकी लकड़ी की भारी मात्रा में मांग है | इसके उपयोग से फर्नीचर, सेंट, उत्पाद और बहुत से वाद्य यंत्र बनाने जाते हैं जिसकी भारी मात्रा में मांग है | इसकी कीमत प्रति किलो 50000 हजार तक है जो की आने वाले समय में और भी बढ़ जाएगी |

सबसे महंगा वृक्ष कौन सा है ?

दुनिया की सबसे महँगी लकड़ी अफ्रीकन ब्लैक वुड है | इसकी कीमत 7 से 8 लाख रुपये प्रति किलो की दर से बिकता है | इस लकड़ी को सबसे मूल्यवान लकड़ियों में जाना जाता है |

लाल चन्दन को कहाँ बेच सकते हैं ?

लाल चन्दन को भारत सरकार या भारत संघ की राज्य सरकार के अलावा किसी को भी न बेचें | इससे बेचने वाले व्यक्ति पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है |

एक एकड़ चन्दन की खेती में कितनी कमाई हो सकती है

एक एकड़ में लाल चन्दन के एक एकड़ में न्यूनतम 10 से 15 करोड़ रुपये की कमाई की जा सकती है और अधिकतम 20 से 25 करोड़ की कमाई की जा सकती है |

लाल चन्दन का पेड़ कितने साल में बेचने योग्य तैयार हो जाता है ?

लाल चन्दन कम से कम 12 साल में तैयार हो जाता है अगर आप अधिक सालों तक वृक्ष को रखते हैं तो उसकी और अच्छी कीमत मिल सकती है |

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