मूंगफली की खेती कैसे और कब करे | How to Cultivation Groundnut in  Hindi

नमस्कार किसान भाईयो मैं आज आपको आसान तरीके से मूंगफली की खेती (Groundnut Cultivation) कैसे और कब करते है ये बताऊंगा जैसा की आप जानते है की मूंगफली की खेती सबसे ज्यादा झांसी , बरेली , सीतापुर , बदायू , एटा , खीरी और सहारनपुर जैसे क्षेत्रो में अधिक की जाती है जैसा की आप जानते है की मूंगफली की खेती दो मौसमो में की जाती है खरीफ और जायद के समय में ज्यादातर किसान अपनी आय को बढ़ने के लिए मूंगफली की खेती कर है क्योकि इसकी खेती कम पैंसो की जरूरत होती है और अधिक मुनाफा होता है तथा इसकी खेती करने के लिए ज्यादा श्रम की भी जरूरत नहीं पड़ती है मूंगफली की खेती बहुत ही आसानी तरीके से की जा सकती है यदि आप भी मूंगफली की खेती (mungfali ki kheti) करना चाहते है और अपने आय में वृद्धि करना चाहते है तो आप इस लेख को पूरा पढ़िए ।

हम आपको अपनी इस लेख के माध्यम से यह बताना चाहते है की आप मूंगफली की खेती करके अपनी आय को दो गुना कैंसे कर सकते है यदि आपको मूंगफली की खेती के बारे में कुछ भी नहीं पता है तो आप परेशान न हो आप सही जगह आये है आपको इस लेख में मूंगफली की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिल जाएगी जैसे की मूंफली की खेती कब और कैसे करे । मूंगफली की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु क्या है , उपयुक्त मिटटी कोन सी होनी चाहिए तथा खेत की तयारी कैसे करे , मूंगफली की खेती की उन्नत किस्मे कोन सी है , मूंगफली की खेती के लिए बीज की मात्रा कितनी होनी चाहिए और मूंगफली की सिंचाई , गुड़ाई , निराई और उसमे कोन सी खाद और कितनी मात्रा में देना चाहिए आदि यानी की आप ये समझ लीजिये की आप मूंगफली की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिल जाएगी तो आईये जानते है की मूंगफली की खेती कैसे और कब की जाती है।

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मूंगफली क्या है | What is Groundnut

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यह गरीबो का काजू कहे जाने वाला एक तिलहनी पदार्थ है जो की 40 से 55 प्रतिशत तक प्रोटीन पायी जाती है और 28 से 30 प्रतिशत तक कार्बोहाड्रेट पाया जाता है मूंगफली में बिटामिन बी , बिटामिन सी , कैल्शियम , जिंक , पोटाश , फास्फोरस आदि खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है मूंगफली का सेवन करने से मानव शरीर स्वस्थ्य रहता है यह काफी लाभदायक भी होता है यह कई चीजों में उपयोग में लाया जाता है

मूंगफली की खेती

मूंगफली की खेती कैसे करे | How to Cultivation Groundnut in  Hindi

मूंगफली की खेती (Groundnut Cultivation) करने के लिए बहुत से बातो को ध्यान में रखना होता है आप मूंगफली की कैसे करेंगे ये सभी बातो को निचे बताई गयी है अतः आप उसे ध्यानपूर्वक पढ़े –

उपयुक्त जलवायु –

mungfali ki kheti के लिए जलवायु की बात करे तो यह उष्ण कटिबंधीय की फसल मानी जाती है यानी की उन जगहों पर मूंगफली की खेती करना उत्तम होगा जहा गर्मी की मौसम पर्याप्त लम्बा हो यानी की मूंफली की फसल के लिए थोड़ा पानी , पर्याप्त मात्रा में धुप , और सामान्यतः कुछ अधिक तापमान की जरूरत होती है ।

उपयुक्त मिटटी –

मूंगफली की खेती करने के लिए बलुवर, बलुवर दोमट , दोमट और काली मिटटी उत्तम मानी जाती है इस प्रकार की मृदा में यदि आप mungfali ki khet कर रहे है तो यह सफलता पूर्वक होगी और अधिक पैदावार  के लिए मिटटी की पीएच मान 5.0 से ऊपर होनी चाहिए mungfali ki kheti के लिए यह बलुवर दोमट अच्छी मिटटी मानी जाती है mungfali ki khet ऐसी जगह करनी चाहिए जहा पर जल निकास अच्छा हो यानी की मूंगफली की खेती आप ऐसी मृदा में करे जो अच्छी जल निकास वाली हो क्योकि फूंगफ़ली की खेती के लिए जल निकास होना अति महत्वपूर्ण है ।

मूंगफली की खेती के लिए खेत की तैयारी –

मूंगफली की खेती Groundnut Cultivation करने से पहले आप जिस खेत में मूंगफली की खेती करना चाहते है उस खेती की जुताई आप मूंगफली बोन से पहले यानी की 1ya 2 महीने पहले ही आप खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई करवा ले यानी की आप भूमि की 10 से 15 सेमी तक गहरी जुताई कर ले और कम से कम आप 2 या 3 बार उस खेत की जुताई करे जिससे उस खेत की मिटटी भुरभुरी और समतल हो जाए जिससे मूंगफली की फलिया बनने में आसानी हो और आप इस बात का ध्यान रखे की मूंगफली की खेत की अधिक गहरी जुताई न करे ।

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मूंगफली की उन्नत किस्मे –

मूंगफली की किस्मो की बात करे तो पुरानी किस्मो की अपेक्षा नई उन्नत किस्मे अधिक उपज क्षमता है तथा उन पर कीटो और रोगो का प्रकोप भी कम मात्रा में है मूंगफली की प्रमुख किस्मे –  टी जी – 37 , एच एन जी – 10 , चंद्रा , टी बी जी – 39 , एम् -13 और मल्लिका आदि यदि आप एच एन जी – 10 का प्रयोग कर रहे है तो उसे एक बीघा में 20 किग्रा ही बीज का प्रयोग करे तथा ऍम 13 , चंद्रा , मल्लिका आदि किस्मो के लिए 15 किग्रा बीज का प्रयोग करे याद रहे की बिजाई के 15 दिन से पहले गुली नहीं निकालनी चाहिए ।

मूंगफली की बुआई एवं बीज मात्रा –

मूंगफली की बुआई प्रायः मानसून शुरू होने के साथ साथ की जाती है यानी की यह उत्तर भारत में सामान्य रूप से 15 जून से 15 जुलाई के मध्य का होता है ऐसी समय मूंगफली की बुआई करनी चाहिए मूंगफली की बीज की मात्रा की बात करे तो यह कम फैलने वाली किस्मो के लिए बीज की मात्रा लगभग 75 से 80 किग्रा प्रति हेक्टेयर के लिए आवश्य्क है तथा फैलने वाली किस्मो के लिए बीज की मात्रा 60 से 70 किग्रा प्रति हेक्टेयर उपयोग में लानी चाहिए ।

बीज बुआई से पहले ध्यान देने वाली बाते –

  • आप उसी  बीज का चयन करे जो प्रमाणित हो
  • बीज बोन से 10 से 15 दिन पहले ही गिरी को फलियों से अलग कर ले
  • बीज को बोन से पहले ही उसे 3 ग्राम थाइरम या 2 ग्राम मेंकोजेब या कार्बोनडाईजिम दवा प्रति किलो बीज की हिसाब से उसे उपचारित कर ले
  • विभिन्न प्रकार के रोगो और कीटो से बचाने के लिए क्लोरोपाईरिफास ( 20 ईसी ) का 12.50  मिली प्रति किलो बीज का उपचार बीज बुआई से पहले ही कर ले
  • मुगफली को कतार में बोनी चाहिए गुच्छे वाली / कण फैलने वाली किस्मो के लिए कतार से कतार की दुरी 30 सेंटीमीटर तथा फैलने वाली किस्मो के लिए 45 सेंटीमीटर रखे
  • आपको  इस बात का ध्यान रहे की आप बीज की किस्म और भूमि की नमि की जानकारी पता होना चाहिए तभी तो आप अधिक पैदावार पा सकते है ।

मूंगफली की फसल में खाद एवं उर्वरक की मात्रा तथा कितना देना चाहिए –

जैसा की आप सभी जानते है की उर्वरको का प्रयोग भूमि की किस्म और उसकी उर्वरा शक्ति और मूंगफली की किस्म , सिंचाई आदि के अनुसार उर्वरक तय होता है की कौन सा उर्वरक दे और कितनी मात्रा में दे मूंगफली तिलहनी फसल होने के कारण ऐसे नाइट्रोजन उर्वरक की जरूरत नहीं होती है लेकिन  फिर  भी  आप इसे हल्की  मिटटी  में शुरूआती बढ़वार के लिए 15 से 20 किग्रा नाइटोजन , 50 से 60 किग्रा फास्फोरस प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लाभदायक होता है आप उर्वरक की पूरी मात्रा में खेत की तयारी के समय में ही मिला देना चाहिए यदि आपके पास कम्पोस्ट या गोबर की खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो तो उसे बुआई के 20 से 25 दिन पहले ही 5 से 10 तन प्रति हेक्टेयर की दर से मिला दे यदि आप मूंगफली की खेती से अधिक पैदावर चाहते है तो खेत की अंतिम जुताई के समय भूमि में 250 किग्रा जिप्सम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिला देना चाहिए ।

मूंगफली की फसल में सिंचाई –

मूंगफली की फसल में सिंचाई की बात करे तो यह सभी लोग जानते है है की यह खरीफ की फसल है यानी खरीफ की फसल होने के कारण इसे सिंचाई की प्रायः आवस्य्क्ता नहीं पड़ती है आप मूंगफली की फसल में सिंचाई देना सामान्य रूप से वर्षा के वितरण पर ही निर्भर करता है यदि आप फसल की बुआई पहले करते है तो उसे एक पलेवा की जरीरत होती है और पौधों में फूल आते समय या सूखे की स्थिति हो उस समय सिंचाई करनी चाहिए तथा मूंगफली की फल में फलियों की विकास एवं गिरी बनने के समय भूमि में पर्याप्त मात्रा में नमि होनी चाहिए नमि होने के कारण फलिया बड़ी तथा खूब भरी हो यानी की वर्षा की मात्रा के अनुरूप सिंचाई की जरूरत पड़ती है ।

सिंचाई की मुख्य बाते –

  • आपको पता है की मूंगफली की फलियों का विकास भूमि के अंदर ही होता है अतः खेत में लम्बे समय तक पानी का भराव न हो ।
  • खेत में अधिक पानी और अधिक समय तक जल भराव होने के कारण फलियों का विकास एवं उपज पर बुरा प्रभाव पड़ता है
  • बुआई के समय खेत के बिच बिच में कुछ मीटर की दुरी पर हल्की नालिया बना ले जिससे वर्षा का पानी का न ठहरे
  • आप इस बात का ध्यान रहे की मूंगफली की फसल के लिए ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती है ।

मूंगफली की फसल में निराई गुड़ाई एवं खरपतवार का नियंत्रण –

मूंगफली की फसल की  उत्पादन में मूंगफली के फसल के लिए निराई गुड़ाई एवं खरपतवार की बहुत बड़ा महत्व है जैसा की आप जानते की मूंगफली की पौधा छोटा होता है जिसके वजह से वर्षा के समय यह खरपतवार से ढक जाते है जिसके वजह से मूंगफली के पौधे विकास नहीं कर पाते है इन सभी खरपतवार से बचाने के लिए मूंगफली की फसल को कम से कम 2 या 3 बार निराई गुड़ाई की जरूरत होती है और जिन खेतो में ज्यादा खरपतवरों की समस्या हो तो मूंगफली की बुआयी के 2 दिन बाद पेंडिमैथालिन नामक खरपतवारनाशी की 3 लीटर की मात्रा को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव कर देना चाहिए ।

मूंगफली के फसल में लगने वाले प्रमुख रोग –

प्रमुख रोंग नुकसान और लक्षण
तम्बाकू की सुंडी रोंग यह मूंगफली की फसल में लगने वाला प्रमुख रोग है सुंडी रोग  लगभग 4 से मी लंबी होती हैं यह सुंडी काली और कुछ हरे काले रंग की होती है यह  सुंडी रोग मुगफली की  हरी पत्तियों को खाती है जिसके वजह से फसल नस्ट हो जाते है और इस कारण से उत्पादन में बहुत हानि होती है |
मूंगफली सफेद सुंडी रोंग यह रोग  भूमी के अंदर जुलाई से सितंबर तक क्रिया शील रहती है ये प्रारम्भिक अवस्था में पौधो की जड़ों को हानि पहुंचानते है जिसके फलस्वरुप पौधे सुख जाते है और नस्ट हो जाते है जिसके वजह से खेत में कम ही फसल दिखाई देते है ।
मूंगफली दीमक यह मूंगफली का बहुत भयंकर कीट है, यह भूमी के अंदर रहती है
निरंतर पौधो की जड़ों को खाती है, जिससे पूरी फसल खराब हो सकती है इसका प्रकोप बहुत ज्यादा ही होता है यानी की इसके प्रभाव से काफी हानि होती है ।

मूंगफली की फसल की कटाई एवं गहाई –

मूंगफली की फसल की कटाई की बात करे तो यह सामान्य रूप से जब मूंगफली की पौधे पिले रंग के अथवा पौधे के अधिकांश निचे की पत्तिया गिरने लगे तब कटाई कर लेनी चाहिए फलियों को पौधे से अलग करने के बाद उसे एक सप्ताह तक अच्छी प्रकार से सुखाना चाहिए यानी फलियों को तब तक सुखाये जब तक वह अच्छी प्रकार से सुख नहीं जाता है यानी फलियों को आप जब फली में 10 प्रतिशत तक नमि हो तब नहीं सुखना चाहिए यानी की मूंगफली की फलियों में ज्यादा नमि नहीं होना चाहिए ज्यादा नमि होने से फलियों में अनेक प्रकार की बीमारिया हो जाती है मूंगफली को उचित नमि पर ही भंडारित करना चाहिए ।

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मूंगफली की फसल से उत्पादन –

मूंगफली की फसल की उत्पादन की बात करे तो यह आपके द्वारा की सुविधा के अनुसार होता है की आप कोण सी किस्म की बीज को बोये है और आप किस प्रकार से फसलों की सुरक्षा की है आदि विभीन प्रकार की सुविधाएं है सभी सुविधाओं को लेते हुए मूंगफली की फसल से उत्पादन 10 से 12 किवंटल प्रति हेक्टेयर की दर प्राप्त होती है असिंचित क्षेत्र में तथा सिंचित क्षेत्रों में सभी मृदा व जलवायु की परिस्थितिया अनुकूल होने पर 30 कुंटल प्रति हैक्टेयर तक उपज होती हैं और 70% मुगफली से बीज और तेल 40% तक प्राप्त होता है ।

मूंगफली की खेती से मुनाफा –

तिलहनी फसल होने के कारण बाजार मे मांग और भाव अच्छे मिल जाते है मूंगफली की  खेती से मुनाफे या कमाई की बात करें तो उन्नत विधियों के उपयोग करने पर मूंगफली का भाव 30 रुपये प्रतिकिलो रहने पर 35 से 40 हजार रुपये प्रति हेक्टर का शुद्ध लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

सामान्यतःपूछे जाने वाले प्रश्न- Groundnut Cultivation

मूंगफली की फसल कितने दिन में तैयार हो जाती है ?

मूंगफली की फसल यदि अच्छे किस्म की है तो वह 115 से 120 दिन में तैयार हो जाती है ।

मूंगफली की फसल में कौन सी खाद डाले व कितनी मात्रा में डाले ?

15 से 20 किग्रा नाइटोजन , 50 से 60 किग्रा फास्फोरस प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लाभदायक होता है आप उर्वरक की पूरी मात्रा में खेत की तयारी के समय में ही मिला देना चाहिए यदि आपके पास कम्पोस्ट या गोबर की खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो तो उसे बुआई के 20 से 25 दिन पहले ही 5 से 10 तन प्रति हेक्टेयर की दर से मिला दे।

मूंगफली की खेती के लिए कौन सी मिटटी उपयुक्त होती है ?

मूंगफली की खेती के लिए दोमट बलुअर, बलुअर दोमट या हल्की दोमट भूमि अच्छी रहती है।

मूंगफली की प्रमुख किस्मो के नाम बताईये ?

मूंगफली की प्रमुख किस्मे –  टी जी – 37 , एच एन जी – 10 , चंद्रा , टी बी जी – 39 , एम् -13 और मल्लिका आदि

मूंगफली में कौन से रोग लगते है ?

मूंगफली के फसल में लगने वाल रोग तम्बाकू सुंडी रोग , मूंगफली की फसल में सफेद सुंडी रोग , मूंगफली दीमक आदि ।