पपीता की खेती कैसे करे -Papita Ki Kheti Kaise Kare

हेलो किसान भाईयो जैसा की आप जानते है की भारत देश में इस समय पपीता की खेती बहुत तेजी से की जा रही है और सभी किसान इसकी खेती करके बहुत ही लाभ उठा रहे है पपीता की खेती इसलिए बहुत तेजी से की जा रही है क्योकि पपीता की खेती आप हर एक मौसम कर सकते है पपीता की  खेती आप प्रत्येक महीने में कर सकते है पपीता का पौधा एक ऐसा पौधा है जो कम समय में फल देना वाला पौधा है इस लिए इसे सभी किसान लगाना चाहते है पपीता की खेती (  Papita ki kheti )  एक ऐसा खेती है जो सरलता से की जा सकती है बल्कि कम समय में अधिक लाभ देने वाला भी यह है यह अधिक लोकप्रिय होने के कारण इसे अमृत घट भी कहते है पपीता के फल में कई प्रकार के एंजाइम पाए जाते है पपीता के ताजे फल का सेवन करने से लंबिकबजियत की बीमारी भी ठीक हो जाती है ।

पपीता क्षेत्रफल की दृष्टि से हमारे देश का 5 वा सबसे लोकप्रिय फल है पपीता तो बारहो महीनो उगाया जा सकता है लेकिन इसकी सबसे ज्यादा खेती फरवरी मार्च से लेकर मई अक्टूबर के मध्य ज्यादा तर की जाती है क्योकि इस समय पपीता की खेती के लिए उपर्युक्त तापमान होती है पपीता की उपर्युक्त तामपान 10 डिग्री से 40 डिग्री तापमान उपयुक्त है पपीता के  फल में विटामिन  A और C प्रचुर मात्रा में पाया जाता है पपीता के फल में एक पपेन नामक एंजाइम पाया जाता है जो शरीर की अतरिक्त चर्बी को हटाने में और शरीर को स्व्स्थ रखने में सहायक होता है और आप पपीता की खेती करके पपीता का व्यापर भी कर सकते है  पपीता से लोगो को बहुत से लाभ मिलते है यदि आप किसान है और पपीता की खेती करने के बारे में सोच रहे है तो आप इस पोस्ट को पूरा पढ़िए ।

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पपीता की खेती कैसे करे जाने Papita Ki Kheti Kaise Kare

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पपीता का फलो में अपना एक महत्ववपूर्ण स्थान है यह कच्चा व पक्का दोनों तरीके से इसका फल आप उपयोग में ला सकते है जैसे आप पक्के फल अधिक समय तक उपयोग कर रहे है तो आपके शरीर में होने वाले सभी बीमारियों को नस्ट कर देता है तथा कच्चा फल से आप सब्जी आदि के प्रयोग में कर सकते है और जिन लोगो के पास अपचय की समस्या है वह इसके लिए रामबाण इलाज है इसका सेवन करने से अपचय की समस्या दूर हो जाती है तथा जब हम बीमार होते है तो डाक्टर भी सलाह देता है की पपीता खाओ पपीता की खेती से बहुत कुछ लाभ होता है यदि आप किसान  है और पपीता की खेती करना चाहते है तो तो आप इसे पूरा पढ़िए क्योकि हम आपको इसमें बताएँगे की पपीता की खेती  कैसे करे Papita Ki Kheti Kaise Kare , पपीता की खेती के लिए हमारे पास कौन कौन सी वस्तुए उपलब्ध होना चाहिए तथा पपीता की खेती किस जलवायु किस मिटटी में करना चाहिए आदि तो आईये जानते है ।

पपीता की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु –

पपीता की अच्छी खेती के लिए गर्म नमि युक्त जलवायु उपयुक्त मानी जाती है यह अधिकतम 38 डिग्री सेल्सियस से 44 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पर उगाया जा सकता है और न्यूनतम 5 डिग्री सेल्सियस से तापमान कम नहीं होना चाहिए क्योकि लू और पाले से पपीते को बहुत भारी नुकसान होता है इनसे बचने के लिए खेत में उत्तरी पश्चिमी खेत में हवा रोधक पौधे लगा दे और पाले से बचाने के लिए रात में खेत में धुएं सुलगा दे और हल्का सिंचाई कर दे ।

पपीते की खेती के लिए खेत/ भूमि का चयन –

पपीते की खेती के लिए ऐसे भूमि की चयन करना चाहिए जो अधिक उपजाऊ हो और जल निकास भी अच्छा हो क्योकि जल निकास नहीं होगा तो पौधों को अधिक पानी मिलाने से उसमे कालरा रॉट की बीमारी हो जाती है पपीता की खेती( Papita ki kheti in hindi ) को अधिक गहरी वाली मिटटी में नहीं लगाना चाहिए क्योकि जब आप पपीता को अधिक गहरी वाली मिट्टी में लगाएंगे तो थोड़ी सी भी हवा चलने या अधिक पानी होने से पौधा गिर जायेगा ।

पपीता की खेती

भूमि की तैयारी कैसे करे –

Papita ki kheti in hindi पपीते की खेती के लिए भूमि को अच्छी तरह से जुताई करवा दे और उसे समतल करवा दे और भूमि को हल्का ढाल उत्तम करवा दीजिये 2 बायीं 2 के अंदर पर लम्बा चौड़ा गहरा गढ़ा खोद लेना चाहिए इन सभी गढ़ो में 20 किलो गोबर की खाद आवस्य्क्ता नुसार और 500 ग्राम सुपर फास्फेट और 250 ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश को मिटटी में मिलकर पपीता के पौधे लगाने से 10 दिन पहले ही गढ़ो में डाल दे फिर आप 10 दिन के बाद उस गढ़े में पपीते के पौधे लगा सकते है ।

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क्षेत्र के हिसाब से करे किस्मो का चयन –

पपीते के बीज का किस्म आप उसके गुण के हिसाब से चयन कर सकते है जैसे किसी पपीते में पपेन ज्यादा पाया जाता है तो उसे पपेन वर्ग के किस्म कह दिए इसी प्रकार से विभिन्न प्रकार की पपीते के किस्म पाए जाते है जैसे –

  • पूसा मेजस्टी
  • पूसा जाइंट
  • वाशिंगटन
  • सोलो
  • पूसा डेलीसियस
  • पूसा नन्हा
  • सीलोन
  • पूसा ड्वार्फ

नरसरी में कैसे तैयार करे पपीते के पौधे –

पपीते के पौधों को तैयार करने के लिए इस विधि में सबसे पहले भूमि के सतह से 15 से 20 सेंटीमीटर के ऊंचाई पर और क्यारियों में कतार से कतार की दुरी 10 सेमी और बीज की दुरी 3 से 4 सेमी रखते है बीज को 1 से  3 सेमी की गहराई पर नहीं बोना चाहिए जब पौधा अंकुरित होकर 20 से 25 सेंटीमीटर ऊँचा हो जाये तो आप उसे तैयार किये गए गढ़ो में 2 पौधा प्रति गढ़े के हिसाब से लगाना चाहिए ।

पपीते के पौधों को पालीथीन के थैले में तैयार करने की विधि –

इस विधि में पपीते के बीज को 20 सेमी चौड़े मुँह वाली , 25 सेमी लम्बी और 150 सेमी छेद वाली पालीथीन की थैली ले और इन थैलियों में गोबर मिटटी , रेत का मिश्रण कर ले और पालीथीन में भर दे पालीथीन को ऊपर से 1 सेमी खाली छोड़ दे और प्रति थैली में 2 से 3 बीज को बो दे और इस बात का ध्यान रहे की पालीथीन में पर्याप्त मात्रा में नमि होनी चाहिए जब पौधा 20 से 25 सेमी बड़ा हो जाये तब उसे सावधानीपूर्वक पालीथीन को निकलकर पहले से तैयार किये गए गढ़े में लगा दे ।

पपीता के पौधे उगाने के लिए बीज दर-

एक हेक्टेयर खेत में पपीता का पौधा लगाना है तो लगभग 500 ग्राम से 1 किलो ग्राम तक बीज की आवस्य्क्ता होगी और पपीते के पौधे उसके बीज के किस्म पर निर्भर करता है की कितना अच्छा किस्म है और कितनी सावधानी से तैयार किया गया है एक हेक्टेयर खेत में प्रति गढ़े 2 पौधे लगाने से 5000 पौधों की संख्या लगेगी ।

पपीता का पौधा लगाने का समय –

पपीते के बीज को पहले रोपणी में तैयार कर लेते है फिर पहले से ही तैयार किये गए गढ़े में जून से जुलाई में लगाना चाहिए पौधे ऐसे जगह लगाना चाहिए जहा पर पानी का प्रबंध हो सितंबर से अक्टूबर और फरवरी से मार्च के महीने में भी लगा सकते है  ( Papita ki kheti in hindi )पपीता की खेती आप हर एक माह में कर सकते है ।

खाद एवं उर्वरक –

पपीते के पौधे के लिए खाद एवं उर्वरक कमसे कम एक पौधे को 250 ग्राम नाइट्रोजन , 250 ग्राम स्फुर एवं 500 ग्राम पोटाश की जरूरत पड़ती है इसे 6 बराबर भागो में बाटकर प्रति 2 माह के अंतराल पर खाद एवं उर्वरक देते रहना चाहिए खाद तथा उर्वरक को मिटटी में मिलाकर थैली में देकर सिंचाई करनी चाहिए ।

पपीते की पौधे की सिंचाई कब करे –

पपीते की फल की सफल उत्पादन के लिए बगीचे में जल प्रबंध का होना बहुत ही जरुरी है क्योकि जब तक पौधा फलन में नहीं अत तब तक उसे हल्की हल्की सिंचाई करनी पड़ती है जिससे पौधा सूखे न और जीवित रहे अधिक पानी देने से पौधे काफी लम्बे हो जाते है और लम्बे होने कारण उसमे कई प्रकार के रोग लग जाते है जिससे फल गिरने लगता है फल लगने से लेकर पकने तक पौधों अधिक पानी की जरूरत होती है यदि आप समय पर पानी नहीं देंगे तो फल गिरने व सुकड़ने लगता है आप गर्मियों के दिन में 7 दिन के अंतराल में और जाड़े में 15 दिनों के अंतराल में पानी देते रहे मिटटी में नमी रखने के लिए पौधे के चारो तरफ सूखे खरपतवारो को बिछा देना चाहिए जिससे अधिक समय तक पौधे के जड़ के पास नमी बनी रहे ।

पपीता की खेती में  लगने वाले रोग एवं किट –

रोग – पपीता की फसल को ज्यादातर प्रभावित करने वाले मुख्य रोग है एन्थ्रेक्नोज , पीली फफूंदी , तना सडन और भिगोना जड़ो के चारो तरफ जलभराव का होना इसका मुख्य कारण है ।

नियंत्रण – इन रोगो को नियंत्रण करने के लिए वेटेबल सल्फर , कार्बेन्डाजिम और मैंकोजेब प्रभावी है ।

किट – एफिड्स , रेड स्पाइडर माइट , स्टेम बोरर , मखिया ग्रे विविल और टिड्डे पपीते के पौधे पर हमला करने वाले मुख्य किट है ।

नियंत्रण – पपीते की संक्रमित हिस्से को नस्ट करने के लिए 0.3 % डिमेथोएट जैसे रोगनिरोधी स्प्रे का छिड़काव करने से उन्हें नस्ट किया जा सकता है ।

पपीते की फल की तुड़ाई –

जब पपीता का फल पूरी तरह विक्सित हो जाए और उसके शीर्ष पर पीले रंग का रंग विक्सित होने लगे तब उस समय पपीते की फल की तुड़ाई का समय होता है तथा तुड़ाई के समय एक और संकेत होता है की फल पका है की नहीं यदि फल को हाथ के नाख़ून से दबाने पर उसमे से दूध के बजाय पानी निकल रहा है तो उस समय फल को कटा जा सकता है और इस बात का सभी को ध्यान रहे की पपीते के सभी किस्म पकने पर पीले नहीं होते है , कुछ पीले हो जाते है और कुछ पक्के होने पर भी हरे ही रह जाते है ।

पपीते का जीवन यानी कब तक उपयोग में लाया जा सकता है यह अधिकतम 4 वर्षो तक रहता है लेकिन किसान इसे 2 से 3 साल के आगे पपीता का विस्तार नहीं करते है क्योकि उस समय इनकी उत्पादन क्षमता कम हो जाती है यदि अच्छा खेत का प्रबंधन हो और समय समय पर उसकी सावधानीपूर्वक देखभाल की गयी हो तो पपीता उत्पादन को काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है

पपीता का फल तोड़ने के बाद क्या करे –

यदि आप पपीता की खेती बड़े पैमाने पर किये है तो आप इसे बड़े शहरो के बाजारों में बेच सकते है लेकिन फल तोड़ने के बाद इसे सही जगह स्टोर करे क्योकि किसी भी तरह का चोट नहीं लगना चाहिए क्योकि इसमें फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है और फल जड़ी सड़ने लगते है जिससे उनका बाजार में मूल्य कम होने लगते है प्रत्येक पपीता को आप अलग अलग कागज में लपेटकर लकड़ी के बक्से में रख देना चाहिए और इस बात का ध्यान रहे की जब आप पपीते को बाजार में बेचने ले जाए तो परिवहन में चोटों से बचाने के लिए टोकरो को भूसे , चारा व अन्य किसी से या नरम सामग्री से भरा होना चाहिए जिससे फल इधर से उधर न हो और चोट भी ना लगे ।

सामान्यतःपूछे जाने वाले प्रश्न

पीता की खेती लगभग 10 से 12 महीनो के अंदर तैयार हो जाता है जब पपीता का रंग हल्का पीला होने लगे और जब उसमे जब दूध के बजाय पानी निकने लगे तो पपीता का फल तोड़ने योग्य हो जाता है ।

1 . पूसा जायंट , 2 . पूसा मैजेस्टी , 3 . पूसा डेलीसियस  आदि

पपीता की खेती से लगभग 1 वर्ष में 1 हेक्टेयर की खेत की जमीन से 8 से 10 लाख रूपए कमा सकते है और इसमें आपकी पूरी लागत कम से कम 1 लाख तक हो सकती है तब भी आप इससे मुनाफा कम से कम 7 - 8 गुना ज्यादा कमा रहे है ।

kamayi

पपीते की खेती सबसे ज्यादा आंध्रप्रदेश , पश्चिम बंगाल , कर्नाटक , मध्यप्रदेश आदि ।

पपीते के पौधे में एन्थ्रेक्नोज , पीली फफूंदी , तना सड़न आदि ये प्रमुख रोग है जो पपीते  के पौधे में लगते है यह  पौधे को कफी नुकसान पहुंचाते  है तथा इसमें विभिन्न प्रकार के किट व पतंगे भी लगते है जैसे - रेड स्पाइडर माइट , टिड्डी , अफिड्स आदि ।

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