हेलो दोस्तों स्वागत है आपका आज के नए टॉपिक पर आज के इस टॉपिक में हम आपको अनानास की खेती (Pineapple Farming) के बारे में बताएंगे जैसे कि अनानास के लिए कैसी मिट्टी की आवश्यकता होती है, जलवायु और तापमान कैसा कैसा होना चाहिए तथा अनानास के उन्नतशील किस्म के बारे में बताएंगे अनानास की खेतों में उर्वरक की बारे में भी बताएंगे तो इन सब के बारे में जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक अवश्य पड़े
अनानास की खेती (Pineapple Farming) के बारे में जानकारी
Table of Contents
जैसा कि आप जानते है कि अनानास एक फल है इसकी खेती पूरे विश्व में सबसे पहले ब्राजील में की गई थी अनानास के फल में अम्लीय गुण काफी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं उनके फलों को काटकर खाया जाता है उनके फलों का तना काफी मोटा और उसकी गांठे काफी मजबूत होती है और तना पत्तियों से भरा हुआ होता है यह फल पूरी तरह से गठीला होता है अनानास के फलों में बहुत सारे पोषक तत्व और कैल्सियम पाए जाते हैं
इसलिए अनानास का सेवन करना चाहिए इससे हमारे शरीर में ऊर्जा की कमी नहीं होती है तथा इसके सेवन से शरीर में पाए जाने वाले रोग बाहर निकल जाते हैं इस तरह आप अनानास को औषधि फल भी कह सकते हैं इसका नियमित रूप से प्रयोग करने से हमारे शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।
इसके फलों का आप सलाद, जूस, जैम, केक और जेली आदि के रूप में कर सकते हैं पर यदि आप भी अनानास की खेती (Pineapple Farming) करना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक अवश्य पढ़े इस पोस्ट में हम आपको अनानास की खेती (Pineapple Farming) के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे तथा इसके बाजारी कीमत के बारे में भी आपको जानकारी देंगे
अनानास की खेती (Pineapple Farming) के लिए मिट्टी, जलवायु एवं तापमान
अनानास की खेती के लिए आपको अच्छे जल निकासी और बलुई मिट्टी का प्रयोग करना चाहिए इसकी खेती जलभराव वाली भूमि नहीं की जा सकती। इसके अलावा भूमि का पी एच 5 से 6 के बीच होना चाहिए इसके पौधे के विकास के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की जरूरत होती है ठंडी के मौसम में गिरने वाला पाला इसकी पौधों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचते हैं इसलिए इसके पौधों को अधिक बारिश की आवश्यकता भी नहीं होती है।
समुद्र तट से 1000 से 1200 मीटर की ऊंचाई पर अनानास की खेती को आप आसानी से कर सकते हैं अनानास के पौधे 20 डिग्री के तापमान पर अच्छे से विकसित होते हैं इसके बाद इसके पौधों को विकास के लिए समान तापमान की जरूरत होती है पौधे के विकास के समय इसके पौधे अधिकतम 35 डिग्री तापमान को ही सहन कर पाते हैं इससे अधिक तापमान इसके पौधे को हानि पहुंचाने लगते हैं।
अनानास की उन्नत किस्म
हर फसल की तरह अनानास की भी बहुत सारी उन्नतशील किस्म है इन्हें कम समय और अधिक पैदावार देने के लिए उगाया जाने लगा है।
जायनट क्यू- इस प्रकार की किस्म लगाने से इसके पौधे की पत्तियां लंबी और चिकनी होती है जानवर क्योंकि पौधे से फल काफी बड़ा होता है तथा इसका वजन 3 किलो के लगभग होता है इस पर किसी को अंदाज की पछेती फसल के लिए उगाया जाता है इस किस्म के पौधे के उपाय बनारस से 18 महीने बाद 80% तक इसके फल पक जाते हैं
किक्न- अनानास की खेती (Pineapple Farming) से आपको कम समय में ही अच्छा पैदावार देने लगता है इससे निकलने वाले फल छोटे होते हैं तथा उनकी पत्तियां भी छोटे आकार की होती है इससे फलों का सीधा डांटेदार होता है तथा इसका रंग पीला और सुनहरा कलर का होता है इस किस्म के फलों का खुदा का स्वाद काफी मीठा होता है
मॉरीशस- यह किम विदेश में पाया जाता है इसकी पत्तियां दातेदार होती है इस किस्म के फल तैयार होने में 1 वर्ष से अधिक का समय लगता है जिसका वजन लगभग 2 किलो के आसपास होता है
रैड स्पेनिश- इस किसी से निकलने वाले फलों का बाहरी भाग खुरदुरा कठोर और पीले रंग का होता है इसके फलों का आकार भी सामान्य होता है जिसके कुत्ते में अमली गुना की मात्रा होती है इस किस्म के फलों का सेवन ताजा ही करना चाहिए तथा इस फसल में बहुत ही काम रोग देखने को मिलते हैं।
अनानास की खेती (Pineapple Farming) के लिए खेत एवं उर्वरक
अनानास की खेती (Pineapple Farming) करने से पूर्व उसके लिए उसके खेत को अच्छे से तैयार कर लेने की आवश्यकता होती है इसके लिए आपको सबसे पहले एक गहरी जुताई करणी की आवश्यकता होती है जिस खेत में मौजूद के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो सके इसके बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खुला छोड़ देना चाहिए इससे खेत की मिट्टी अच्छी तरह से धूप लग जाती है
इसके बाद अंदर से 17 पुरानी गोबर की खाद को मिट्टी में अच्छे से मिलने की आवश्यकता होती है खाद को मिट्टी में मिला देने कल्टीवेटर की सहायता से दो-तीन बार तिरछी जुताई कर दे दीजिए।जुताई के बाद खेत में पानी लगाकर पालवे करने की आवश्यकता होती है Pineapple Farming इसके बाद जब खेत की मिट्टी ऊपर से सुख जाने के बाद रोटावेटर की सहायता से खेलों को तोड़कर घोषणा कर लेना चाहिए मिट्टी को बुरा हो जाने के बाद पता लगाकर चलवा देने की आवश्यकता होती है
जिस खेत समतल हो जाता है अनानास Pineapple Farming के पौधे मात्र की आवश्यकता होती है जैविक खाद की जगह आप रासायनिक करो का प्रयोग कर सकते हैं इसके लिए खेत में 340 के लिए फास्फोरस सल्फेट तथा 680 क पोटाश की मात्रा को साल में दो बार पौधे के डालना चाहिए इससे पौधे का विकास अच्छे तरीके से होता है
अनानास के बीज की रोपाई का समय एवं तरीका
इसके पौधे को अनानास के पौधे पर बनने वाली शाखों के माध्यम से ही तैयार किया जाता है इन पौधों को उत्तर शक्कर कुट्टी पुत्र लिप्स और ग्राउंड आज के नाम से जाने जाते हैं इसकी शक्कर किसको जमीन की जमीन पत्तियों को हटाकर तैयार की जाती है तथा स्लिप को जमीन से निकलने वाले शाखों के माध्यम से तैयार किया जाता है ग्राउंड को फलों का फलों पर बनने वाली शाखों के माध्यम से तैयार की जाती है
इन सभी विधियों में लगने से पहले उन्हें अच्छी तरह से साथ एवं उपचारित किया जाता है पौधे में लगने वाले सूखी पत्तियों को तोड़कर हटा देना चाहिए इससे इसके बाद बीजों को थिरम या सेरासेन के गोल डालकर उसे धूप में सुखा देना चाहिए। उसके पास 50 कर के द्वारा तैयार किए पौधे Pineapple Farming को लगा दिया जाता है सकट द्वारा तैयार किए गए फसल को फल देने में लगभग 15 महीने का समय लगता है
इसके अतिरिक्त और ग्राउंड द्वारा तैयार किए गए उद्योग की उपाय के 20 से 24 महीने के बाद फल देते हैं इसके बीच की रोपाई के लिए तैयार करना चाहिए इन मिनट पर दो पंक्तियां को लगाते हैं बेड से में के बीच की दूरी 150 से 2 फीट के मध्य रखना चाहिए अनानास के पौधों के उपाय एकदम खेतों में ही करनी चाहिए इसलिए इसके बीजों की रिप्लाई के लिए बारिश के मौसम में काफी उपयुक्त माना जाता है नमी होने के कारण बीजों की रोपाई के बाद पौधे को अंकुरित होने के लिए पर्याप्त जलवायु मिलती रहती है
अनानास के पौधों की सिंचाई
इनके पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है इसलिए बीजों के उपाय के तुरंत बाद भी पौधों की सिंचाई करनी चाहिए इससे पौधों की सिंचाई के बाद धीमी बहाव या ड्रिप विधि के इस्तेमाल से सिंचाई करनी चाहिए इस विधि से सिंचाई करने पर आपके लगाए गए बीच पहले अन्य मौसम में इसके पौधे को 20 से 22 दिन के बाद सिंचाई की आवश्यकता होती है वही बारिश के मौसम में आवश्यकता पड़ने पर सिंचाई करनी चाहिए
अनानास के खेतों में खरपतवार नियंत्रण
अनानास के खेत Pineapple Farming में खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक विधि का प्रयोग करना चाहिए इसके फसल को चार से पांच बार नीति निराई करनी चाहिए इसकी पहली निराई बुआई से 24 से 25 दिन बाद करनी चाहिए इसके बाद की निराई को पहले निराई के 25 दिन बाद करनी चाहिए ।
अनानास के पौधे में लगने वाले रोग रोकथाम
शीर्ष विगलन– इस प्रकार का रोग पौधे एवं फल दोनों को ही काफी प्रभावित करता है शेष विकलांग रोग को प्रारंभ अधिक आक्रमण पौधे का विकास पर होता है यदि इस तरह का रोग फल बनने के बाद लगता है तो यह रोग फलों को पूरी तरह से खराब कर देता है इस रोग से बचाव के लिए पौधे पर नीम का तेल का प्रयोग करना चाहिए।
जड़ गलन- यह रोग अनानास के पौधों में जल भराव के कारण होता है, इस रोग के लग जाने के बाद पौधा पूरी तरह से सूखकर नष्ट हो जाता है, अनानास के पौधों के इस रोग से बचने के लिए खेत में जल भराव की स्थिति को रोकना चाहिए इसके अलावा पौधे पर बोर्ड मिश्रण का छिड़काव किया जाना चाहिए
काला धब्बा- Pineapple Farming के इस रोग में पौधे की पत्तियों पर काले धब्बे देखने को मिलता है इस रोग से प्रवाहित होने पर पौधे की पत्तियां पर भूरे और काले रंग के धब्बे दिखने लगते हैं इस रोग से अधिक प्रभावित होने पर पौधे का विकास कम हो जाता है इसके रोकथाम के लिए को कोजेब या नीम के तेल का छिड़काव करना चाहिए।
अनानास के फलों की तुड़ाई, पैदावार एवं कीमत
Pineapple Farming में अनानास के पौधे के रोपाई लगभग 18 से 20 महीने के बाद इसके फल तैयार हो जाते हैं जब इसमें पौधे लगने वाली पत्तियां पीली दिखने लगती है तब इनको फलों की तुड़ाई कर लेनी चाहिए फलों के तुड़ाई के बाद उन्हें इकट्ठा करके उन्हें बाजार में बेच देना चाहिए। अनानास के एक पौधे से केवल एक ही फल मिलता है तथा आप एक हेक्टेयर के खेत में लगभग 16 से 18 हजार पौधे लगा सकते हैं
इसके एक हेक्टेयर में आपको 300 से 400 कुंतल की पैदावार मिलती है Pineapple Farming अनानास का बाजारी भाव काफी अच्छा होता है जिससे आप एक बार में फसल के 5 से 6 लाख रुपए का आय आसानी से कर सकते हैं ।
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
अनानास के फलों को तैयार होने में लगभग 18 से 20 महीने का समय लगता है
अनानास का कोई बीज नहीं होता है इसके ऊपर ही हिस्से के द्वारा ही इसे तैयार किया जाता है
अनानास की खेती Pineapple Farming दिसंबर से अप्रैल माह में करनी चाहिए
भारत के कुछ राज्यों में अनानास उगाया जाता है जैसे असम,पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, केरल और बिहार जैसे राज्य में अनानास उगाया जाता है
अनानास का सेवन उल्टी एवं दस्त की समस्या होने पर नहीं करनी चाहिए