आलू की 10 अधिक उपज वाली उन्नत किस्में एवं प्रकार

आलू की किस्मे कई प्रकार की होती है यहाँ पर हम आलू की किस्मो के बारे विस्तार से जानेगे – आलू का वैज्ञानिक नाम सोलेनभ ट्यूबरोसम ( Solanum Tuberosum ) है  आलू का( अंग्रेजी नाम- पोटैटो, वनस्पति नाम- सोलेनम ट्यूबोसम, प्रजाति- सोलेनम, जाति – ट्यूबोसम , कुल – सोलेनेसी है )

आलू की खेती के लिए भारत को विश्व में तीसरा स्थान प्राप्त है आलू से अनेक प्रकार के प्रदाथ तैयार किया जाता है आलू में प्रोटीन अधिक मात्रा में पाई जाती है जैसे कि विटामिन सीʼ तथा विटामिन बीʼ में स्टार्ट ज्यादा मात्रा में पाया जाता है आलू से नए प्रकार के स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं चाट, चीखा,  समोसे, टिक्की ,पापड़ ,आलू के पकोड़े ,मसालेदार सब्जी, आलू की कचोरी चिप्स आदि।

आलू का सेवन करने से शरीर की चर्बी बढ़ जाती है आलू में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं विटामिन बी, विटामिन सी, मैग्नीज , कैलशियम, फास्फोरस ,आयरन आदि और साथ ही पानी की मात्रा भी अधिक होती है आलू का पीएच (PH ) मान सम्मान होना चाहिए आलू की अधिक उपज के लिए बलुई दोमट मिट्टी होनी चाहिए और कार्बनिक तत्वों से भरपूर हो आलू की खेती के लिए समशीतोष्ण तथा उष्णकटिबंधीय जलवायु को उचित मौसम का माना गया है आलू की खेती के लिए सामान्य तापमान जरूरी है इसके पौधे के लिए अधिकतम 25 डिग्री से न्यूनतम 15 डिग्री तक तापमान होना चाहिए।

आलू की अधिक उत्पादन देने वाली कुफरी किस्मे 

आलू की खेती इन राज्यों में अधिक की जाती है गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा , असम आदि भारत में आलू उत्पादन के लिए तीसरा स्थान है क्या आपको पता है कि 10 उन्नत किस्में को विकसित करने के लिए केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्था है आलू की अच्छी उपज के लिए बीज अच्छी वैरायटी का होना चाहिए जिससे किसानों को अधिक मुनाफा के साथ-साथ अधिक पैदावार हो किसानों को मुनाफा के साथ-साथ आलू की किस्मे  बारे में जानेंगे।

आलू की किस्मे

1. कुफरी मोहन ( kufri Mohan): कुफरी मोहन के इस किस्म की खास बात यह है कि इस किस्म पर पाले का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है आलू के इस किस्म में एक हेक्टेयर में 350 से 400 तक की पैदावार होती है।

2. कुफरी लीमा(Kufri Lima ): अल्लू की किस्मे में यह  किस्म में अन्य किस्मों के मुकाबले अधिक पैदावार होती है इस किस्म में एक हेक्टेयर में 300 से 350 क्विंटल की पैदावार होती है जिससे किसान को लाभ होता है।

3. कुफरी चिप्सोना- 4 (Kufri Chipsona -4 ) इस किस्म की खेती भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार राज्य, पश्चिम बंगाल में की जाती है आलू के इस किस्म में किसान को  प्रति हेक्टेयर में 300 से 350 कुंटल तक की पैदावार हो जाती है।

4. कुफरी ललित( Kufri Lalit ) यह किस माने किस मुख के सबसे अधिक पैदावार होती है इस किस्म में 1 हेक्टेयर में 300 से 350 क्यों डर पैदा होता है इसकी पैदावार के लिए 90 से 110 दिन का समय लगता है।

5. कुफरी संगम ( Kufri Sangam ) इस किस्म की खास बात यह है कि मौसम के कम या ज्यादा होने का फसल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है या किस्म 90 से 100 दिनों के आसपास तैयार हो जाता है उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश हरियाणा पंजाब राजस्थान और मध्य प्रदेश में इस किस्म की पैदावार अधिक होती है इस किस्म की पैदावार एक हेक्टेयर में 300 से 350 होती है ।

6. कुफरी नीलकंठ( Kufri Neelkanth) इस किस्म की खासियत यह है कि इस किस्म में एंटीऑक्सीडेंट  गुण होता है जो हमारे शरीर की प्रतिरोधक रोग को मजबूत बनाती है इस  किस्म में पंजाब ,हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के इन राज्यों में इसकी खेती अधिक होती है इस किस्म में 1 हेक्टेयर में 350 से 400 क्विंटल  होता है

7. कुफरी पुखराज( Kufri Pukhraj ) आलू की या किस में 90 से 100 दिन में तैयार हो जाती है और इस किस्म को सबसे अधिक लोकप्रिय माना गया है इसकी पैदावार सबसे अधिक गुजरात राज्य में की जाती है या किस 1 एकड़ में 140 से 160 क्विंटल किसान फसल पैदा कर सकते हैं

8. कुफरी स्वर्ण( Kufri Swarna ) यह किस में 110 दिन में पक कर  तैयार हो जाती है आलू की या किस्मत जल्दी खराब नहीं होती है आलू के उत्पादन के लिए सबसे अच्छा पहाड़ी इलाका माना जाता है या 1 हेक्टेयर में 300 कुंटल की फसल पैदावार की जा सकता है।

9. कुफरी ज्योति( Kufri Jyoti ) इस किस्म के फसल 80 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है या किस में मैदानी और पहाड़ी इलाकों में की जाती है आलू के इस किस्म की गणना अन्य किस्मों से बेहतरीन होती है इश्क इश्क में 1 हेक्टेयर में 150 से 250 क्विंटल तक फसल पैदा किया जा सकता है।

10. पुपरी बिहार (Kufri Behar) आलू के इस किस्म की खेती के लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान अच्छा होता है और बीज अंकुरित के होने के लिए 25 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए या किस मैदानी इलाकों में अच्छी पैदा होती हैं इनकी उम्र 90 से 110 दिन में तैयार होती है यह एक हेक्टेयर में करीब 200 से 250 क्विंटल की फसल पैदा होती है।

आलू की उन्नत किस्मे

विदेशी किस्में- कुछ नहीं देखी किसमें ऐसी होती हैं जो अनुकूलन के प्रति होता है इस किस्म में अपटूडेट , डिफाइंस और प्रेसिडेंट में शामिल है।

अगेती किस्में- यह सारी किस में 80 से 110 दिन की अवधि में पैदा होती है कुरकुरी ,अलंकार, लालिमा, सतलुज, सदाबहार, जवाहर आदि।

बीच समय की किस्में- यह सभी किस में 90 से 110 दिन में पक जाते हैं बाहर, लालिमा, सतलुज, सदाबहार आदि।

समय से ना पकने वाली किस्में- यह पूरी किस में 110 से 120 दिन में पकती हैं कुफरी सिंदूरी , फ्राईसोना, बादशाह आदि।

आलू की नई किस्में (प्रजातियां)

इन चीजों के अलावा और कुछ नई किस्में है जिसे हम इन नामों से जानते हैं कुफरी चिप्सोना -1, कुफरीचिप्सोना -2,कुफरी गिरिराज आदि।

संकर किस्में किसे कहते हैं

  • कुफरी जवाहर जो एच 222- आलू किए को फ्री किस में फसल को 90 से 110 दिन में तैयार हो जाती है आलू की यह किस में अगेती झुलसा और फोम रोग के लिए प्रतिरोधक है कुफरी ज्वाहर जो एच प्रति हेक्टेयर में 250 से 230 किलोमीटर की फसल पैदावार होती है ।
  • ई 4486- यह आलू की किस्म की खासियत यह है कि यह फसल 135 दिन में तैयार होती है  फसल के लिए इन राज्यों में अधिक उपयोगी माना जाता है यूपी, हरियाणा, पश्चिम बंगाल ,बिहार ,गुजरात और मध्य प्रदेश इस किस्म को एक हेक्टेयर में 300 से 350 होटल की फसल पैदा कर सकते हैं।

(प्रजातियों) किस्में के साथ कुफरी शब्द क्यों होता है

क्या कुकरी शब्द के बारे में जानना चाहते हैं जानना चाहते हैं तो नीचे विस्तार से पढ़िए।

सीपीआरआई  ( CPRI)की वेबसाइट से यह जानकारी मिली है की आलू की नई प्रजाति के विकास के लिए प्रजनन आवश्यक है और यह प्रजनन की क्रिया से की जाती है मैदानी क्षेत्र में आलू की फसल पर फूल नहीं लगता वही पहाड़ी क्षेत्र में फसल पर फूल लगता है कुफरी नाम का एक जगह है जो पश्चिम हिमाचल प्रदेश के शिमला की पहाड़ी पर है उस जगह को कुफरी के लिए जाना जाता है इसलिए इन प्रजातियों के साथ कुफरी को जोड़ा गया है ।

आलू के प्रकार (आलू की किस्मे)

बाजार में आलू को कई रंग आकार के आधार पर देखा जाता है जो कुछ इस प्रकार हैं।

    • लाल रंग का आलू- यहां से लाल रंग का होता है जो खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है इसे चोखा बना कर या भूल कर भी खा सकते हैं और सूप बनाने में भी  इसका प्रयोग किया जाता है ।
    • पीले रंग का आलू- आपको इसके नाम से ही पता चल गया होगा कि यह पीले रंग का होता है या आलू खाने में मीठा आता है और मांसाहारी वाले लोग इस आलू को ज्यादा प्रयोग करते हैं।
    • बैगनी रंग का आलू- यहां आलू एक इस प्रकार का है जो पका कर खाने में कैसे लाता है और यह ग्रिलिंग, वेकिंग और रोस्टिंग के लिए सही होता है।
    • सफेद रंग का आलू- यह आलू सफेद रंग का होता है जो सब आलूओ के मुकाबले अच्छा होता है खाने में मीठा नहीं आता और यह पका कर खाने में स्वादिष्ट होता है ।
    • रसेट रंग का आलू- या आलू छोटे ,मध्यम, बड़े आकार का होता है इसका रंग गोरा होता है खाने में स्वादिष्ट होता है।

आलू संकर किस्में

कुफरी जवाहर जो एच 222- आलू की यह कुफरी किसमें की फसल90 से 110 दिन में तैयार हो जाती है। आलू की किस्में अगेती झुलसा और फोम रोग के लिए प्रतिरोधक है इसकी फसल 1 हेक्टेयर में 250 से 300 कुंटल की पैदावार होती है।

ई 4486- यह आलू की किस्में की खासियत यह है। कि यह फसल 135 दिन में तैयार हो जाती है ।इस  फसल के लिए इन राज्यों को अधिक उपयोगी माना जाता है। जैसे यूपी, हरियाणा, पश्चिम बंगाल ,बिहार, गुजरात और मध्य प्रदेश।

आलू की नई प्रजातियां (किस्में) 

इन सभी किस्मों (आलू की किस्मे) के अलावा और कुछ नई जातियां (किस्में )हैं ।जिसे हम इन नामों से जानते हैं। कुफरी चिप्सोना -2, कुफरी गिरिराज ,कुफरी चिप्सोना -1 

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