Papaya Farming / पपीता की खेती करके कमाए लाखो का मुनाफा

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका up agriculture के इस ब्लॉग आज हम आप लोगों को बताएंगे की पपीता की खेती (Papaya farming) कब और कैसे करें तथा पपीते की खेती से संबंधित सभी प्रकार की जानकारियां प्रदान की जाएंगी यदि आप भी पपीते की खेती करके महीने का लाखों कमाना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें

पपीता एक प्रकार का पौष्टिक और गुणकारी फल होता है और इसकी खेती फलो के उत्पादन के रूप में की जाती है पपीता की खेती (Papaya farming) करने से कम समय में पौधे तैयार होकर फलो का उत्पादन देने लगते है |जिसमें विटामिन की अच्छी मात्रा पाई जाती है विटामिन के भरपूर मात्रा उपलब्ध होने के बाद भी इसमें पपेन नाम का एंजाइम भी पाया जाता है जो हमारे शरीर में उपस्थित कोलेस्ट्रॉल और अतिरिक्त चर्बी को घटाने में मदद करता है पपीते का सेवन करने से विभिन्न प्रकार की बीमारियां दूर हो जाती है पपीते की खेती करना काफी आसान होता है  और पपीते के पौधे 7 से 8 महीने में फलों का उत्पादन देना आरंभ कर देते है |

इसी कारण पपीते की खेती (Papaya farming) के प्रति किसान भाइयों का रुचि लगातार बढ़ता ही जा रहा है भारत में पपीते की खेती बिहार, महाराष्ट्र ,उत्तर प्रदेश ,हरियाणा ,दिल्ली ,तमिलनाडु ,पंजाब ,आंध्र प्रदेश ,गुजरात ,असम ,जम्मू कश्मीर, मिजोरम ,उत्तरांचल जैसे राज्य में अधिक मात्रा में की जाती थी परन्तु पपीते की खेती में कम लागत तथा अधिक मुनाफा को देखते हुए अब इसकी खेती पूरे भारत में लगभग सभी स्थानों की जाने लगी है |

पपीता की खेती(Papaya farming) करने के लिए किस्मो का चयन 

व्यावसायिक रूप से फलों का उत्पादन करने के लिए ताइवान, रेड लेडी 786, पंजाब ,स्वीट पूसा ,डिलीशियस पूसा, जॉइंट पूसा ,डवार्फ पूसा और नन्हा सूर्यापत पपीता आदि का हीं चयन करना चाहिए उपरोक्त पंक्ति में हमने पपेन नामक शब्द का जिक्र किया तो हम आपको बताते हैं की पपेन कहते किसे हैं हरे और कच्चे पपीता के फलों से सफेद रस या दूध निकाल कर सुखाए गए पदार्थ को ही पपेन कहते है |

Papaya farming

पपेन का उपयोग मुख्य रूप से मांस को मुलायम करके प्रोटीन को पचाने वाले पेय पदार्थों को साफ करना च्विंग
बनाना ,पेपर कारखाने में दावों का निर्माण में सौंदर्य प्रसाधन के समान बनाने आदि के लिए इसका प्रयोग किया जाता है पपेन का उत्पादन अलग-अलग किस्म के आधार पर अलग-अलग किया जाता है पपीता एक प्रकार का ऐसा फसल होता है जिससे आप गमले में भी लगा सकते हैं इसे  गमले में लगाने के लिए निम्न किस्म का ही चुनाव करना चाहिए जैसे पूसा नन्हा और पूसा डवार्फ आदि।

Papaya farming: पपीते की खेती करने के लिए उपयुक्त मिट्टी जलवायु और तापमान का चयन

सामान्यता पपीते की खेती (Papaya farming) करने के लिए किसी प्रकार की उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है पपीते की खेती (Papaya farming) आप किसी प्रकार की मिट्टी में कर सकते हैं परंतु यदि आप इसकी खेती बलुई दोमट मिट्टी में करते हैं तो आपको बारिश के मौसम में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि बारिश के समय में पानी भर जाने से पौधों को नुकसान पहुंचता है उचित जल विकास वाली भूमि में भी पपीते की खेती (Papaya farming) को आसानी से कर सकते हैं

इसकी खेती करने के लिए मिट्टी का PH मान 7 से 7.5 के मध्य होना चाहिए पपीते की खेती (Papaya farming) आप जिस मौसम में चाहे कर सकते हैं किंतु यदि आप इसकी खेती सर्दियों के मौसम में करते हैं तो सर्दियों के मौसम में गिरने वाले पालो को  पपीते के पौधे सहन नहीं कर पाते है इसलिए पपीते की खेती सर्दियों के मौसम में न करे  क्युकी पपीते के पौधों के तापमान सहन करने की अधिकम क्षमता 44 डिग्री तथा न्यूनतम 5 डिग्री होती है |

पपीते की खेती(Papaya farming) के लिए खेत की तैयारी और उर्वरक की मात्रा

पपीता की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए हमें खेत को अच्छे तरीके से तैयार करना होगा इसके लिए अच्छे तरीके से खेत की गहरी जुताई कर लेना चाहिए. जिससे हमारे खेत में पहले से मौजूद अन्य फसलों के अवशेष पूरी तरीके से नष्ट हो जाते हैं इसके बाद सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेतों में डाल देना चाहिए खेतों में खाद डालने के बाद दो या तीन बार रोटावेटर की सहायता से जुताई कर देना चाहिए

जिससे खेत की मिट्टी में गोबर की खाद अच्छी तरीके से मिल जाए इसके बाद पाटा की सहायता से खेत को समतल कर लेना चाहिए. इससे खेतों में जल भराव  की समस्या नहीं उत्पन्न होती है पपीते के पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए उचित मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता होती है इसके पश्चात 200 GM नटराजन, फास्फोरस 200 GM और 400 GM पोटाश की मात्रा को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देना चाहिए पौधों की रोपाई के लगभग तीन से चार महीने के बाद उर्वरक का इस्तेमाल करने से अच्छे गुणवत्ता वाले फल प्राप्त होते है |

पपीते के पौधों की रोपाई का सही समय  

Papaya farming में पपीते के पौधों की रोपाई पौधों के रूप में की जाती है इसके लिए सबसे पहले पपीते के पौधों को पॉलिथीन में तैयार कर लिया जाता है इसके बाद पॉलिथीन से  निकाल कर पौधों को गड्ढे में डालकर रोपाई कर दी जाती है यदि आप बीजों की रोपाई सीधा खेत में करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अत्यधिक देखरेख करने की आवश्यकता होगी इसलिए बीजो  को पहले नर्सरी या घर में तैयार कर लेना चाहिए

Papaya farming

बीजों की रोपाई के लिए नर्सरी को 10 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए तथा पौधों के बड़े हो जाने पर उसे लगभग 20 सेंटीमीटर की दूरी पर गड्ढे में डालकर लगाना चाहिए यदि आप असिंचित स्थान पर पपीते की खेती (Papaya farming) करते है तो इसकी  रोपाई का उपयुक्त समय जून और जुलाई का महीना होता है क्योंकि इस समय बारिश का महीना होता है और पौधों को उचित मात्रा में पानी मिल जाता है पपीते के बीजों की बुवाई आप सितंबर अक्टूबर और फरवरी के महीने में भी कर सकते हैं क्योंकि पपीते के पौधों की वृद्धि के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है |

Papaya farming में पपीते के पौधों में लगने वाले रोग तथा उसके रोकथाम

जैसा कि हम आप लोगों को बता दे की पपीते के पौधे में भी कई प्रकार के रोग देखने को मिलते हैं जो पैदावार को अधिक प्रभावित करते हैं इसमें रिंगस्पॉट, डिस्टोसर्न, मोजैक लीफ कर्ल, एन्थ्रेक्नोज, जड़ व तना सड़न और कली व पुष्प वृंत का सड़ना आदि विभिन्न प्रकार के रोग लगते हैं जो पपीता के पौधों पर आक्रमण करके फलों के उत्पादन को प्रभावित करते हैं और पौधों को नष्ट कर देते हैं

इन रोगो  का उपचार करने के लिए पौधों पर लगने वाले सडन -गलन को खरोच कर वार्डोमिक्सर के 5:5:20 अनुपात का लेपअच्छे तरीके से लगा देना चाहिए इसके अलावा और भी विभिन्न प्रकार के रोगों से बचने के लिए पपीते के पौधों पर डाईथेन एम्-45, 2 GM, मैन्कोजेब या जिनेव 0.2% से 0.25 % या व्लाईटाक्स 3 GM की उचित उचित मात्रा में घोल बनाकर छिड़काव कर देना चाहिए जिससे पपीते के पौधे पर रोग नही लगते है और इस प्रकार पपीता के पौधे पर लगने वाले रोग के रोकथाम की जा सकती है |

Papaya farming मे पपीते के पौधों की सिंचाई

पपीते के पौधों की रोपाई भूमि की सतह से थोड़ा ऊपर ही करना चाहिए क्योंकि इसके पौधों  को अत्यधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है इसके पौधों की पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद ही कर देना चाहिए गर्मियों के मौसम में इसके पौधों को 4  -5 दिन में देते रहे तथा सर्दियों के मौसम में इसके  पौधों को 8 से 10 दिन के अंतराल में पानी दे सकते हैं |

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Papaya farming में पपीते से नर पौधों को अलग कैसे करे

पपीते के पौधों में तीन तरह के किसमे पाई जाती हैं जो नर मादा तथा उभयलिंगी पौधे होते हैं यदि पपीते के पौधों से हमें नर पौधे को अलग करना है तो पौधों के बड़े हो जाने पर उसकी पहचान की जा सकती है नर पौधों की पहचान  छोटे-छोटे गुच्छों  में लंबे डंठल युक्त पुष्प से  की जाती है  और  यदि आप मादा और उभयलिंगी पौधों की रोपाई कर देते हैं तो उससे आपका फल प्राप्त नहीं होगा फलों का उत्पादन प्राप्त करने के लिए नर पौधे ही लगाये |

जानिए क्यों करे पपीते के पौधों की निराई -गुड़ाई 

पपीते के खेत (Papaya farming) की निराई -गुड़ाई हमें करते रहना चाहिए क्योंकि सिंचाई के दौरान पौधों के पास की भूमि काफी कठोर हो जाती है जिस कारण से पौधों की जड़ों में उचित मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है पौधों की जड़ों में उचित मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त हो इसलिए इसके पौधों के निराई- गुड़ाई उचित समय पर करते रहें पौधों की प्रत्येक तीसरी सिंचाई के बाद निराई -गुड़ाई अवश्य कर देना चाहिए इससे पैदावार पर काफी असर पड़ता है |

Papaya farming में पपीता के फलों का पैदावार और लाभ

पपीता के फलों की तुडाई करने के तुरंत बाद उसे संरक्षित कर लेना चाहिए. संरक्षित करने के लिए इसे अखबार या सादे कागज में लपेटकर रख लेना चाहिए है जिससे पपीता दबने से बच जाते हैं और यह खराब नहीं होता है यह भी ध्यान रखना चाहिए कि फलों को तोड़ते समय वह नीचे ना गिरे क्योंकि नीचे गिरने से खरोच लग सकते हैं और या जल्दी से खराब हो सकता है |

1 हेक्टेयर खेत में लगभग 35 से 40 टन पपीते की पैदावार प्राप्त होती है इसके बाजार में काफी अच्छा भाव होता है जिससे हमारे किसान भाई एक बार पपीते की खेती करके डेढ़ से 2 लख रुपए तक का मुनाफा कमा सकते है |

FAQs

1.पपीता की खेती (Papaya farming) के लिए नर्सरी  कब तैयार की जाती है ?

मार्च और अप्रैल महीने में पपीते की नर्सरी को तैयार किया जाता है |

पपीता का पौधा कितने साल तक फल देता है ?

पपीते का पौधा 7 से 8 महीने के बाद फल  देना  शुरू कर देता है और यह तीन से चार साल तक लगातार फल देता है |

पपीता पकने में कितने दिन का समय लगता है ?

पपीते को कागज या अखबार में लपेट कर रखने से यह दो या तीन दिनों के अंदर पक जाता है |

पपीते के बीजों का रेट क्या है ?

अच्छे किस्म के पपीता के बीज का न्यूनतम मूल्य ₹40000 प्रति किलो होता है |

1 एकड़ में कितने पपीते के पौधे लगाते हैं ?

1 एकड़ खेत में लगभग 1000 पपीते के पौधे लगाए जाते हैं प्रत्येक पौधों में 90 से 95 किलो फलों का उत्पादन होता है

बुखार में पपीता खाने से क्या फायदा है ?

बुखार में पपीता खाने से प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ जाती है

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