हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट आम्रपाली आम की खेती में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको आम्रपाली आम की खेती के बारे में बताएंगे यदि आप भी आम्रपाली आम की खेती करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े |
मुख्य रूप से, “आम्रपाली आम” एक प्रजाति का आम है जो भारत में पाया जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम “Mangifera indica” है. आम्रपाली एक स्वादिष्ट और आकर्षक आम है जिसे विशेष रूप से भारत में उत्पन्न किया जाता है.
आम्रपाली आम की खेती के लिए आम्रपाली आम का पेड़ मध्य और उत्तर भारत में प्रमुख रूप से पाया जाता है. इसके पेड़ की ऊचाई और आकार विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग हो सकते हैं. आम्रपाली आम का फल अधिकतर गर्मी के मौसम में परिपक्व होता है और इसका स्वाद तेज़, मिठा, और रसीला होता है.
इस आम की विशेषता इसके सुंदर रंग और आकर्षक रूप से बड़े आकार की गाठियों में है. यह आम आमतौर पर तंदुरुस्त और स्वस्थ फल के रूप में जाना जाता है.
आम्रपाली आम का सेवन सीधे फल के रूप में, आम के रस, आम्रपाली चटनी, आम्रपाली शेक, आम्रपाली का अचार, आम्रपाली का जूस, इस्तेमाल किया जा सकता है. यह एक लोकप्रिय और सुप्रसिद्ध आम है, आम्रपाली आम की खेती से भारतीय खाद्य सामग्री के रूप में व्यापकता से उपयोग किया जाता है.
आम्रपाली आम के बीज का चयन
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आम्रपाली आम की खेती के लिए आम्रपाली आम के बीज का चयन करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखनी चाहिए:
1. बीज का चयन:
- आपको स्वस्थ और प्रफुल्लित दृष्टिकोण वाले बीज को चुनना चाहिए.
- बीज का आकार बड़ा और समान होना चाहिए.
- बीज का रंग समृद्धि और परिपक्वता का संकेत होना चाहिए.
2. आम का रूप:
- जो आम बीज से निकलेगा, उसका आकार सामान्यत: में समान होना चाहिए और किसी प्रकार के रोग या कीटाणु नहीं होने चाहिए.
3. पैकेजिंग और भंडारण:
- बीजों को सुरक्षित और सुरक्षित रूप से पैक करें।
- उचित भंडारण के लिए ठंडे, शुष्क और हवा की चालक स्थितियाँ बनाए रखें.
4. उपयोगशीलता की जाँच:
- बीजों को पूर्वी पूर्व जाँचें कि वे किसी प्रकार के रोग, कीटाणु, या अन्य विषाणु से मुक्त हैं.
5. किसान का सहारा:
- विशेषत: रूप से आम्रपाली आम की बुआई के लिए उत्तम अवसरों की जाँच करने के लिए स्थानीय किसानों या विशेषज्ञों से सलाह लें।
इन सभी बातों को ध्यान में रखकर बीज का चयन करना महत्वपूर्ण है ताकि सुदृढ़ और स्वस्थ पौधे उगे और आपको अच्छी फसल मिले।
आम्रपाली आम के खेती के लिए भूमि की तैयारी
आम्रपाली आम की खेती के लिए सही भूमि की तैयारी करना एक महत्वपूर्ण कदम है ताकि पौधों को अच्छी ग्रोथ हो सके और फसल में सुधार हो। यहां कुछ महत्वपूर्ण चरण दिए जा रहे हैं:
1. भूमि का चयन:
- आम के लिए उपयुक्त भूमि को चयन करें जो अच्छी द्रावणीयता और शीतलता वाली हो.
- भूमि का pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए.
2. क्षेत्र का चयन और तैयारी:
- आम के खेत का चयन उचित सूर्य प्रकाश और अच्छी हवा के साथ करें.
- भूमि की तैयारी के लिए उचित प्लोटिंग करें और कीटाणुओं और विषाणुओं से मुक्त करने के लिए उचित उपायों का अनुसरण करें.
3. जल संरक्षण:
- समर्थ जल सिस्टम सुनिश्चित करें ताकि पौधों को नियमित और सही मात्रा में पानी मिल सके.
- बूंद बूंद की खेती करने के लिए सिस्टम को स्थापित करें या ट्रिकल आईरिगेशन का उपयोग करें.
4. उर्वरकों का अनुसरण:
- उर्वरकों की सही मात्रा में पूरी जरूरत होती है, और इसके लिए भूमि की जाँच करें।
- आम के पौधों को विकसित होने के लिए उर्वरकों को समर्थन के लिए चुनें.
5. खाद्य पूर्व प्रक्रिया:
- आम्रपाली आम के लिए जीवाणु और विषाणु मुक्त खेत की खोज करें।
- खेत में खाद्य पूर्व प्रक्रिया के लिए जीवाणुनाशी और कीटनाशी उपायों का उपयोग करें.
6. आपूर्ति नली का निर्माण:
- सही आपूर्ति नली का निर्माण करें ताकि पौधों को सही मात्रा में पानी मिल सके.
7. पौधों की बढ़ती हुई सुरक्षा:
- अच्छे उच्चतम गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें।
- पौधों की गहरी खेती और उच्चतम उत्पादन के लिए सही दृष्टिकोण और प्रबंधन का संबंधित अनुप्रयोग करें.
इन चरणों का पालन करने से आप सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपका आम की खेती सफल और उत्तम परिणाम देती है।
आम्रपाली आम की खेती के लिए आम के बुआई और रोपण का सही समय
आम्रपाली आम की बुआई और रोपण का सही समय बहुत महत्वपूर्ण है ताकि पौधे सही समय पर विकसित हों और उत्तम प्रदर्शन करें।आम्रपाली आम की खेती के लिए यहां आम्रपाली आम की बुआई और रोपण के लिए सुझाए गए समय का माध्यमिक रूप से उल्लेख किया गया है:
1. बुआई का समय:
- आम की बुआई का सही समय गर्मी के मौसम के बाद होता है, जब ठंडी हवा और मौसम की शांति होती है। यह विकसित होने वाले पौधों के लिए अधिक उपयुक्त होता है.
- आम्रपाली आम की बुआई का सबसे उत्तम समय फरवरी से मार्च के महीनों में होता है, जब मौसम ठंडा होता है और बर्फबारी खत्म हो गई है।
2. रोपण का समय:
- बुआई के बाद कुछ हफ्ते के बाद, जब पौधे पूर्ण रूप से विकसित हो जाते हैं, तब आम के पौधे को खेत में रोपा जा सकता है.
- रोपण का सही समय गर्मी के मौसम की शुरुआत के बाद और गर्मी के छिटाई के दौरान होता है, ताकि पौधे अच्छे से विकसित हो सकें।
3. बुआई और रोपण का विवेचन:
- अगर आप उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में हैं, तो आपको शाम या सुबह के समय में बुआई और रोपण करना चाहिए, ताकि पौधों को ठंडक मिले और विकसित होने में मदद मिले।
4. जल साधन:
- बुआई के बाद और रोपण के दौरान सही समय पर पौधों को पर्याप्त पानी प्रदान करना महत्वपूर्ण है।
- समय समय पर जल साधन की योजना बनाएं ताकि पौधों को उचित मात्रा में पानी मिले और उनकी देखभाल की जा सके।
ये सुझाव उचित गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। आम्रपाली आम की खेती के लिए आम की बुआई और रोपण के लिए सबसे अच्छा समय स्थानीय मौसम और भूमि की शर्तों के आधार पर भी निर्भर करता है, इसलिए स्थानीय अनुसंधान भी महत्वपूर्ण है।
आम्रपाली आम के फसल के लिए जल संसाधन
आम्रपाली आम की खेती के लिए आम्रपाली आम की फसल के लिए उचित जल संसाधन एक महत्वपूर्ण पहलु है ताकि पौधों को आवश्यक और समय पर पानी मिल सके, जिससे उनका सही विकास हो सके। निम्नलिखित उपायों का पालन करके आप आम्रपाली आम की फसल के लिए उचित जल संसाधन सुनिश्चित कर सकते हैं:
1. आपूर्ति नली योजना:
- एक अच्छी आपूर्ति नली योजना बनाएं ताकि पौधों को सही मात्रा में पानी प्रदान किया जा सके।
- सिस्टम को इस प्रकार डिज़ाइन करें कि पानी सही समय पर पौधों के नीचे पहुंचे।
2. बूंद बूंद की खेती:
- बूंद बूंद की खेती का उपयोग करें, जिसमें पानी को सीधे पौधों के निकट बूँदा-बूँदा पहुंचाया जाता है।
- इससे पानी की बचत होती है और पौधों को सही मात्रा में पानी मिलता है।
3. धरातल पर सीधे सिंचाई:
- धरातल पर सीधे सिंचाई का उपयोग करें, जिससे पौधों को सीधे जड़ों तक पानी पहुंच सके।
- यह विषेशकर समय बचाने और पानी की बचत के लिए उपयुक्त है।
4. मुल्चिंग का उपयोग:
- मुल्चिंग का उपयोग करके धरातल को ढ़कने से जल की बचत होती है और विष्ठारित गर्मी के कारण पानी की उपयोगिता बढ़ती है।
5. स्थानीय मौसम का ध्यान रखें:
- अपने क्षेत्र के स्थानीय मौसम की जानकारी प्राप्त करें और उसी के अनुसार सिंचाई की योजना बनाएं।
- मौसमी परिचिति के आधार पर सिंचाई की आवश्यकता को निर्धारित करें।
उचित जल संसाधन का सुनिश्चित करने से आप आम्रपाली आम की फसल को सही से देखभाल कर सकते हैं और उत्तम उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
आम्रपाली आम के फसल के लिए खाद और उर्वरक
आम्रपाली आम की खेती के लिए आम्रपाली आम के फसल के लिए उचित खाद और उर्वरक का प्रयोग करना महत्वपूर्ण है ताकि पौधों को आवश्यक पोषण मिले और उत्तम उत्पादन हो। यहां कुछ महत्वपूर्ण निर्देश दिए जा रहे हैं:
1. नियमित खाद आपूर्ति:
- आम्रपाली आम के पौधों को नियमित और समतुल्य प्रमाण में खाद प्रदान करना चाहिए।
- बुआई के समय और फसल की विकास के दौरान विशेषकर अक्टूबर से मार्च के महीनों में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटैशियम युक्त खादों का प्रयोग करें।
2. कमी की खाद:
- खाद की कमी की स्थिति में, पौधों को इस्तेमाल करने के लिए जीवाणु या कॉम्पोस्ट खाद का प्रयोग करें।
- किसानों को अपनी खेतों की मिट्टी का परीक्षण कराना चाहिए ताकि वे सही खाद की जानकारी प्राप्त कर सकें।
3. उर्वरकों की सही मात्रा:
- उर्वरकों की सही मात्रा का पालन करें, जैसे कि नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सल्फर, और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के साथ समृद्धि किया गया खाद.
पौधों की विकास के अनुसार उर्वरकों की अच्छी विवेचन करें और जरूरत के हिसाब से प्रयोग करें।
4. खाद की प्रबंधन:
- अधिकतम उत्पादन के लिए खादों की अच्छी प्रबंधन की आवश्यकता है।
- यह सुनिश्चित करेगा कि सभी पोषणतत्वों की सही मात्रा में पौधों को पहुंच रही है और कोई कमी नहीं है।
5. प्रोजेक्ट बेस्ड खाद:
- आप पौधों को उचित खाद प्रदान करने के लिए प्रोजेक्ट बेस्ड खादों का उपयोग कर सकते हैं। इसमें समय और जल संयंत्र की बचत हो सकती है।
6. समर्थ जल संसाधन:
- जल संसाधन की अच्छी योजना बनाएं ताकि पौधों को समय पर सही मात्रा में पानी मिल सके।
- स्थानीय मौसम और फसल की आवश्यकताओं के आधार पर सिंचाई योजना बनाएं।
इन सुझावों का पालन करके आप आम्रपाली आम की फसल को सही से पोषित कर सकते हैं और उत्तम उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
आम्रपाली आम के फसल की सुरक्षा और संरक्षण
आम्रपाली आम की खेती के लिए आम्रपाली आम की फसल को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं, जिनमें खेती, बागवानी, और पौधरोपण के विभिन्न पहलुओं का समावेश हो सकता है। यहां कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए जा रहे हैं:
1. रोग और कीट प्रबंधन:
- सुरक्षित फसल प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से फसल में रोग और कीटनाशकों का समीक्षण करें।
- जरूरत के हिसाब से कीटनाशकों का प्रयोग करें, लेकिन सुनिश्चित करें कि यह पौधों और पर्यावरण के लिए सुरक्षित है।
2. जल संरक्षण:
- सुरक्षित जल संसाधन की योजना बनाएं ताकि पौधों को सही मात्रा में पानी मिल सके।
- ट्रिकल आईरिगेशन या बूंद-बूंद सिंचाई की तकनीकें अपनाएं जो जल की बचत करती हैं और पौधों को सही समय पर पानी प्रदान करती हैं।
3. बीज सुरक्षा:
- उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें जो रोगों और कीटों के खिलाफ सुरक्षित हों।
- सुरक्षित बीजों का प्रयोग करने से फसल की आरंभिक स्थिति में ही सुरक्षा मिल सकती है।
4. सही बुआई तकनीक:
- बुआई के समय सही तकनीकों का प्रयोग करें, जैसे कि बूंद-बूंद बुआई तकनीक जो जल संभारण को बढ़ाती है और भूमि की नमी को बनाए रखती है।
5. पौधों की सही खेती:
- नियमित रूप से पौधों की सही खेती और प्रबंधन करें, जैसे कि अच्छी स्थिति में खेती, खाद का प्रबंधन, और जल संभारण की सुरक्षा।
6. बागवानी की सुरक्षा:
- बागवानी में सुरक्षा उपायों को अपनाएं, जैसे कि अनियमित अंतराल पर पौधों की सुरक्षा के लिए चेकपॉस्ट और फास्ट कैमरे का प्रयोग।
7. अनुसंधान और समर्थ सहायक:
- स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्रों और विशेषज्ञों से सहायता लें।
- फसल के अनुसंधान और समर्थ सहायता से सुरक्षित और सही तकनीकों का पता करें।
ये सुरक्षा और संरक्षण के उपाय आम्रपाली आम की फसल को स्वस्थ और सुरक्षित बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
आम्रपाली आम के प्रुनिंग और थिनिंग
आम्रपाली आम की खेती के लिए आम्रपाली आम की प्रुनिंग और थिनिंग उन तकनीकों को कहा जाता है जिनका उपयोग पौधों को सही रूप से प्रुन करने और उन्हें उचित संख्या में कम करने के लिए किया जाता है, ताकि फसल की गुणवत्ता में सुधार हो सके। यहां कुछ महत्वपूर्ण निर्देश दिए जा रहे हैं:
1. प्रुनिंग (कटाई):
- अंकुर प्रुनिंग (Seedling Pruning): जब पौधे 3-4 फीट की ऊंचाई तक पहुंच जाते हैं, तो अधिकतम खाज की अनुमति के लिए कुछ अंकुर पौधों को काट दें।
- ब्रांच प्रुनिंग (Branch Pruning): पूर्ण विकासित शाखाएं और शीर्षक जो फलों को धारित करने के लिए उपयुक्त नहीं हैं, उन्हें नियमित रूप से काट दें।
- बूटी प्रुनिंग (Bootie Pruning): इसमें पेड़ की ऊपरी शीर्षक को काटा जाता है ताकि फल और बूटियों को सही से पौधों तक पहुंच सके।
2. थिनिंग (कमजोर शाखाएं और फलों का कमी करना):
- बूटी थिनिंग (Bootie Thinning): यदि बूटी में अधिक फल होता है, तो इसे कम करें ताकि अच्छे से विकसित फल मिल सके।
- खाज थिनिंग (Crotch Thinning): खाज की सभी शाखाओं को बचाने के लिए कुछ शाखाएं काट दें ताकि पौधों को अधिक ऊर्जा और पोषण मिल सके।
- बूटी थिनिंग (Bootie Thinning): इससे बूटी में सुरक्षित फलों की उचित संख्या होती है जो फल का विकसित होना सुनिश्चित करता है।
3. थिन फलों की हटाई:
- थिन फलों को हटाने का काम इसलिए किया जाता है क्योंकि अधिक फलों की वजह से पौधों को ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है और वे कमजोर हो सकते हैं।
- थिन फलों को बागवानी की शाखा को काटकर हटा दें ताकि बाकी के फलों को अधिक ऊर्जा और पोषण मिल सके।
4. पौधों की विकसन (स्क्रूटिंग):
- फलों को बड़ा और ऊँचा करने के लिए पौधों को स्क्रूटिंग तकनीक का प्रयोग करें।
- स्क्रूटिंग से पौधों को बढ़ावा मिलता है और फलों को सुरक्षित रूप से धारित करने में मदद करता है।
इन तकनीकों का प्रयोग करके आप आम्रपाली आम की प्रुनिंग और थिनिंग कर सकते हैं, जिससे पौधों का सही विकास होगा और आप अधिक और उच्च गुणवत्ता वाले फल प्राप्त कर सकेंगे।
आम्रपाली आम के बागवानी रोग और समस्याएँ
आम्रपाली आम की खेती के लिए आम्रपाली आम के बागवानी में कई प्रकार के रोग और समस्याएँ हो सकती हैं, जो पौधों को प्रभावित कर सकती हैं और उत्पादन को कम कर सकती हैं। यहां कुछ प्रमुख रोग और समस्याएँ हैं जो आम के बागवानी में पाई जा सकती हैं और इनका प्रबंधन करने के उपाय दिए जा रहे हैं:
फलों का गिरना (Dropping of Fruits):
- कारण: फलों का अधिक संख्या में होना या थोड़े समय में अधिक फल विकसित होना इस समस्या का कारण हो सकता है।
- प्रबंधन: थिनिंग की तकनीक का प्रयोग करें और अधिक संख्या में फलों को हटा दें
खाद्य प्रदान संबंधी समस्याएँ:
- कारण: अधिक या कम पोषण, खाद्य प्रदान में कमी इस समस्या का कारण बन सकती है।
- प्रबंधन: सुधारित खेती प्रणाली का अनुसरण करें और सुरक्षित खादों का प्रयोग करें।
फलों का फटना (Fruit Splitting):
- कारण: तेज वर्षा या पुनरावृत्ति के कारण फलों का फटना हो सकता है।
- प्रबंधन: धरातल को बनाए रखें ताकि जल अधिशेष को समुद्र द्वारा निष्कासित किया जा सके।
फूलों का सूजन और गिरना (Flower Wilt and Drop):
- कारण: उच्च तापमान, कम ऊर्जा पोषण, या कीट प्रबंधन की कमी इस समस्या का कारण बन सकती है।
- प्रबंधन: सही पोषण और कीटनाशकों का प्रयोग करें, और तापमान को नियंत्रित करने के लिए उचित उपायों का अनुसरण करें।
कुरकुरी पत्तियाँ (Crispy Leaves):
- कारण: अधिक गर्मी, कम जल संबंधी कमी, या पाथोजेनिक संक्रमण के कारण पौधों की पत्तियाँ कुरकुरी हो सकती हैं।
- प्रबंधन: आवश्यकता के हिसाब से सिंचाई करें और उचित रोगनाशकों का प्रयोग करें।
समर्थ्य गिरावट (Fruit Drop):
- कारण: उच्च तापमान, अधिक फल संख्या, या अधिक फलों का विकसन के कारण समर्थ्य गिरावट हो सकती है।
- प्रबंधन: थिनिंग तकनीक का प्रयोग करें और अधिक फलों को हटा दें।
खाद्य प्रदान संबंधी समस्याएँ:
- कारण: अधिक या कम पोषण, खाद्य प्रदान में कमी इस समस्या का कारण बन सकती है।
- प्रबंधन: सुधारित खेती प्रणाली का अनुसरण करें और सुरक्षित खादों का प्रयोग करें।
फलों की सड़करना (Fruit Cracking):
- कारण: तेज बारिश या विरोधी परिस्थितियों के कारण फलों की चमक की कमी हो सकती है, जिससे वे फट सकते हैं।
- प्रबंधन: धरातल को बनाए रखें ताकि जल अधिशेष को समुद्र द्वारा निष्कासित किया जा सके और फलों को अधिकतम चमक मिले।
आम्रपाली आम की खेती के लिए बागवानी में यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि समस्याएँ समय पर पहचानी जाएं और उचित प्रबंधन के लिए उपाय अभिग्रहित किए जाएं। स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विशेषज्ञ से सहायता प्राप्त करना भी सहारा प्रदान कर सकता है।
आम्रपाली आम के हार्वेस्टिंग:
1. फलों की पहचान:
- आम्रपाली आम की खेती के बाद फलों को बाजार पहुंचाने से पहले उन्हें विशेषज्ञता और गुणवत्ता के आधार पर चयन करें।
- आम का रंग, आकार, और स्वाद की गुणवत्ता पर ध्यान दें।
2. हार्वेस्टिंग टाइमिंग:
- आम्रपाली आम की खेती के लिए आमों को बड़ाई गई फसल के सही समय पर हार्वेस्ट करें, जब वे पूरी तरह से पूर्वस्थित हों।
- वैज्ञानिक उपायों और हार्वेस्टिंग इंडिकेटर्स का प्रयोग करें।
3. उपयुक्त टूल्स का प्रयोग:
- फलों को काटने और संग्रहण के लिए उपयुक्त टूल्स का प्रयोग करें, जैसे कि बागवानी के छाद में लेडर बैग और नले।
4. हैंडलिंग और स्टोरेज:
- आम्रपाली आम की खेती के बाद फलों को हाथों से धीरे से और सावधानीपूर्वक हैंडल करें ताकि वे किसी भी तरह के क्षति से बचे।
- स्थानीय निर्मित स्टोरेज या कूलर का प्रयोग करें ताकि फलों का स्वाद और गुणवत्ता बना रहे।
आम्रपाली आम की फसल को बाजार पहुंचान:
1. बाजार का अध्ययन:
- स्थानीय बाजार की मांग और विशेषज्ञता को ध्यान में रखें ताकि आम की फसल का उत्पादन उसी अनुसार हो सके।
2. वस्तुगत समझदारी:
- बाजार में यह सुनिश्चित करें कि आपका आम अच्छे से पैकेज किया गया है और उच्च गुणवत्ता वाला है।
3. मूल्य निर्धारण:
- आम्रपाली आम की खेती के लिए उच्च मूल्य दर निर्धारित करने के लिए स्थानीय बाजार की मूल्य दर का अध्ययन करें और उसे सही से अनुसरण करें।
4. बाजार संबंधी सहायक स्थान:
- स्थानीय बाजार संबंधित स्थानों जैसे कि सब्जी मंडी या नगर पालिका से सहायता प्राप्त करें।
5. प्रमोशन और मार्गदर्शन:
- आम्रपाली आम की खेती के लिए अच्छे पैकेजिंग, लेबलिंग, और प्रमोशन के लिए उचित तकनीकों का प्रयोग करें।
- आम्रपाली आम की खेती के लिए बाजारी पर्यवरण में जुड़े स्थानीय व्यापारियों की मार्गदर्शन करें।
आम्रपाली आम के उचित मानव संबंध:
1. किसानों के साथ संबंध:
- स्थानीय किसानों और उत्पादकों के साथ मिलजुलकर काम करें ताकि विशेषज्ञता और ज्ञान का उपयोग किया जा सके।
2. सामाजिक उत्साह:
- स्थानीय समुदाय में सामाजिक उत्साह बनाए रखें ताकि आप अच्छे संबंध बना सकें और उत्पादों को सही तरीके से प्रमोट कर सकें।
3. मूल्य निष्कर्ष:
- किसानों को उचित मूल्य निष्कर्ष करने में सहायक होना चाहिए ताकि उन्हें उचित मूल्य मिल सके और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके।
4. स्थानीय आपूर्ति श्रृंगार:
- आपकी आम्रपाली आम की फसल को स्थानीय उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए स्थानीय आपूर्ति श्रृंगार का उपयोग करें।
5. उपभोक्ता संपर्क:
- अपने उपभोक्ताओं से सीधे संपर्क में रहें और उनकी रायों और प्राथमिकताओं को समझें।
6. जागरूकता और शिक्षा:
- आम उत्पादन और उपभोक्ता सूचना शिक्षा जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्य करें ताकि समझदार उपभोक्ता उचित गुणवत्ता वाले उत्पाद का चयन कर सकें।
आशा करते हैं आपको यह ब्लॉक आम्रपाली आम की खेती कैसे करे पसंद आया होगा यदि आप किसी अन्य खेती के बारे में जानना चाहते हैं तो कमेंट में अवश्य बताएं हम आपको अन्य खेती के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने की कोशिश करेंगे और अपने साथियों के साथ इस पोस्ट को अवश्य शेयर करें।
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
आम्रपाली आम के पौधे 3 महीने के पश्चात ही फल देना आरंभ कर देता है।
आम्रपाली हमें अल्टरनेटिव बेयरिंग की समस्या नहीं होती है और यह 3 महीने में ही फल देना भी आरंभ कर देता है।
मांगो बारहमासी को मांगिफेरा मांगिफेरा इंडिका बारहमासी के नाम से भी जानते है |