मक्का की खेती कब और कैसे करे

हेलो किसान बंधुओ मैं आज आपको मक्का की खेती (makka ki kheti) कब और कैसे करे इसके बारे में बताऊंगा जैसा की आप सभी लोग जानते है हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश है यहाँ पर लगभग आधी से ज्यादा की आबादी कृषि पर ही निर्भर रहती है और वह कृषि से ही अपना जीवन यापन करते है जैसा की यहाँ के सभी किसान अलग अलग मौसम में अलग अलग खाद्यानो की उत्पादन करे है तथा अलग अलग फसलों की पैदावार करे है इन्ही फसलों में से एक मक्का की फसल है जो खरीफ की फसल मानी जाती है मक्का उत्पादन  में भारत चौथे नंबर पर आता है मक्का की फसल मुख्य रूप से खरीफ की फसल है लेकिन किसान भाई इसे रबी के सीजन में भी उगाते है मक्के की खेती से किसानो को बहुत ज्यादा लाभ होता है यह कम समय और कम लागत में अधिक उत्पादन देता है किसान दोस्तों इसका आप अधिक खेती करके व्यापर भी कर सकते है ।

मक्का की खेती करके लाखो किसान भाई अधिक मुनाफा कमा रहे है और ओ अपनी आय को दुगनी कर रहे है क्योकि मक्के की खेती में कम पैसे की जरूरत होती है और मुनाफा अधिक होता है यदि आप एक किसान होऔर मक्के की खेती करना चाहते है और आपको पता नहीं है की मक्के की कैसे खेती करे व कब करे तथा इसमें कौन कौन सी आवश्य्क चीजे उपलब्ध होनी चाहिए जिससे मक्के की खेती करके अधिक मुनाफा कमा सके तो आप परेशान ना हो आप इस पोस्ट के साथ अंत तक बने रहे और उसे पूरा पढ़े जिससे आपको पता हो जाये की मक्के की खेती कब और कैसे करे तथा साथ में इसकी सम्पूर्ण जानकारी मिल जायेगी ।

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मक्का की खेती कैसे करे | Makka Ki Kheti Kaise Kare 

Table of Contents

मक्का की खेती (makka ki kheti) करने के लिए आपको बहुत सी चीजों का ध्यान देना होगा जैसे की मक्का की खेती किस जलवायु में करनी चाहिए , खेत / भूमि की तैयारी , मक्का बुआई का समय मक्के की अच्छे किस्म की बीज कौन सा है तथा मक्के की बीज की मात्रा , मक्का की बुआई का तरीका , तथा उसमे कौन कौन सी खाद व उर्वरक देना चाहिए और साथ में ही इस फसल की कब सिंचाई निराई गुड़ाई करनी चाहिए आदि ये सभी चीजों की जानकारी आपको निचे प्रक्रिया बायीं प्रक्रिया मिल जाएगी ।

मक्का की खेती

मक्का की खेती के लिए उपर्युक्त जलवायु –

मक्का की खेती विभिन्न प्रकार की जलवायु में की जा सकती है लेकिन आप इसे उष्ण क्षेत्रो में मक्का की वृद्धि विकास एवं उपज अधिक देखने को मिलती है आप इसे गर्म ऋतू में ऊगा सकते है मक्के  की बीज की जमाव के लिए बराबर तापमान की आवश्यकता होती है मक्के की फसल के लिए शुरुआती दिनों में भूमि में पर्याप्त मात्रा में नमि होनी चाहिए मक्के की बीज की जमाव के लिए 18 से 23 डिग्री सेल्सियस की आवस्य्क्ता होती है तहत वृद्धि एवं विकास अवस्था के लिए 28 डिग्री सेल्सियस की तापमान उत्तम मानी गयी है ।

मक्का की खेती (makka ki kheti) के लिए उपर्युक्त भूमि –

मक्का की खेती तो वैसे सभी प्रकार की मिट्टियो में की जा सकती है लेकिन मक्का की अधिक उपज एवं अधिक वृद्धि के लिए इसे दोमट मिटटी की जरूरत होती है क्योकि दोमट मिटटी में पर्याप्त मात्रा में जीवाश्म उपस्थित रहते है तथा दोमट मिटटी में आसानी से जल निकास की वयवस्था हो जाती है मक्का की खेती के लिए जल निकास सबसे महत्वपूर्ण है लवणीय तथा क्षारीय भूमि में मक्का की खेती नहीं की जाती है ।

खेत / भूमि की तैयारी –

मक्का की  बीज बुआई से पहले खेत की तैयारी कर लेनी चाहिए की मुझे किस खेत में मक्का लगाना है मक्का खेत की पहली जुताई मिटटी पलटने वाले हल से करे फिर उसके बाद 2 से 3 बार की जुताई हैरो या देशी हल से करे मिटटी के ढेले को तोड़ने के लिए जुताई के समय पाटा जरूर लगवा ले अगर मिटटी में नमि की कमी है तो पहले उसे पलेवा करके जुताई करे सिंचित अवस्था में 60 सेंटीमीटर की दुरी पर मेड बनानी चाहिए जिससे जल निकासी में आसानी हो और फसल की वृद्धि भी अच्छे से हो ।

मक्का की अच्छे किस्म की बीज –

संकर किस्म अवधि ( दिन में ) उत्पाद( किवंटल / हेक्टेयर )
गंगा -5 100-115 50-80
डेक्कन -101 105-115 60-65
गंगा सफ़ेद -2 100-110 50-55
गंगा -11 100-105 60-70
डेक्कन -103 110-115 60-65
कम्पोजिट जातिया-
  • सामान्य अवधि वाली – चंदन मक्का -1 
  • जल्दी पकने वाली – चंदन मक्का -3
  • अत्यंत जड़ी पकने वाली – चंदन सफ़ेद मक्का -2

बीज की मात्रा –

संकर जातिया – 12 से 15 किलो / हे 

कम्पोजिट जातिया – 15 से 20 किलो / हे 

हरे चारे के लिए – 40 से 45 किलो / हे 

( आप छोटे या बड़े दानो के अनुसार भी बीज की मात्रा कम या अधिक कर सकते है ।) 

मक्का की बीज  की बुआई का समय –

खरीफ – जून से जुलाई तक 

रबी – अक्टूबर से नवम्बर तक 

जायद – फरवरी से मार्च तक 

मक्का की बीजोपचार –

मक्का की बीज बोन से पहले उसका उपचार क्र लेनी चाहिए जैसे की बीज को किसी फफूंदनाशक दवा जैसे थायरम या एग्रोसेन जी एन 2.5 – 3 ग्राम / की बीज का दर से उपचारित कर लेना चाहिए फिर उसको बोना चाहिए या फिर आप एजोस्पाइरिलम या पी एस बी कल्चर 5 – 10 ग्राम  / किलो बीज का उपचार क्र लेना चाहिए ।

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मक्का पौध अंतरण –

शीघ्र पकने वाली –  कतार से कतार की दुरी 60 सेंटीमीटर पौध से पौध की दुरी 20 सेंटीमीटर होनी चाहिए 

मध्य देर से पकने वाली – कतार से कतार की दुरी 75 सेंटीमीटर और पौध से पौध की दुरी 25 सेंटीमीटर होना चाहिए 

हरे चारे के लिए   –  कतार से कतार   की दुरी 40 सेंटीमीटर और पौध से पौध की दुरी 25 सेंटीमीटर होना चाहिए 

मक्का की बीज का बुआई का तरीका –

मक्का की बुआई करने के लिए वर्षा प्रारम्भ होने पर करना चाइये यदि आपके पास सिंचाई का साधन है तो आप 10 दिन बाद भी कर सकते है यदि आप 10 से 15 दिन बाद मक्का की बुआई कर रहे है तो इसमें आपका ही फायदा होगा क्योकि इसमें पैदावार की वृद्धि बढ़ जाती है  मक्का की बीज की बुआई मेड के किनारे या ऊपर 3 से 5 सेंटीमीटर की गहराई पर कर सकते है मक्का की बुआई के एक माह बाद मिटटी चढाने का कार्य करना चाहिए आप बुआई किसी भी तरह से कर सकते है । परन्तु मक्का की पौधों की संख्या खेत में ज्यादा नहीं होना चाहिए पर्याप्त मात्रा में ही होना चाहिए ।

मक्का के लिए खाद और उर्वरक की मात्रा –

  • शीघ्र पकने वाली किस्म के लिए –  80: 50 : 30  ( N.P.K )
  • माध्यम से पकने वाली किस्म के लिए –   120 ; 60 ; 50  ( N.P.K ) 
  • देरी से पकने वाली किस्म के लिए –  120 : 75 : 50 ( N.P.K ) 

यदि आप  जब भूमि की तैयारी कर रहे हो तभी उसी समय 5 से 8 टन अच्छी तरह से सदी हुयी गोबर की खाद को डाल दे तथा जब आप भूमि की परीक्षण किये हो और जस्ते की कमी आ रही है तो आप 25 किलोग्राम सल्फेट वर्षा से पहले डाल दे ।

मक्का में खाद एवं उर्वरक देने की विधि –

नाइट्रोजन –

  • 1/3 मात्रा बुआई के समय  ( आधार खाद के रूप में ) 
  • 1/3 मात्रा लगभग 1 माह के बाद ( साइड साइड से ) 
  • 1/3 मात्रा नरपुष्प ( मंझारी आने से पहले ) 

फास्फोरस और पोटाश –

फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा में बुआई के समय बीज से 5 से 6 सेंटीमीटर निचे डालना चाहिए चुकी मिटटी में इनकी गतिशीलता कम होती है अतः इनका निवेश ऐसी करनी चाहिए जहा पर करना आवश्य्क होता है अर्थात जहा पर पौधों की जड़ हो 

मक्का की पौध की निराई और गुडाई –

मक्का की बुआई के बाद लगभग 15 से 20 दिन बाद आप डोरा चलाकर निराई गुड़ाई करनी चाहिए या फिर आप ये कर सकते है की रसायनिक नींदानाशक में एट्राजिन नामक नींदानाशक का प्रयोग करे या फिर आप उसमे के खर पतवार को खुरपी की सयहयता से उसे बाहर निकाल दे आप मक्के की पौधे में समय समय पर उसमे का घास फुस निकलते रहना चाहिए लगभग आप 25 से 30 दिन बाद पौधे की जड़ो पर मिटटी चढ़ा दे ।

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मक्के की फसल की सिंचाई –

मक्के की फसल के लिए सिंचाई अति मह्त्वपूण है यदि आप मक्के की फसल में सिंचाई नहीं करेंगे तो फसल नस्ट हो जाएगी और पैदावार भी नहीं होगी इसलिए सिंचाई मक्के की फसल के लिए समय समय पे करते रहना चाहिए मक्के की फसल को पुरे अवधि में 400 – 600 मम। पानी की जरूरत होती है और इसकी सिंचाई की अधिक आवस्य्क्ता तब पड़ती है जब मक्के की पौध में पुष्पन और दाने की शुरुआत होती है आप खेत में पानी का निकास अवश्य करे ।

मक्के की फसल में लगने वाले प्रमुख किट –

मक्का का धब्बेदार तनाबेधक किट

मक्का की फसल में इस किट की झिल्ली पौधे की जड़ को छोड़कर समस्त सभी भागो को प्रभावित करते है सबसे पहले झिल्ली तने को छेद करते है  और प्रभावित पौधे के पत्ती और  दाने को भी नुकसान पहुंचाते है इस किट के नुकसान से पौधे को काफी हानि होती है जिससे पौधा बैना हो जाता है और प्रभावित पौधे में दाने नहीं पड़ते है ।

पहचान –  आप इसकी पहचान प्रारम्भिक अवस्था में डैड हार्ट ( सूखा तना ) बनता है और इस पौधे के निचले स्थान के दुर्गंध से पहचाना जा सकता है 

गुलाबी तनाबेधक किट ; 

मक्का की फसल को इस किट की झिल्ली से तने के मध्य भाग को काफी नुकसान होता है इस किट के प्रभाव से मक्का की फसल को काफी हानि होती है और जिस वजह से पौधे पर दाने नहीं लगते है ।

मक्का की फसल के लिए किट का नियंत्रण –

  • फसल की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए जिससे किट पतवारो का अवशेष भाग नस्ट हो जाए 
  • मक्का की किट प्रतिरोधी प्रजाति का ही उपयोग करना चाहिए 
  • एक ही कीटनाशक दवा का बार बार उपयोग नहीं करना चाहिए 
  • मक्का फसल के बाद ऐसी फसल लगाना चाहिए जो किट ब्याधि मक्का की फसल से भिन्न हो 
  • जिन खेतो में तना मखी सफेद , भृंग , दीमक एवं कटुआ झिल्ली का प्रकोप दिखाई दे वाहा पर दानेदार दवा फोरेट 10 जी को 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के समय बीज के निचे डाल दे 
  • मक्का में तना छेदक नियंत्रण के लिए अनुकरण के 15 दिनों के बाद फसल पर क्वीनलफास 25 ई सी का 800 मिली हैक्टेयर की दर से छिड़काव कर देना चाहिए 

मक्का की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग –

1.मक्का की पत्तियों में झुलसा रोग :

मक्का के पत्तियों पर लम्बे नाव के आकार का भूरे धब्बे बनते हुए दिखाई देगा यह रोग पत्तियों से बढ़कर पुरे भाग को प्रभावित करती है इस रोग के कारण पौध की पत्तिया पूरी तरह से सुख जाती है 

उपचार –  

मक्के के पौधे पर यह रोग दीखते ही जिनेब का 0.12 % के घोल का छिड़काव करना चाहिए 

2.तना सड़न  : 

मक्के के फसल में यह प्रमुख रोग है जो पौधों की निचली गांठ से इस रोग का प्रारम्भ होता है और विगलन की स्थिति पैदा होती है तथा पौधे की सड़े भाग से गंध आने लगती है और पौधे की पत्तिया पिली होकर सुख जाती है व पौधे कमजोर होकर गिर जाते है 

उपचार – 

इस रोग के उपचार के लिए आपको 150 ग्राम केप्टान को 100 लीटर पानी में घोलकर जड़ो पर डालना चाहिए 

मक्का की फसल की कटाई-

आप मक्के की फसल की कटाई उसकी अवधि पूर्ण होने पर करे यानी चारे वाली फसल के लिए फसल बोन के 60 से 65 दिन बाद , और दाने वाली देशी किस्म बोन के 75 से 85 दिन बाद , संकर व संकुल किस्म  बोन के 90 से 115 दिन बाद तथा दाने में 25 % तक नमि होने पर फसल की कटाई कर लेनी चाहिए ।

मक्का के अनाज का भंडारण –

कटाई और दाने के निकलने के बाद आप मक्के के दाने को धुप में अच्छी तरह से सूखा ले और फिर उसे किसी अच्छे जगह भंडारित करे इन दानो  को आप तीन से बने बॉक्स या फिर कोई चीज हो जो बॉक्स की तरह हो उसमे डालकर 3 ग्राम वाली एक क्विकफास की गोली प्रति किवंटल दानो के हिसाब से बॉक्स में  डाल कर रख देना चाहिए ।

सामान्यतःपूछे जाने वाले प्रश्न

अच्छे किस्म के बीज - गंगा -5 , गंगा -11, गंगा सफ़ेद -2 , डेक्कन -132 आदि

मक्के की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग इस प्रकार है - झुलसा रोग , तना सड़न आदि इसके उपचार के लिए 150 ग्राम केप्टान को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर देना चाहिए । या फिर आप पौधे की जड़ो पर डाल दे ।

संकर प्रजातियों के लिए - 12 से 15 किलोग्राम / हेक्टेयर , कम्पोजिट जातीय के लिए - 15 से 20 किलोग्राम / हेक्टेयर ,

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