Pista ki Kheti- हेलो दोस्तों स्वागत है आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको पिस्ता की खेती (Pista Ki Kheti) के बारे में बताएंगे पिस्ता की खेती कर के आप 30 से 35 लाख रुपये प्रति वर्ष कमा सकते हैं | और इसका पौधा 300 सालों तक उत्पादन देता है जिससे आप करोड़ों की कमाई कर सकते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े |
पिस्ता की खेती से सम्बंधित जानकारी
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पिस्ता एक ड्राई फ्रूट है | ईरान को पिस्ता का जन्मदाता माना जाता है | पहले सबसे ज्यादा पिस्ता की खेती (Pista Ki Kheti) ईरान में की जाती थी, परंतु अब के समय में सबसे ज्यादा पिस्ता की खेती अमेरिका में की जाती है |
पिस्ता अन्य पौधों की तरह ही विकास करता है, परंतु यह एक बार लगाने पर 300 साल तक पैदावार देता रहता है | इसके वृक्ष से प्राप्त फल का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है | इसका इस्तेमाल ड्राई फ्रूट के रूप में करने के लिए किया जाता है | इसके दानों से तेल निकाला जाता है | इसमें बहुत से औषधीय गुण भी मौजूद हैं |
पिस्ता का सेवन करने से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है | इसी कारण है यह बहुत महंगा होता है तथा इसका उत्पादन भी बहुत कम है |
पिस्ता का उत्पादन भारत में सबसे ज्यादा राजस्थान में की जाती है | इसकी खेती हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश जहां अत्यधिक गर्मी तथा अत्यधिक ठंडी पड़ती है उन इलाकों में की जाती है | राजस्थान की मिट्टी पिस्ता की खेती के लिए अत्यधिक उपयोगी है |
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आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताने वाले हैं की पुस्तक की खेती आप कैसे कर सकते हैं और किसान भाई पैसे की खेती करके अत्यधिक लाभ कमाने के लिए ब्लॉक को पूरा अंत तक पढ़े |
पिस्ता की खेती (Pista Ki Kheti) कैसे करें ?
पिस्ता के लिए उपयुक्त भूमि
पिस्ता के वृक्ष के लिए किसी खास भूमि की आवश्यकता नहीं होती | पिस्ता की खेती के लिए हल्की क्षारीय मिट्टी की आवश्यकता होती है | इसकी खेती के लिए आप जिस भूमि का चयन करें | उसका पीएच मान 7 से 8 की मध्य होना चाहिए तथा भूमि में जल निकासी की व्यवस्था अच्छी हो क्योंकि जल भराव के कारण पौधे में कई प्रकार के रोग लग जाते हैं |
पिस्ता के लिए उपयुक्त जलवायु
पिस्ता की खेती (Pista Ki Kheti) के लिए अधिक गर्म तथा अधिक ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है | इसकी खेती में उष्ण और संशीतोष जलवायु सबसे उचित मानी जाती है | सर्दियों के मौसम में पिस्ता के पौधे की अच्छे से विकास होती है परंतु पाला पड़ने से इसके पौधों को हानि पहुंचता है | पिस्ता के पौधे सुखे को अच्छे से सहन कर सकते हैं इसलिए इसके पौधे को बहुत कम बारिश में भी अच्छे से विकास करते हैं | पिस्ता के पौधे के लिए अधिकतम तापमान 40 डिग्री तथा न्यूनतम तापमान 7 डिग्री होना आवश्यक है |
पिस्ता की उन्नत किस्में
पिस्ता के उपाय के लिए कलम विधि का प्रयोग किया जाता है | वर्तमान समय में भारत में इस खेती का अधिक प्रचलन नहीं है परंतु आने वाले समय में इसकी कई किस्म भारत में भी देखने को मिल जाएंगी |
भारत में पिस्ता की कई किस्में मौजूद है | जिसमें से पीटर, रेड अलेप्पो, जॉली, चीकू तथा केरमन किस्में मुख्य हैं | इन किस्म के पौधे लगभग 30 फीट तक लंबे होते हैं तथा इनको तैयार होने में लगभग 12 साल का समय लग जाता है तथा प्रत्येक पौधे 8 से 12 किलो की पैदावार देते हैं |
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पिस्ता के खेत की तैयारी
पिस्ता के पौधे की रोपाई करने के लिए खेत को अच्छी तरह से तैयार करना बहुत आवश्यक होता है | इसके लिए खेत की अच्छे से मिट्टी पलटने वाले हल के द्वारा गहरी जुताई कर लेनी चाहिए | जिससे खेत में मौजूद खरपतवार तथा अपशिष्ट पदार्थ पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं | जुताई के बाद खेत को अच्छे से खुला छोड़ दें | जब खेत अच्छी तरीके से सुख जाए तो खेत में पानी डालते हैं | इसके बाद जब खेत की ऊपरी सतह अच्छे से सुखी दिखाई देने लगे तो रोटावेटर से आड़ी तिरछी जुताई करके खेत को समतल बना दें |
पौधे की रोपाई करने के लिए खेत में गड्ढे को तैयार कर लिया जाता है | गड्ढों के पंक्ति की दूरी से लगभग 3 से 3.5 मीटर की दूरी पर रखें | गड्ढों की गहराई लगभग 2 फिट हो और चौड़ाई 1 मी हो |
खाद तथा उर्वरक
पिस्ता की खेती में खाद तथा उर्वरक की बात की जाए तो इसके लिए अधिक उर्वरक की आवश्यकता पड़ती है | पिस्ता की खेती के लिए जैविक खाद तथा रासायनिक खाद दोनों की आवश्यकता पड़ती है | जैविक खाद का प्रयोग गड्ढों को भरते समय ही किया जाता है | प्रति गड्ढे में लगभग 15 किलो गोबर की खाद और लगभग 300 ग्राम रासायनिक खाद की मात्रा को मिट्टी मिलाकर अच्छे से गड्ढे में भर देना चाहिए | इसके बाद गड्ढे की गहरी सिंचाई कर देनी चाहिए तथा गड्ढों को सूखी घास या पुवाल से अच्छे से ढक देना चाहिए | इस प्रक्रिया को पौध रोपण के 1 महीने पहले ही करते हैं |
पौधा जब 5 वर्ष का हो जाए तो उस दौरान पौधे में प्रतिवर्ष 20 किलो जैविक खाद तथा 500 ग्राम रासायनिक खाद को देना चाहिए | इस उर्वरक की मात्रा पौधे को जल्दी बढ़ा देती है |
पिस्ता के पौधों की रोपाई
पिस्ता की रोपाई के लिए नर्सरी की आवश्यकता पड़ती है जो कि आपको भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र में आसानी से मिल जाएगी | 1 एकड़ में लगभग 195 से 200 पौधे आएंगे | नर्सरी में ग्राफ्टिंग या फिर कलम विधि द्वारा तैयार पौधे मिलेंगे | नर्सरी खरीदते समय ध्यान दें कि सभी पौधे बिल्कुल स्वस्थ हो |
पौधे की रोपाई की बात की जाए तो खेत में तैयार गड्ढों के बीच में छोटा सा गड्ढा बना लिया जाता है | इन गड्ढों में गोमूत्र या बाविस्टिन की उचित मात्रा से गड्ढों को उपचारित कर लिए जाता है | उपचारित करने से पौधे की वृद्धि में किसी भी तरह की समस्या नहीं होती है | इसके बाद पौधों की रोपाई कर दी जाती है |
पौधे की रोपाई के लिए बरसात का मौसम सबसे अच्छा होता है | इस समय पौधे के लिए अच्छा वातावरण मिल जाता है | इस समय पौधे अच्छे से वृद्धि करते हैं | पिस्ता के पौधे की रोपाई जून और जुलाई के महीने में की जाती है तथा ठंड के मौसम में इसकी रोपाई फरवरी और मार्च के महीने में की जाती है |
पिस्ता के पौधों की सिंचाई
पिस्ता के पौधे के लिए अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती | अगर इसकी सिंचाई अधिक कर दी जाए तो इसके पौधे में रोग लगने लगते हैं | गर्मियों के मौसम में इसकी सिंचाई सप्ताह में दो बार की जाती है तथा सर्दियों के मौसम में 15 से 20 दिन के अंतराल में की जाती है | इसके पौधों की सिंचाई की बात की जाए तो ड्रिप इरिगेशन सिस्टम के द्वारा सिंचाई करना सबसे उपयुक्त माना जाता है | सिंचाई करने के लिए पाइप को पौधे से एक से 1 से 1.5 फीट दूरी पर रखें या फिर एक से डेढ़ फीट की दूरी पर छोटा सा गड्ढा बना दें जिसमें पानी भर दें | जब पिस्ता का पौधा पूरी तरह से तैयार हो जाए तो इसकी सिंचाई साल भर में 5 से 6 बार करनी चाहिए |
खरपतवार नियंत्रण
पिस्ता की खेती में खरपतवार नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक विधि द्वारा निराई गुड़ाई का इस्तेमाल किया जाता है | रासायनिक विधि द्वारा खरपतवार नियंत्रित करने पर पौधे को हानि पहुंचती है | पौधे की पहली गुड़ाई पौधारोपण के लगभग 25 से 30 दिन के बाद करें तथा इसकी गुड़ाई 2 से 3 महीने के अंतराल में की जाती है | तैयार पौधे की वर्ष में दो से तीन बार निराई गुड़ाई की आवश्यकता होती है |
पिस्ता के पौधों की देखभाल
पिस्ता की खेती में अधिक देख रेख करके अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है | शुरुआत में पिस्ता के पौधों पर एक मीटर की ऊंचाई तक किसी भी शाखा को न बढ़ने दे | इससे इसका पौधा मजबूत बना रहता है | पौधे के बड़े हो जाने पर इस शाखों को काटकर अलग कर देना चाहिए | इससे पौधे को सूर्य का प्रकाश अच्छे से मिलता है |
जब पौधे से फल आना प्रारंभ होते हैं तो उस समय प्रति वर्ष फूलों के खिलने से पहले उनकी कटाई छटाई कर दी जाती है | इससे पौधे में रोग ग्रस्त और सुखी शाखों को हटा दिया जाता है | जिससे पौधे पर नई शाखाएं बनती है और पैदावार अच्छी मिलती है |
पिस्ता के फलों की तुड़ाई और पैदावार
पिस्ता के पौधे को तैयार होने में 6 साल का समय लगता है, परंतु अच्छी पैदावार 10 से 12 साल में देते हैं | जब फलों से छिलके उतरते हुए दिखाई देने लगते हैं | तब इस दौरान फलों की तुड़ाई कर लेनी चाहिए तथा धूप में सुखाकर फलों को भंडारित कर देना चाहिए
पिस्ता की खेती में पैदावार की बात की जाए तो प्रति पौधे से प्रतिवर्ष 8 से 12 किलोग्राम पिस्ता प्राप्त होता है | 1 एकड़ में लगभग 195 से 200 पौधे आते हैं | अगर 10 किलो ग्राम औसतन पैदावार ली जाए तो लगभग 20 कुंतल पिस्ता की पैदावार प्रति एकड़ में होगी |
पिस्ता की खेती में मुनाफा
पिस्ता की कीमत की बात की जाए तो पिस्ता बहुत महंगा होता है | बाजार में यह ₹800 से ₹1500 किलोग्राम के भाव से मिलता है जो कि भविष्य में और भी बढ़ेगा क्योंकि भारत में इसका उत्पादन कम है और खपत ज्यादा है |
अगर कोई किसान एक एकड़ में पिस्ता की खेती करता है तो उसे प्रतिवर्ष 30 से 35 लाख का मुनाफा होगा और इस मुनाफे को किसान की कई पीढ़ियां कर सकती हैं क्योंकि पिस्ता का पौधा लगभग 300 साल तक पैदावार देता रहता है |
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
1 किलो पिस्ता की कीमत 800 से 1500 रुपये किलोग्राम है |
पिस्ता का पौधा लगभग 300 सालों तक उत्पादन देता है |
भारत में पिस्ता की खेती सबसे ज्यादा राजस्थान में की जाती है | इसके अलावा हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश में भी इसकी खेती की जाती है |