Seb Ki Kheti : जाने सेब की खेती से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट सेब की खेती ( Seb Ki Kheti ) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको सेब की खेती ( Seb Ki Kheti ) के बारे में बताएंगे यदि आप भी सेब की खेती ( Seb Ki Kheti ) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े |

सेब की खेती ( Seb Ki Kheti )

Table of Contents

भारत में बहुत से फलों की खेती की जाती है परंतु सेब की खेती ( Seb Ki Kheti ) को अच्छा मुनाफा देने वाली खेती मानी जाती है इसकी खेती से किसान को कम लागत और ज़्यदा मुनाफा कमा सकते है क्योंकि बाजार में से की भाव अन्य फलों के अपेक्षा काफी अच्छे मिल जाते हैं इसी तरह देखा जाए तो सेब की बाजार में मांग लगातार बनी रहती है |

सेब को व्यावसायिक रूप से सेब महत्वपूर्ण समशीतोष्ण फलों में से एक माना जाता है क्योंकि सेब की खेती ( Seb Ki Kheti ) से कम लागत और अधिक फायदा कमा सकते हैं हम आपको यह भी बता दें कि सेब की खेती ( Seb Ki Kheti ) ठंडे प्रदेशों में अधिक मात्रा में की जाती है परंतु अब तो से की कई बेहतरीन किस्म विकसित हो गई है जिस कारण से आप सेब की खेती ( Seb Ki Kheti ) मैदानी प्रदेशों में भी आसानी से कर सकते हैं |

Seb Ki Kheti

सेब की खेती का उपयुक्त समय (Suitable time for Seb Ki Kheti )

सेब की खेती ( Seb Ki Kheti ) का सबसे उपयुक्त समय नवंबर से लेकर फरवरी महीने के अंतिम तक का होता है लेकिन उनके पौधे को उगाने का सबसे अच्छा महीना जनवरी और फरवरी माह माना जाता है नर्सरी से ले गए पौधे कम से कम 1 साल पुराने और एकदम स्वस्थ होने चाहिए सेब के पौधों की रोपाई जनवरी और फरवरी माह में की जाती है इससे पौधों को ज्यादा समय तक उचित मात्रा में वातावरण मिलता है जिससे पौधे अच्छे से विकास करते हैं और अच्छा उत्पादन देते हैं |

सेब की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु ( Suitable climate for Apple Cultivation in Iindi )

सेब की खेती ( Seb Ki Kheti ) करने के लिए समसीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त माना जाता है क्योंकि सेब की फसल को ठंडे क्षेत्रों में ही लगाया जाता है जहां पर पर्वतों की ऊंचाई से लगभग 1600 से 2700 मी हो इसके अलावा सेब की खेती ( Seb Ki Kheti ) के लिए 110 से 150 सेंटीमीटर वर्षा वाले इलाकों को उत्तम माना जाता है मार्च और अप्रैल के महीने में सेब के पौधों पर फूल आना प्रारंभ हो जाते हैं परंतु फूल आने के समय पर यदि तापमान ज्यादा है तो फसल पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है |

सेब की खेती के लिए उपयुक्त भूमि ( Land suitable for Apple Farming in Hindi )

सेब की खेती ( Seb Ki Kheti ) करने के लिए सूखी दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है जिसकी गहराई कम से कम 45 सेंटीमीटर हो और यह ध्यान है की गहराई में किसी भी तरह की कोई चट्टान ना हो जिस पेड़ अपनी जड़े जमीन मे अच्छे से फैल कर वृद्धि कर सके और इसके अलावा जिस भूमि में आप सेब की खेती ( Seb Ki Kheti ) कर रहे हैं उसका पीएच मान 5.5 से 6.5 के मध्य होना चाहिए सेब की खेती ( Seb Ki Kheti ) जल भराव वाले स्थान पर नहीं करना चाहिए |

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सेब की खेती के लिए खेत की तैयारी (Field preparation for apple cultivation )

सेब के पौधों को खेत में लगाने से पहले खेत की अच्छी तरह से दो-तीन बार गहरी जुताई कर लेनी चाहिए और फिर इसके साथ खेत में रोटावेटर की सहायता से खेत की मिट्टी को भरभरी बना लेना चाहिए इसके पश्चात ट्रैक्टर में पाटा लगवा कर खेत की मिट्टी को समतल कर लेना चाहिए जिससे खेत में जल भराव की समस्या ना उत्पन्न हुई इसके पश्चात 10 से 15 फीट की दूरी रखते हुए गड्ढे को तैयार करना चाहिए |

सेब की खेती के लिए उन्नत किस्म ( Improved variety for Apple Farming )

इस समय से की खेती करने के लिए बहुत सारे उन्नत किस्म उपलब्ध हैं जिन्हें अलग-अलग जलवायु के आधार पर तैयार किया जाता है |

Seb Ki Kheti

सन फ्यूजी किस्म के सेब

इस किस्म के सेब के फलों का रंग काफी आकर्षक होता है इसमें धारीदार गुलाबी रंग जैसे पाए जाते हैं इस किस्म के सेब में गुदा स्वाद में मीठा ठोस और थोड़ा कुरकुरा होता है इस किस्म के  सेब की खेती ( Seb Ki Kheti ) उस स्थान पर की जाती है जहां पर फसल को पकने में ज्यादा समय लगता है |

रैड चीफ किस्म के सेब

सेब के इस किस्म के पौधों का आकार थोड़ा छोटा होता है इस किस्म के पौधे को लगाने के लिए पौधे से पौधे के बीच की दूरी 5 फीट रखे जाती है जो गहरी लाल रंग के होते हैं जिन पर सफेद रंग के बारीक धब्बे दिखाई देने लगते हैं इस किस्म के सेब की खेती ( Seb Ki Kheti ) जल्दी उत्पादन प्राप्त करने के लिए की जाती है |

रॉयल डिलीशियस किस्म के सेब

इस किस्म के सेब में भी फलों का रंग लाल ही पाया जाता है परंतु इसमें लगने वाले फलों के आकृति गोल होती है इस फल का ऊपरी भाग डंठल के पास हरे रंग के होता है इस किस्म के फल को पकाने में अधिक समय लगता है इसकी पैदावार काफी अच्छी होती है इनके पौधों पर फल गुच्छे के रूप में लगते हैं |

ऑरिगन स्पर

इस किस्म में लगने वाले फलों का रंग लाल होता है तथा फलों पर धारियां बनी होती हैं यदि फलों का रंग और गहरा लाल हो जाता है तो धारियां मिट जाती है |

हाइब्रिड 11-1/12किस्म के सेब

सेब कि यह किस्म शंकर किस्म होती है इस किस्म में लगने वाले फल का रंग लाल और धारीदार होता है इस किस्म के फल अगस्त महीने के मध्य तक बाजार में आना शुरू हो जाते हैं फलों के इस किस्म को कम सर्दी पड़ने वाली जगह पर उगाया जाता है तथा इन फलों को अधिक समय तक रखकर भी उपयोग में ला सकते हैं सेब के इस किस्म को रेड डिलीशियस और विंटर बनाना संकरण से भी तैयार किया जाता है |

इसके अलावा भी सेब की विभिन्न प्रकार के किस्म पाई जाती हैं जैसे टाप रेड, रेड स्पर डेलिशियस, रेड जून, ग्रैनी स्मिथ, ब्राइट-एन-अर्ली, रेड गाला, विनौनी, चौबटिया प्रिन्सेज, ड फ्यूजी,रॉयल गाला, रीगल गाला, अर्ली शानबेरी, फैनी गोल्डन स्पर, वैल स्पर, स्टार्क स्पर, एजटेक, राइमर जैसी किस्मे मौजूद है जिन्हे अलग – अलग जगहों और अलग – अलग जलवायु के आधार पर उगाया जाता है |

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सेब के पौधों को तैयार कैसे करें ( How to Prepare Apple Plants )

सेब के हुए पौधे जिनकी रोपाई करनी होती है उन्हें सेबसे पहले तैयार करना होता है सेब के पौधों को बीज और कलम विधि के द्वारा तैयार किया जाता है कलम विधि द्वारा पौधों को तैयार करने के लिए पुराने पेड़ों की शाखों को ग्राफ्टिंग और गोटी विधि द्वारा तैयार किया जाता है और यदि आप सेब के पौधों को तैयार नहीं करना चाहते हैं तो इसे किसी भी सरकारी रजिस्टर्ड नर्सरी से आसानी से खरीद सकते हैं |

सेब के पौधों का पौधारोपण ( planting of apple trees )

सामान्य पेड़ों की अपेक्षा सेब के पौधों को भी लगाया जाता है सेब के पौधों को लगाने के लिए 15 * 15 या 15 * 20 की दूरी पर लगाना चाहिए सामान्यतः गद्दा करके मिट्टी में पानी और खाद के साथ मिलकर पौधे को लगा देना चाहिए और यदि आप गोबर के खाद्य से तैयार जैविक खाद का उपयोग करते हैं तो काफी बेहतर माना जाता है |

सेब की खेती में प्रयुक्त खाद और उर्वरक की मात्रा ( Amount of manure and fertilizer used in Apple Cultivation in India )

सेब की खेती ( Seb Ki Kheti ) करने के लिए आपको प्रत्येक पौधे के लिए 10 किलो सड़ी हुई गोबर की खाद एक किलो नीम की खाली और 80 ग्राम नाइट्रोजन 35 ग्राम फास्फोरस तथा 720 ग्राम पोटेशियम प्रत्येक वर्ष उनके बढ़ती आयु के अनुसार 10 साल तक खाद की मात्रा बढ़ाकर डालते रहना चाहिए इसके अलावा भी एग्रोमीन या मल्टीप्लेक्स जैसे सोच में तत्वों का मिश्रण जिंक सल्फेट बोरेंस कैल्शियम सल्फेट आदि को मिट्टी की आवश्यकता के अनुसार समय-समय पर देते रहना चाहिए जिससे पौधों का विकास और फलों का उत्पादन अच्छा प्राप्त होता है |

सेब के फसलों की सिंचाई कब कब करें ( When to irrigate Apple Crops )

सेब के फसलों की सिंचाई करने का सबसे उपयुक्त या सेबसे आसान तरीका ड्रिप इरीगेशन होता है जिसकी सहायता से पाइप के सहारे बूंद-बूंद करके प्रत्येक पौधों तक पानी को पहुंचाया जाता है सेब के फसलों की सच्चाई सामान्य तरीकों से भी की जा सकती है इसकी पहली सिंचाई पौधारोपण के तुरंत बाद कर देना चाहिए सर्दियों के महीने में केवल दो से तीन सिंचाई की आवश्यकता होती है लेकिन गर्मियों के मौसम में इन्हें 7 से 8 दिन में एक बार सिंचाई की जरूरत होती है और इसके अलावा बारिश के मौसम में आवश्यकता पड़ने पर ही फसलों की सिंचाई करे |

सेब की खेती में खरपतवार नियंत्रण ( Weed control in Apple Cultivation )

सेब के पौधों को अच्छे से वृद्धि करने के लिए खरपतवार नियंत्रण की आवश्यकता होती है इसके लिए आपको निराई गुड़ाई करना होगा खरपतवार को रोकने के लिए यदि आप रासायनिक तरीकों का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं तो मत कीजिएगा क्योंकि रासायनिक तरीके सेब के फसलों के लिए काफी हानिकारक होते हैं सेब की खेती में खरपतवार पर पूरी तरह से रोकथाम के लिए खेत के समय-समय पर निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए |

सेब के पौधों पर लगने वाले रोग एवं रोकथाम ( Diseases and prevention of apple plants )

सेब के पौधों पर भी विभिन्न प्रकार के रोग देखने को मिलते हैं जिनके कारण पौधों का विकास रुक जाता है और पैदावार भी काम प्राप्त होती है इन लोगों का उचित समय पर उपचार करके फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है |

सफेद रुईया कीट रोग

इस तरह का कीट रोग ज्यादातर सेब के पौधों की पत्तियों पर देखने को मिलता है सफेद रोग से प्रभावित पौधों के जड़ों में गांठ बनने लगती है तथा रोग लगी पत्तियां सूखकर गिरने लगती है इस रोग को नियंत्रित करने के लिए इमिडाक्लोप्रिड या मिथाइल डेमेटान से उपचारित कर इस रोग को समाप्त कर सकते है |

सेब क्लियरविंग मोठ रोग

यह रोग पौधों के पूरी तरह से विकसित हो जाने पर लगता है इस रोग का लारवा पौधों की छाल में छेद कर उन्हें पूरी तरह से नष्ट कर देता है जिससे पौधों में अन्य तरह के जीव रोग भी लग जाते हैं जिसके कारण पौधे संक्रमित हो जाते हैं इस रोग से पौधों को बचाने के लिए क्लोरपीरिफॉस का छिडकाव 5 से 6 दिनों के मध्य करते रहना चाहिए |

सेब पपड़ी रोग

यह रोग ज्यादातर फलों पर आक्रमण करते हैं इस रोग के लग जाने पर फलों पर धब्बे दिखाई देने लगते हैं तथा फल फटा-फटा दिखाई देने लगता है फलों के अलावा भी यह पत्तियों को भी अधिक प्रभावित करता है जिस कारण से पत्तियों का आकार टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है और पत्तियां समय से पहले ही गिरने लगते हैं इस रोग से पौधों को बचाने के लिए बाविस्टिन या मैंकोजेब का छिड़काव पौधों पर उचित मात्रा करते रहना चाहिए |

सेब के फलों की तुडाई पैदावार और लाभ ( Apple Fruit Harvesting Yield and Benefits )

सेब की फसल फूल आने के 140 150 दिन में पककर तुड़ाई करने के लिए तैयार हो जाती है जब फसल पूरी तरह से अपने आकार में दिखाई देने लगते हैं और उनका रंग आकर्षक दिखाई देने लगे तो आलोक की पढ़ाई कर लेना चाहिए फलों को थोड़ा डेंटल युक्त तोड़ना चाहिए जिससे फल कुछ दिनों तक ताजा बना रहे जब सभी फलों की तुड़ाई कर ले तो उन्हें आकार और चमक के आधार पर अलग कर लें इसके बाद इन्हें मार्केट में बिकने के लिए भेज दें |

सेब के पौधे से तीन से चार साल तक लगातार उत्पादन देने के लिए तैयार हो जाते हैं 3 वर्ष बाद 80% तक फल पौधों में आ जाता है तथा 6 वर्ष बाद पौधा पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है जो काफी अच्छा उत्पादन देता है एक एकड़ खेत में सेब के लगभग 400 से अधिक पौधे लगाए जा सकते हैं सेब का बाजरी भाव 100 से ₹120 प्रति किलो ग्राम होता है उसे हिसाब से किसान भाई सेब की खेती करके काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं |

सेब की सबसे अच्छी किस्म कौन सी होती है ?

सेब की सबसे अच्छी किस्म कश्मीरी सेब होती है जिसे अंबरी सेब के नाम से भी जाना जाता है इस किस्म की खेती सबसे ज्यादा कश्मीर में की जाती है या सिर्फ अपनी मीठी सुगंध के कारण उत्तर भारत में काफी लोकप्रिय है |

सेब का पेड़ कितने वर्षों में फल देने लगता है ?

सेब का पेड़ पौधारोपण के 4 से 5 साल बाद फलों का उत्पादन देना प्रारंभ कर देता है |

कौन से सेब का पेड़ सबसे तेजी से बढ़ता है ?

रेड डिलीशियस सब के पेड़ बहुत तेजी से बढ़ते हैं पौधारोपण के 4 साल बाद पौधों में फल आना प्रारंभ हो जाता है ग्रैनी स्मिथ सब के पेड़ अपने तेज वृद्धि के लिए भी जाने जाते हैं तीन से चार साल के अंदर ही फलो का उत्पादन देना प्रारंभ कर देते हैं |

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