हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट सूरजमुखी की खेती ( Surajmukhi Ki Kheti ) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको सूरजमुखी की खेती ( Surajmukhi Ki Kheti ) के बारे में बताएंगे यदि आप भी सूरजमुखी की खेती ( Surajmukhi Ki Kheti ) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े |
सूरजमुखी की खेती ( Surajmukhi Ki Kheti )
Table of Contents
सूरजमुखी की खेती ( Surajmukhi Ki Kheti ) खरीफ रवि एवं जाडा तीनों मौसम में आसानी से कर सकते हैं लेकिन खरीफ में इस फूल की खेती करने पर अनेक रोग एवं कीटों के प्रकोप का सामना करना पड़ता है तथा दाना कम पड़ता है परंतु यदि आप जाडा के मौसम में सूरजमुखी की खेती करते हैं तो अच्छी मात्रा में उपज प्राप्त होती है यही कारण है कि जाड़ा के मौसम में सूरजमुखी की खेती ( Surajmukhi Ki Kheti )अधिक मात्रा में की जाती है सूरजमुखी की फसल को बेहतर मुनाफा देने वाली और नगदी फसल के नाम से जाना जाता है |
भारत देश में सूरजमुखी की खेती पहली बार 1969 में उत्तराखंड के पतन नगर में की गई थी सूरजमुखी एक ऐसी तिलानी फसल होती है जिस पर प्रकाश का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है पिछले कुछ वर्षों से सूरजमुखी अपने उत्पादन क्षमता और अधिक मूल्य के कारण किसानों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय रही है |
सूरजमुखी की खेती के लिए उपयुक्त भूमि ( Land suitable for
Surajmukhi Ki Kheti )
सूरजमुखी की खेती ( Surajmukhi Ki Kheti ) सभी प्रकार के मिट्टी में आसानी से की जा सकती है परंतु यदि आप सूरजमुखी की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं तो इसकी खेती वहीं पर करें जहां पर पानी निकास का अच्छा प्रबंध हो अम्लीय और क्षारीय जमीनों में इसकी खेती करने से बचना चाहिए और यदि आप सूरजमुखी की खेती ( Surajmukhi Ki Kheti ) ज्यादा पानी सूखने वाली भारी जमीन में करते हैं तो काफी अच्छा होता है |
सूरजमुखी की खेती ( Surajmukhi Ki Kheti ) करते समय यदि खेत में भरपूर नमी न हो तो खेत में पानी भर के पलेव की सहायता से जुताई कर देनी चाहिए खेत की पहली जुटा मिट्टी रखने वाले हाल से करने के बाद साधारण हल्के सहायता से दो से तीन बार जीति करके खेत की मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए |
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सूरजमुखी की खेती के लिए उन्नत किस्मे ( Improved varieties for sunflower Farming In India )
सूरजमुखी की खेती ( Surajmukhi Ki Kheti ) के लिए विभिन्न प्रकार की उन्नत किस्म उपलब्ध हैं जिसमें से एकमात्र सूरजमुखी किस्म मॉडर्न बहुत अधिक लोकप्रिय है परंतु अब विभिन्न प्रकार के शंकर प्रजातियां इस समय उपलब्ध हैं जैसे बी एस एच-1 और एस एच 3322 एवं ऍफ़ एस एच-17, ज्वालामुखी, सूर्या आदि।
सूरजमुखी के बीजों की बुवाई का तरीका और समय ( Sowing time of sunflower seeds )
जाड़ा के मौसम में सूरजमुखी की बीजो ( Cultivating Sunflower Seeds )बुवाई सर्वोत्तम समय फरवरी का दूसरा सप्ताह होता है यदि आप इस समय सूरजमुखी की बुवाई करते हैं तो मैं के अंत और जून के प्रथम सप्ताह में ही सूरजमुखी के फसल पककर तैयार हो जाते हैं |
और यदि आप इसके बुवाई देर से करते हैं तो पकाने के समय में बरसात शुरू हो जाती है और दानों का नुकसान हो जाता है सूरजमुखी के बीजों की बुवाई 4 से 5 सेंटीमीटर की गहराई में करनी चाहिए लाइन से लाइन की दूरी 50 सेमी तथा पौधे से पौधा की बीच की दूरी 18 से 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए |
सूरजमुखी के फसलों में प्रयुक्त खाद और उर्वरक की मात्रा ( Amount of manure and fertilizer used in Sunflower Crops )
सूरजमुखी के फसल की बुवाई से पूर्व 8 से 9 टन प्रति हेक्टेयर कि दर से सड़ी हुई गोबर की खाद को खेत में डालकर भूमि को तैयार कर लेना चाहिए जिससे ऊपर अच्छे प्राप्त होती है अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए संचित अवस्था में यूरिया 135 से 160 किलोग्राम एसपी 375 किलोग्राम वह पोटाश 68 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर किधर से प्रयोग करना चाहिए हाइड्रोजन की दो 2/3 सुपर फास्फेट की समस्त मात्रा बोते समय प्रयोग करना चाहिए नाइट्रोजन की 1/3 मात्रा को बुवाई से 35 से 40 दिन बाद पहले सिंचाई के समय खड़ी फसल में कर देना अत्यधिक लाभदायक होता है |
सूरजमुखी के फसल की सिंचाई ( Irrigation of Sunflower Crop )
यदि आप सूरजमुखी की फसल को फरवरी माह में होते हैं तो इसकी फसल को तीन से चार बार सिंचाई करने की आवश्यकता होती है सूरजमुखी के फसलों की पहली सिंचाई बुवाई के 35 से 40 दिन बाद करें इस अवस्था में नाइट्रोजन की 1/3 मात्रा का उपयोग करें और दूसरे सिचाई चाहिए 25 से 30 दिन बाद फूल आने की अवस्था में करें एवं अंतिम सिंचाई बीज बनने की अवस्था में करना चाहिए |
सूरजमुखी की फसल में कीट नियंत्रण (Pest control in sunflower crop )
सूरजमुखी की फसल में एफिड्स, जैसिड्स, हरे रंग की सुंडी व हेड बोरर का प्रकोप अधिक होता है। रस चूसक कीट, एफिड्स, जैडिस की रोकथाम के लिए इमिंडाक्लोप्रिड 120 ग्राम प्रति हेक्टेयर या फिर एसिटामिप्रिड 120 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिडक़ाव कर दे सूंडी व हैड बोरर जैसे रोग को नियंत्रित करने के लिए क्विनालाफॉस 18% प्रतिशत एक लीटर दवा को या फिर प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 1.5 लीटर दवा को 700-800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर देना चाहिए |
सूरजमुखी की फसल में रोग नियंत्रण ( Disease control in Sunflower crop )
सूरजमुखी की फसल में मुख्यत: रतुआ, डाउनी मिल्ड्यू, हेड राट, राइजोपस हेड राट जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है पत्ती झुलसा रोग के नियंत्रण हेेतु मेन्कोजेब 4 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव कर दे |
सूरजमुखी फसल की सुरक्षा ( Sunflower crop protection )
सूरजमुखी में तोते सर्वाधिक नुकसान पहुंचाते हैं। तोते प्राय: दाने पडऩे की अवस्था से लेकर दाने पकने की अवस्था तक (एक माह) अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।
सूरजमुखी फसल की कटाई ( Sunflower Harvesting )
सूरजमुखी के फसल की कटाई उस समय की जाती है जब फूल का पिछला हिस्सा नींबू जैसा पीला रंग का हो जाता है और फूल झड़ जाते है तो फसल कों तैयार समझना चाहिए। इस स्थिति में फूल को काटकर खलिहान में रख ले और 3-4 दिन खलिहान में सूखने के पश्चात् डडो से पीटकर दानो कों अलग कर लिया जाता है |
1 हेक्टेयर खेत में सूरजमुखी की उपज ( Sunflower yield in 1 hectare field )
सूरजमुखी की फसल 100 से 105 दिन में टक्कर तैयार हो जाती है यदि आप उन्नत किस्म के बीजों की खेती करते हैं तो एक हेक्टेयर खेत में 20 से 22 कुंतल तक की उपज प्राप्त होती है |
सूरजमुखी के फसल में लगने वाले रोग और रोकथाम (Diseases and prevention of sunflower crop )
1.पत्ती धब्बा एवं झुलसा रोग (Leaf Spot and Blight )
सूरजमुखी की खेती ( Surajmukhi Ki Kheti ) में पत्ती धब्बा रोग पौधों पर शुरुआती अवस्था में देखने को मिलता है इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां पीले और हल्के भूरे रंग के धब्बे दर दिखाई देने लगते हैं इस रोग से पौधों को बचाने के लिए मैकोजेब 2.0 की उचित मात्रा का छिड़काव करके इस रोग को समाप्त कर सकते हैं |
2.रतुआ रस्ट रोग ( Rust Disease )
सूरजमुखी की खेती ( Surajmukhi Ki Kheti ) में यह रोग सामान्य रूप से पौधों की पत्तियों के निचले हिस्से में देखने को मिलता है इस रोग से प्रभावित होने वाले पौधों की पत्तियां पर लाल भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं यदि इस रोग के आक्रमण अधिक देखने को मिलता है तो यह रोग पौधे के तने तक पहुंच जाता है इस रोग को समाप्त करने के लिए मैकोजेब 2.0 के उचित मात्रा में छिड़काव कर देना चाहिए |
जाने कहां-कहां होती है सूरजमुखी की खेती ( Know where Surajmukhi Ki Kheti )
सूरजमुखी की खेती ( Surajmukhi Ki Kheti ) पूरे विश्व में लगभग 20 मिलियन हेक्टर भूमि में की जाती है पूरे विश्व में सूरजमुखी का कुल उत्पादन 27 मिलियन टन तक किया जाता है सूरजमुखी के प्रमुख उत्पादक देश जैसे यूक्रेन रूस अर्जेंटना चीन स्पेन और टर्की मे की जाती है भारत में सूरजमुखी का उत्पादन लगभग 15 लाख प्रति हेक्टेयर भूमि में की जाती है और लगभग 90 लाख टन का उत्पादन प्राप्त किया जाता है |
भारत में सूरजमुखी की खेती ( Surajmukhi Ki Kheti ) से औसत उत्पादकता 7 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती है सूरजमुखी की खेती ( Surajmukhi Ki Kheti ) के प्रमुख उत्पादक राज्य जैसे महाराष्ट्र , कर्नाटक , उत्तर प्रदेश , आंध्र प्रदेश , तमिलनाडु ,हरियाणा ,पंजाब ,में की जाती है भारत सूरजमुखी के तेल का सबसे अधिक आयात यूक्रेन से करता है भारत में आयातित सूरजमुखी तेल का लगभग 75 फ़ीसदी हिस्सा यूक्रेन का 20% रस का और 10% अर्जेंटना मे किया जाता है |
सूरजमुखी के फायदे ( Benefits Of Sunflower )
सूरजमुखी के फूलों ( Surajmukhi Ka Phool ) व बीजों में विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण उपलब्ध होते हैं सूरजमुखी के फूलों या बीजों का उपयोग दिल को स्वस्थ रखने से लेकर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के बचाव तक किया जाता है और इसके अलावा भी यदि आप सूरजमुखी के तेल का सेवन लगातार करते हैं तो लीवर सही तरीके से काम करता है और ऑस्टियोपरोसिस जैसी हड्डियों की बीमारी का सामना नहीं करना पड़ता है |
यह त्वचा को निखारने के साथ बालों को भी मजबूत बनाता है। इसके बीज न केवल स्वादिष्ट होते हैं ,बल्कि इन्हें खाने से पोषण भी मिलता है और यह पेट भी भरते हैं। सूरजमुखी के बीज सभी फूड स्टोर्स में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। सूरजमुखी के बीजों को खाने से हार्ट अटैक का खतरा काफी मात्करा में कम हो जाता है, कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम हो जाती है,और त्वचा में निखार आता है तथा बालों की भी ग्रोथ भी तेजी से होता है |
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
सूरजमुखी की बुवाई फरवरी महीने का दूसरे सप्ताह में की जाती है यदि आप सूरजमुखी की बुवाई फरवरी के दूसरे सप्ताह में कर देते हैं तो मैं के महीने में फसल तैयार हो जाती है |
भारत में सूरजमुखी का उत्पादन 7.5 लाख हैक्टेयर क्षेत्र से 3.04 लाख टन तक का उत्पादन के साथ कर्नाटक इसके बाद आंध्र प्रदेश महाराष्ट्र बिहार उड़ीसा और तमिलनाडु से प्राप्त प्राप्त होता है |