Amla Ki Kheti / Amla Ki Kheti Kaise Kare / कब और कैसे करे आवला की खेती जाने सम्पूर्ण जानकारी

आवला की खेती ( Amla Ki Kheti )

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भारत में आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) एक महत्वपूर्ण फल के रूप में की जाती है आवला को खाने के अलावा शक्तिवर्धक तथा सौंदर्य प्रसाधन के रूप में उपयोग में लाया जाता है आवले के अंदर उपस्थित विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व मानव शरीर के लिए काफी लाभदायक होते हैं आवाले का पौधा 20 से 25 फीट लंबा तथा जालीदार होते हैं भारत के जलवायु की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है|

आवला की खेती कैसे करे ( Amla Ki Kheti Kaise Kare )

भारत में मुख्य रूप से आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) उत्तर प्रदेश , राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ ,महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश ,आदि राज्य में की जाती है परन्तु भारत में उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश आंवला के मुख्य उत्पादक राज्य हैं उत्तर प्रदेश राज्य के प्रतापगढ़ जिले में सबसे ज्यादा आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) की जाती है |

Amla Ki Kheti

आवला फल का प्रयोग विभिन्न की दवाइयां तैयार करने में किये जाते हैं। आंवला से बनी दवाइयों से अनीमिया, डायरिया, दांतों में दर्द, बुखार और जख्मों का इलाज किया जाता है। विभिन्न प्रकार के शैंपू, बालों में लगाने वाला तेल, डाई, दांतो का पाउडर, और मुंह पर लगाने वाली क्रीमें आंवला से तैयार की जाती है। यह एक मुलायम और बराबर शाखाओं वाला वृक्ष है, जिसकी औसत उंचाई लगभग 10-20 मीटर होती है।

इनमे लगने वाले फूल हरे-पीले रंग के होते हैं और यह मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं, नर फूल और मादा फूल। इनमे लगने वाले फलो का रंग हल्का पीला होता है,जिनका व्यास 1.3-1.6 सैं.मी होता है। भारत में उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश आंवला के मुख्य उत्पादक राज्य हैं।

आवला की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु ( Suitable climate for Amla cultivation )

आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) के लिए शीतोष्ण जलवायु सबसे अधिक उपयुक्त माना जाता है क्योंकि इसके पौधे गर्मी वाले तापमान में अच्छे से विकास करते हैं गर्मी के मौसम में है उनके पौधों पर फल लगना प्रारंभ हो जाते हैं सर्दी के मौसम में पड़ने वाला पाला आवला के उत्पादन को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं |

आंवला की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी ( Suitable soil for Amla Ki Kheti )

भारत में आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है यदि आप इसकी खेती हल्के तेजाबी और नमकीन और छूने वाली मिट्टी में करना चाहते हैं तो आसानी से कर सकते हैं परंतु यदि आप अच्छे मात्रा में उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं तो आंवला की खेआवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) ती बढ़िया जल निकास वाली और उपजाऊ दोमट मिट्टी में करें आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 9.5 होना चाहिए |

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प्रसिद्ध किस्में और पैदावार ( Famous Varieties and Yields )

Amla Ki Kheti

1.Banarasi:

इस किस्म का आवला जल्दी पकने लगता है यह मध्य अक्तूबर से मध्य नवंबर में पककर तैयार हो जाती है इसके फलो का आकार बढ़ा, कम से कम भार 48 ग्राम, छिल्का मुलायम होता है और इस किस्म के फल को ज़्यदा दिनों तक स्टोर नहीं किया जा सकता है इस किस्म के आवला में 1.4% रेशा पाया जाता है इस किस्म के एक पौधे से लगभग 125 किलो तक आवला के फलो का उत्पादन प्राप्त होता है |

2.Krishna:

आवला की यह किस्म भी जल्दी पकने वाली होती है इस किस्म का आवला मध्य अक्तूबर से मध्य नवंबर के बीच पककर तैयार हो जाती है इस किस्म में लगाने वाले फलों का आकार सामान्य से बढ़ा, होता है एक अवले का वजन 44.6 ग्राम, छिल्का मुलायम और फल धारियों वाला हैं।  इस किस्म में 1.4% रेशा पाया जाता है। इस किस्म के एक पौधे से लगभग 130 किलो तक आवला के फलो का उत्पादन प्राप्त होता है |

3.NA-9:

यह भी एक जल्दी पकने वाली किस्म है आवला की यह किस्म अक्टूबर से नवंबर के बीच पककर तैयार हो जाती है। इनमे लगाने वाले फलो का आकर बड़ा होता है एक फल का भार 50.3 ग्राम, लम्भाकार, छिल्का मुलायम और पतला होता है। इस किस्म में रेशे की मात्रा 0.9% होती है इस किस्म में  विटामिन सी की मात्रा सबसे अधिक मात्रा उपस्थित होता है इसका उपयोग जैम, जैली और कैंडीज़ आदि को बनाने में किया जाता है।

4.NA-10:

 यह भी जल्दी पकने वाली किस्म है, जो अक्तूबर से नवंबर के मध्य में पककर तैयार हो जाती है। इसके फल मध्यम तथा बड़े दोनों आकार, के होते है एक अवले का वजन लगभग 41.5 ग्राम, छिल्का खुरदरा होता है और इसके एक फल में 6 अलग-अलग भाग होते है| इसका गुद्दा हरे-सफेद रंग का होता है, और इसमें 1.5 % रेशे की मात्रा होती है|

6.Francis:

यह दरमियाने मौसम की फसल है, जो नवंबर से दिसंबर के मध्य पककर तैयार हो जाती है इसके फल बड़े आकार के होते है इसमें लगने वाले एक फल का वजन 45.8 ग्राम, तक होता है और रंग हरा-सफेद  होता है। इसमें रेशे की मात्रा 1.5% होती है। इस किस्म को हाथी झूल के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसकी शाखाएं लटकी हुई होती हैं।

7.NA-7:

 यह दरमियाने मौसम की फसल है, जो मध्य नवंबर से मध्य दिसंबर तक होती है। इसके फल मध्यम से बड़े आकार के, भार 44 ग्राम, और रंग हरा-सफेद होता है। इसमें रेशे की मात्रा 1.5% होती है।

8.Kanchan:

यह दरमियाने मौसम की फसल है, जो मध्य नवंबर से मध्य दिसंबर तक की होती है। इसके फल छोटे आकार के, भार 30.2 ग्राम, इसमें रेशे की मात्रा 1.5% होती है और इसमें विटामिन सी  की सामान्य मात्रा होती है| इस किस्म की औसतन पैदावार 121 किलो प्रति रुख होती है|

9.NA-6:

यह दरमियाने मौसम की फसल है जो मध्य नवंबर से मध्य दिसंबर तक की होती है। इसके फल मध्यम आकार के, भार 38.8 ग्राम, इसमें रेशे की मात्रा सबसे कम 0.8% होती है।इसमें विटामिन सी की मात्रा 100 ग्राम और कम मात्रा में फैनोलिक होता है। इसे जैम और कैंडिज़ बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

10.Chakaiya:

आवला की यह किस्म भी देर से पकने वाली होती है जो दिसंबर से जनवरी के मध्य पककर तैयार हो जाती है इनमे लगने वाले फलो का आकर माध्यम होता है इसमें लगने वाले एक फल का वजन 33.4 ग्राम, इसमें 789 मि.ग्रा. प्रति 100 ग्राम विटामिन सी की मात्रा, 3.4% पैक्टिन और 2% रेशा होता है। इसे आचार और शुष्क टुकड़े बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

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आवला की खेती के लिए खेत को कैसे तैयार करें ( How to prepare the field for Amla Ki Kheti)

आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) करने के लिए खेतों को अच्छे तरीके से तैयार कर लेना चाहिए क्योंकिआवला का एक पौधा कई वर्षों तक लगातार फल का उत्पादन देता है आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) की सबसे अच्छी तरह से गहरी जुताई कर लेनी चाहिए जिससे खेतों में उपस्थित पुराने फसल के अवशेष पूरी तरह नष्ट हो जाएं जुताई के पश्चात खेतों को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें जिससे खेतों में अच्छा तरीके से धूप लग जाए |

इसके पश्चात खेत को रोटावेटर से दो से तीन बार जुताई करके मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरा बना लें इसके बाद खेत में 4 मीटर की दूरी रखते हुए 2 फीट चौड़े तथा डेढ़ फीट गहरे गड्ढे को तैयार कर ली तथा 12 से 15 फीट की दूरी पर रखते हुए पंक्ति को तैयार करें इसके बाद जैविक और रासायनिक उर्वरकों को मिट्टी में मिलाकर गधों में भर दें इस गड्ढे को पौध रोपाई के 1 महीने पहले ही तैयार कर ले |

आवला की खेती में बीजो की बिजाई ( Sowing of seeds in Amla cultivation )

Amla Ki Kheti

बिजाई का समय
आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) करने का सबसे उपयुक्त समय जुलाई से सितंबर का महीना होता है प्रतापगढ़ में आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) जनवरी से फरवरी महीने में की जाती है।

फासला
मई-जून के महीने ( Amla Growing Season In India ) में कलियों वाले आंवले के पौधों को 4.5×4.5 मी के की दुरी पर लगाएं।

बीज की गहराई
आवला के बिज़ को 1 मीटर गहरा वर्गाकार गड्डे खोदें और सूरज की रोशनी में 15-20 दिनों के लिए खुला छोड़ दें।

बिजाई का ढंग
कलियों वाले नए पौधों की पनीरी को मुख्य खेत में लगया जाता है|

आंवला की खेती में प्रयुक्त खाद और उर्वरक की मात्रा ( Amount of manure and fertilizer used in Amla cultivation )

आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) करने के लिए खेतों को तैयार करते समय मिट्टी में 12 किलो रूडी की खाद को मिट्टी में अच्छी तरह से मिला ले
खेत में प्रति पौधे पर 100 ग्राम नाइट्रोजन फास्फोरस 60 ग्राम पोटेशियम 110 ग्राम डालना चाहिए खाद की इतनी मात्रा को 1 वर्ष पुराने पौधों पर ही डाले खाद की मात्रा को बढ़ाते हुए पौधों के अनुसार बढ़ते रहें बाकी शादी कार्ड की मात्रा को अगस्त के महीने में डालें बोरान और जिंक सल्फेट 100 से 150 ग्राम सोडियम की ज्यादा मात्रा वाली मिट्टी में पौधों की आयु और सेहत के हिसाब से ही डालना चाहिए |

आंवला के फसलों की सिंचाई ( Irrigation of Amla crops )

वाला फसल की सिंचाई गर्मी के महीने में 15 दिनों के अंतराल पर करें और सर्दी के महीने में हर रोज ड्रिप सिस्टम के द्वारा 30 से 40 लीटर प्रति पौधों में डालें बारिश के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) में  पौधों में फूल निकलते समय इसके सिंचाई न करें |

आंवला की फसल में लगने वाले रोग तथा रोकथाम ( Diseases and prevention of Amla crop )

1.कुँगी रोग

आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) में कुँगी रोग लग जाने से पौधों की पत्तियां और फलों के ऊपर लाल रंग के धब्बे दिखाई यदि कुँगी रोग का उचित समय पर उपचार न किया जाए तो यह धीरे-धीरे करके पूरे पेड़ पर आक्रमण करने लगता है इस रोग के लगने के कारण और नष्ट होने लगते हैं इस रोग की रोकथाम करने के लिए इंडोफिल एम 45 का उचित मात्रा में छिड़काव कर देना चाहिए

2.काला धब्बा रोग

आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) में आंवला के पौधों में यह रोग बोरान की कमी के कारण देखने को मिलता है इस रोग के आक्रमण से फलों पर काले रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं यदि समय पर इस रोग की रोकथाम नहीं करते हैं तो पैदावार और गुणवत्ता दोनो अधिक प्रभावित होती है

3.गुठली भेदक रोग

आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) में गुठली भेदक रोग अवल के पौधों को प्रभावित करता है जो पौधों पर लगने वाले फलों को खराब कर देता है जिस कारण से फल टूट कर नीचे गिरने लगते हैं इसे छेदक रोग के नाम से भी जाना जाता है इस किट का लारवा कितना अधिक शक्तिशाली होता है की फलों में छेद करते हुए गुठली तक आक्रमण करता है इस रोकथाम करने के लिए कार्बारिल या मोनोक्रोटोफॉस का उचित मात्रा में छिड़काव कर |

आंवला के फलों की तुड़ाई पैदावार और लाभ ( Amla Fruit Harvesting Yield and Benefits )

आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) में पौध और उपाय के लगभग तीन से चार साल बाद इसके पौधों से फलों का उत्पादन मिलना प्रारंभ हो जाता है पौधों में फूल लगे के 6 से 7 महीने के बाद इसके फल पक कर पूरी तरह से तैयार होने लगते हैं शुरुआत में इसके फलों का रंग हरा दिखाई देता है और पकने के पश्चात हल्का पीले रंग का हो जाता है इस दौरान फलों की तुड़ाई कर लेनी चाहिए पूर्ण रूप से तैयार आवले के एक पौधे से 110 से 130 किलोग्राम फलों का उत्पादन प्राप्त होता है |

इस हिसाब से एक एकड़ खेत में 180 से 200 पौधे लगाए जा सकते हैं जिससे कुल उत्पादन 20000 किलोग्राम से 25000 किलोग्राम के आसपास प्राप्त होता है बाजार में आवाले का भाव गुणवत्ता के आधार पर 15 से 30 रुपए किलो तक है इस हिसाब से किसान भाई एक एकड़ खेत में आवला की खेती ( Amla Ki Kheti ) करके 4 से 5 लाख की अच्छी कमाई कर सकते हैं |

सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न

आंवला का पौधा कितने वर्षों में फल देने लगता है ?

आंवला का पौध रोपाई के चार से पांच साल बाद फल देने लगता है और जब आवाले का पौधा 7 से 8 साल पुराना हो जाता है तो एक पौधे से लगभग 120 किलो तक आवाले का फल प्राप्त होता है 1 किलो आवाले का मूल्य 15 से 20 रुपए होता है यानी हर साल एक पेड़ से किस को 15 से ₹20 हजार तक की कमाई होती है |

आंवला का पेड़ लगाने का शुभ दिन कौन-कौन सा होता है ?

यदि आप आवाले का पेड़ गुरुवार शुक्रवार अक्षय नवमी के अलावा आम लकी एक एकादशी के दिन लगते हैं तो शुभ माना जाता है और यदि आप आवाले का पेड़ अपने घर में लगा रहे हैं तो उत्तर पूर्व दिशा में लगा सकते हैं |

आंवला की सबसे अच्छी किस्म कौन सी होती है ?

बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार वाला के सबसे अच्छी किस्म कंचन किस्म या चकाईया किस्म होती है यह किस माध्यम समय में तैयार हो जाती हैं इनके पौधों पर मादक फूलों की संख्या अधिक होने के कारण या अधिक मात्रा में फलों का उत्पादन देते हैं |

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